Categories
कविता

कुंडलियां … 8 मौत का चिन्तन……

27 मौत का चिंतन गर चले, मौत निकट ही जान। अपनों सेबी लेकर विदा, पहुंचेगा उस धाम ।। पहुंचेगा उस धाम , लौटना वहां से भी तय। गेंद बनी युग – युग से तेरी, कैसे होगी तेरी जय? भाई के संग खेला, हाथ पकड़कर चलना सीखा। उससे हाथ झटकने का, अब खोजे नया तरीका।। 28 […]

Categories
कविता

अर्जुन बोला कृष्ण से, …..

कुंडलियां … 7 अर्जुन बोला कृष्ण से,… 24 चित्त के चिंतन से मिले, शंका का समाधान। विचित्र चित्रकार है, रखता अद्भुत ज्ञान।। रखता अद्भुत ज्ञान, मनुज की तड़प मिटाता। यही चित्त की एकाग्रता, शंका दूर भगाता।। बार-बार संशय उठें, और चित्त रहे बेचैन । मनुज भटकता व्यर्थ ही दुनिया में दिन रैन।। 25 अर्जुन बोला […]

Categories
कविता

कुंडलिया, भाग – 6 मैं बोला बदरी बता ! ..

कुंडलिया, भाग – 6 मैं बोला बदरी बता ! …. 21 ज्योति जिसकी बुझ गई, हुआ वही गतिहीन। बुद्धि पर पत्थर पड़े तो, कहलावे मतिहीन।। कहलावे मतिहीन, साथ ना कोई देता। दुर्दिनों में स्वबंधु भी , छोड़ अकेला देता।। विचारपूर्वक काम करे जो मानव वही कहाता। मधुरस अमृत की वर्षा में, नियम से है नहाता।। […]

Categories
कविता

सौभाग्य है यह देश का…

चीन देखकर दंग है, मोदी का सम्मान। भारत बढ़ता देखकर पाक हुआ परेशान।। पाक हुआ परेशान, रात को नींद ना आवे। पीओके जा रहा हाथ से कैसे लाज बचावे।। मलते हाथ विरोधी सारे, मारें मोदी छक्के । मरी पड़ी है सब की मैया सारे हक्के बक्के।। सौभाग्य हमारे देश का हीरा मिले हैं दोय। काम […]

Categories
कविता

काल बैरी आ रहा …….

काल बैरी आ रहा ……. भीतर बैठा रो रहा, एक हंस दिन रैन। भटक गया संसार में, खत्म हुआ सब चैन।। खत्म हुआ सब चैन, रात को नींद ना आवे। कहां फंसा इस कीचड़ में, पड़ा पड़ा पछतावे।। गठरी बन गई बोझिल, नहीं संभाली जाती। मौत हंस की देख दशा , मंद – मंद मुस्काती।। […]

Categories
कविता

पति पत्नी दोऊ एक हैं, प्रेम के सिरजनहार।

9 इतिहास के दुश्मन बन गए मिटा दिया इतिहास। झूठ परोसा देश को, खत्म किया विश्वास।। खत्म किया विश्वास , जरा भी नहीं लजाए। निज पैरों पर मार कुल्हाड़ी तनिक नहीं शर्माए।। राष्ट्रभक्त का चोला ओढ़े, मंद – मंद मुस्काते। दाढी रखते “फ्रेंच कट” और गीत विदेशी गाते।। 10 जर ,जोरु व जमीन पर, करते […]

Categories
कविता

ढीला दुश्मन हो गया, देख हिंद के रंग।

5 पाप पुण्य दो बीज हैं, काया खेत समान। जैसा बोया वैसा मिले, जाग अरे इंसान।। जाग अरे इंसान, जगत के बंधन कर ढीले। जितने फाड़े दिल लोगों के योगपूर्वक सी ले।। समय निकल जा हाथों से फेर नहीं कुछ होगा। खड़ा – खड़ा ही रोएगा जब दुनिया देगी धोखा।। 6 रब को मैं ना […]

Categories
कविता

नारी पुरुष का मेल है, मधुर प्रेम संगीत।

कुंडलियां डॉ राकेश कुमार आर्य ( 1) धर्म अकारथ कर रहे ‘धर्म’ के कारण लोग। दानव पूजे जा रहे, अधरम से कर योग।। अधरम से कर योग, मजहब मौज मनावे। खून बहाता मानव का दानव से राज करावे।। जब तक है ये खेल जगत में नहीं मिलेगा चैन। समय निकाल भजो प्रभु को भगते क्यों […]

Categories
कविता

मुहब्बत की नकली दुकान

🇮🇳मुहब्बत की नकली दूकान 🇮🇳 घर में खाता घर में पीता घर में सोता है। घर वालों पर ही भोंके जब बाहर होता है। अनुचित अनपेक्षित अभद्र अपशिष्ट परोस रहा, जब से राजनीति में एक गधे को जोता है। तिलक जनेऊ धोती कुर्ता धारे पाखण्डी, दाढ़ी बढ़ा कटा लेता कटवे का पोता है। निन्दा करता […]

Categories
कविता

बिनु रुके, थके बिनु, बिनु हारे

बिनु रुके, थके बिनु, बिनु हारे जीवन के जटिल जंक्शन पर जब उचित राह ना समझ सको मत अड़े रहो, मत खड़े रहो चल दो फौरन बस किसी ओर शायद उस पर ही मंजिल है…. यदि उस पर मंजिल नहीं मिले मत हो उदास, मत हो निराश उस पथ पर लिख दो- लक्ष्य हीन, मंजिल […]

Exit mobile version