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कुंडलियां … 16 सबको अच्छे लगते बच्चे…..

51 बचपन शाही जिंदगी, घर को राखे मस्त। चुप्पी तोड़ कहकहे भरे, रखती सबको व्यस्त।। रखती सबको व्यस्त, सभी चाहते हैं बचपन। तुतला करके बोल, सब लौटते अपने बचपन।। एक ही बच्चा भर देता है आंगन में किलकारी। सुन सुन कर खुशी मनाते पिता और महतारी।। 52 बचपन की अठखेलियां, सबको लेत रिझाय। दादाजी गर्वित […]

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कुंडलियां … 15, शिक्षक ‘मृत्यु’ मानिये….

48 शिक्षक ‘मृत्यु’ मानिये , मारे शिष्य के दोष। कुसंस्कार देता मिटा, भरे सत्व का जोश।। भरे सत्व का जोश, होश में करे संतुलन। शिष्य को सुधार, बनाता सुंदर चाल चलन।। गुरु शिष्य की परंपरा भारत को भव्य बनाती। नित्य नियम से, पूज्य गुरु को शीश झुकाती।। 49 गुरु के कारण शिष्य को मिला करे […]

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कुंडलियां … 14 मधु का झरना देखकर…….

45 मधु का झरना देखकर, हुआ बड़ा आनंद । कण-कण में मधु रम रहा पावे ना मतिमंद।। पावे ना मतिमंद , अभागा यूं ही भटकता। वेद से रहता दूर , मधु के ना पास फटकता।। मधु का चस्केबाज , इसे पीता है हर दिन। नाम जप का वह मधुरस, पीता है हर दिन।। 46 प्रकृति […]

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कुंडलियां … 13 जग में सब का हो भला …..

42 धरम – धरम चिल्लाय कर, अधरम करते लोग। अधरम के ही कारने , जग में बढ़ते रोग ।। जग में बढ़ते रोग, शोक भी दिन – दूने बढ़ते। पाप ,ताप, संताप मनुज पर अपनी रंगत धरते।। पापी जन निज देव पर , नित बलि पशु की देते। ऐसी निरीह आहों की आहट हम श्वासों […]

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कुंडलियां – 12, उच्च पथ की साधना, करे सो पंडित होय।

कुंडलियां … 12 39 आनंद मिलता त्याग में, भजन से मिलता त्याग। ध्यान करे से हो भजन, लगे व्यसनों में आग।। लगे व्यसनों में आग, चित्त निर्मल हो जाता। परवान चढ़त है भक्ति, जीवन सफल कहाता।। यश वैभव में वृद्धि होती, शान्ति डारे अपना डेरा। निर्भ्रांत शांत जीवन से , होता दूर मृत्यु का फेरा।। […]

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कुंडलिया, .. 11 श्रेय मार्ग का पथिक

श्रेय मार्ग का पथिक ….. 36 चेत सके तो चेत जा, चिड़िया चुग रहीं खेत। हिय में जो रम रहा, लगा ‘ओ३म’ से हेत।। लगा ‘ओ३म’ से हेत, पड़े ना फिर पछताना। नित्य नियम से मेरे मनवा, गीत उसी के गाना।। मानव तन की नौका का सही करो उपयोग। समय रहते कुछ कर जतन, मिटते […]

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कुंडलियां … 10 गीता गंगा गाय का, मेल बड़ा अनमोल।

33 धरती बंजर हो रही, गाय कटें दिन रात। जीवन बोझिल हो गया, देख मनुज के घात।। देख मनुज के घात, समझ कुछ नहीं आता। जितना समझावें, इसे उल्टा चलता जाता।। अपने पैरों आप कुल्हाड़ी मारे मूरख होय। माता की हत्या करे ,सुख का भागी कोय ? 34 गीता गंगा गाय का, मेल बड़ा अनमोल। […]

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कुंडलियां … 9 ठाकुर रोशन सिंह के गांव में…

ठाकुर रोशन सिंह के गांव में… 30 जून पच्चीस तेईस में, पहुंचे तेरे गांव।। श्रद्धा से सब झुक गए , पाई तेरी छांव।। पाई तेरी छांव, मन को हुई तसल्ली। हो सपना पूरा तेरा, बात मन में धर ली।। क्रांति कर देश जगाया और किया आजाद। बिस्मिल जैसे साथी तेरे ,आते सारे याद ।। 31 […]

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कुंडलियां … 8 मौत का चिन्तन……

27 मौत का चिंतन गर चले, मौत निकट ही जान। अपनों सेबी लेकर विदा, पहुंचेगा उस धाम ।। पहुंचेगा उस धाम , लौटना वहां से भी तय। गेंद बनी युग – युग से तेरी, कैसे होगी तेरी जय? भाई के संग खेला, हाथ पकड़कर चलना सीखा। उससे हाथ झटकने का, अब खोजे नया तरीका।। 28 […]

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अर्जुन बोला कृष्ण से, …..

कुंडलियां … 7 अर्जुन बोला कृष्ण से,… 24 चित्त के चिंतन से मिले, शंका का समाधान। विचित्र चित्रकार है, रखता अद्भुत ज्ञान।। रखता अद्भुत ज्ञान, मनुज की तड़प मिटाता। यही चित्त की एकाग्रता, शंका दूर भगाता।। बार-बार संशय उठें, और चित्त रहे बेचैन । मनुज भटकता व्यर्थ ही दुनिया में दिन रैन।। 25 अर्जुन बोला […]

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