Categories
इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवाद की छाया : अध्याय -10 रामायण , महाभारत और गांधीजी

  रामायण , महाभारत और गांधीजी हमारे देश के इतिहास में विकृतिकरण से अधिक इतिहास का विलोपीकरण किया गया है । इतिहास के विलोपीकरण की यह षड़यंत्रकारी योजना जानबूझकर यूरोपियन देशों के इतिहास लेखकों , मुस्लिम इतिहास लेखकों के साथ-साथ कम्युनिस्ट विचारधारा के लेखकों ने बनायी है । विलोपीकरण की इस प्रक्रिया को पूरा करने […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

हिंदू धर्म छोड़ने के 21 वर्ष पश्चात ही क्यों बने थे बौद्ध डॉक्टर अंबेडकर

  डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने 1935 में हिंदू धर्म छोड़ दिया था. लेकिन 21 साल बाद उन्होंने क्यों बौद्ध धर्म को अपनाया. आखिर उन्हें ये फैसला करने में इतने साल कैसे लग गए.   बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने सन 1956 में 14 अक्तूबर को हिंदू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म अपनाया था भवेश […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

नेहरू और हरि सिंह का वह पत्राचार जो बताता है कि कश्मीर मसले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने के पीछे क्या थी रणनीति

पीयूष बबेले 1958 में जवाहर लाल नेहरू । ‘हम यह मामला संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा समिति के सामने प्रस्तुत करेंगे. उसके बाद सुरक्षा समिति शायद अपना एक कमीशन भारत भेजेगी. अलबत्ता, इस बीच हम आज की तरह (कश्मीर में) अपनी सैन्य कार्रवाई को जारी ही रखेंगे. बेशक इन कार्रवाइयों को हम अधिक जोरों से […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

जब महात्मा गांधी ने अपने बेटे मणिलाल से पूछा था : फातिमा से भी वह अधर्म है, तुम्हारे बच्चों का धर्म क्या होगा?

  तनिष्क के विवादित वीडियो ने लव-जिहाद, हिन्दू-मुस्लिम विवाह, इनके पीछे छुपे नैरेटिव आदि विषयों को बहस का विषय बना दिया। ऐसा शायद ही कभी हुआ हो कि देश के विचारकों ने किसी भी बहस के बीच महात्मा गाँधी का जिक्र न किया हो। इसी कड़ी में सेक्स और टीनएज कॉलेज रोमांस की फिक्शन कथाएँ लिखने वाले चेतन भगत […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

जब मनाया गया था बंग भंग के विरोध में अद्भुत रक्षाबंधन

16 अक्तूबर/इतिहास-स्मृति   भारतीय स्वतन्त्रता के इतिहास में बंग भंग विरोधी आन्दोलन का बहुत महत्व है। इसमें न केवल बंगाल, अपितु पूरे भारत के देशभक्त नागरिकों ने एकजुट होकर अंग्रेजों को झुकने पर मजबूर कर दिया था। उन दिनों देश के मुसलमान भी हिन्दुओं के साथ मिलकर स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे। अंग्रेज […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

‘पाकिस्तान’ की नींव बंगाल में ही पड़ी थी

शुशोभित 16 अगस्त, 1946 यानी भारत की स्वतंत्रता से ठीक एक साल पहले कलकत्ते में पहला दंगा भड़का और बंगाल के गांवों तक फैल गया. दंगों को मुस्लिम लीग द्वारा जानबूझकर भड़काया गया था. भारत के मजहबी बंटवारे की चर्चा के बीच मैं आपको बंगाल की ‘कलंक-कथा’ सुनाता हूं. वर्ष 1927 में मुस्लिम लीग के […]

Categories
इतिहास के पन्नों से राजनीति संपादकीय

आचार्य चाणक्य की छः सूत्रीय विदेश नीति और मोदी सरकार

  ”अपनी नीति तो अपनाओ, लेकिन शत्रु की युद्ध नीति को समझना भी उतना ही आवश्यक है। युद्ध में अपने शत्रु की भान्ति सोचना भी आवश्यक है। जो भी नीति हो, उसे गुप्त रखो। उसे केवल अपने कुछ विश्वासपात्र सहयोगियों को बताओ। अच्छे के लिए सोचो, पर बुरे से बुरे के लिए भी उद्यत रहो।” […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

जोगेंद्र नाथ मंडल की एक गलती, लाखों हिंदुओं का नरसंहार और धर्म परिवर्तन का कारण बनी

अभिषेक सिंह राव भारत विभाजन अपने आप में असंख्य किस्से-कहानियां समेटे हुए है. बंटवारें के लिए जिन्ना की ज़िद हो या सत्ता के लिए नेहरू की जद्दोजहद, सबकी अपनी-अपनी कहानियां हैं और इन कहानियों में कुछ ऐसी भी हैं कि 70 साल बाद भी नए-नए किस्से-किरदार निकल आते हैं।कुछ किस्से ऐसे हैं कि उन्हें जितना […]

Categories
इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवाद की छाया : अध्याय — 9, नेहरू और सुभाष के बीच फूट डाल दी थी गांधी जी ने

  राजनीति में प्रत्येक व्यक्ति की यह आवश्यकता होती है कि वह अपने प्रतिद्वंद्वी को परास्त करने के लिए ऐसी तिकड़में चले जिससे वह व्यक्ति प्रतियोगिता में आगे न निकल सके , परंतु किसी ‘महात्मा’ के यहाँ ऐसी किसी तिकड़म को या षड़यंत्र को स्थान नहीं दिया जाता। वह तो बड़े सहज भाव से अपने […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

पूर्वोत्तर की वीरांगनाएं

डॉ. राजश्री देवी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय पूर्वोत्तर से भी ऐसे अनेक वीर योद्धा और वीरांगना हुए, जिन्होंने इस देश के लिए अपना जीवन न्योछावर किया। कितनों से सीने में गोलियां खाईं और कितने ही वीर फांसी के तख्ते पर चढ़ गए। किंतु राष्ट्रीय धरातल पर ऐसे वीरों और वीरांगनाओं की कोई खास […]

Exit mobile version