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इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवाद की छाया अध्याय , 18 – (1 ) गांधीवादी कांग्रेस के काले कारनामे

 

गांधीवादी कांग्रेस के काले कारनामे

1885 में कॉन्ग्रेस का जन्म हिन्दू विरोध और राष्ट्रविरोध की भावना से प्रेरित होकर किया गया था। ए0ओ0 ह्यूम नाम के एक अंग्रेज ईसाई द्वारा जब इस संगठन की स्थापना की गई थी तो इसने प्रारम्भ से ही हिन्दू विरोधी और राष्ट्रविरोधी नीति का अनुसरण किया । दुर्भाग्य से यही दोनों अवगुण इसके कुसंस्कार बन गए । जिन पर यह पार्टी आज तक कार्य कर रही है । ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस हिन्दुओं के लिए साक्षात ‘यमराज’ है ।


ध्यान रहे कि पाकिस्तान को मजहब के आधार पर थाली में सजाकर जिन्नाह को देने वाली कांग्रेस ही रही थी । इतना ही नहीं ,जिन्नाह के मजहबी पाकिस्तान में जिस प्रकार चुन -चुनकर हिन्दुओं का विनाश किया गया, उस पर भी इस पार्टी ने कभी मुँह खोलना तक उचित नहीं माना । एक प्रकार से पाकिस्तान में रह गए ढाई – तीन करोड़ हिन्दुओं को 1947 की 15 अगस्त के बाद से इस पार्टी ने एक जेलखाने में बंद करने में सहयोग किया । फिर उनके साथ वहाँ जो कुछ भी किया गया उस पर भी अपनी मौन सहमति प्रदान कर कॉंग्रेस ने मानवता के विरुद्ध भारी पाप किया ।

पाकिस्तान के प्रति दिखाती रही है नरमी

गांधीजी की हठधर्मिता के कारण इसी पार्टी ने लाखों हिंदुओं को मारने वाले पाकिस्तान को ₹55 करोड़ दान में प्रदान किया । उसके बाद नेहरू जी की ‘उदारता’ के चलते पाकिस्तान को उसके हिस्से से अधिक सिंधु नदी का पानी दिया गया। मानवता के नाम पर पाकिस्तान नाम के जन्मजात शत्रु को पालने पोसने के प्रति भी नेहरू जी की ‘उदारता’ ने खाद पानी का काम किया।
नेहरू जी की बेटी और देश की तीसरी प्रधानमंत्री बनी इंदिरा गांधी ने 1971 में पाकिस्तान को परास्त किया । अपनी इस ऐतिहासिक और प्रशंसनीय जीत के उपरान्त भी इन्दिरा गांधी वार्ता की मेज पर उस समय हार गईं जब उन्होंने जीते हुए पूर्वी पाकिस्तान को भारत के साथ न मिलाकर एक अलग देश अर्थात बांग्लादेश के नाम से मान्यता दे दी । इस प्रकार बांग्लादेश के निर्माण में हमारे सैनिकों का बलिदान व्यर्थ चला गया। पाक से आये हिन्दुओं पर लाठीचार्ज करवाकर कांग्रेस ने कई अवसरों पर अपनी हिन्दू विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है।

मुस्लिम तुष्टिकरण की अपनायी नीति

इस पार्टी के विषय में हमें ध्यान रखना चाहिए कि इसके नेताओं ने 1947 में उन करोड़ों मुस्लिमों को देश में रखा , जिन्होंने 1945 के राष्ट्रीय असेंबली के चुनावों में मुस्लिम लीग को यह सोचकर समर्थन दिया था कि यह हमारे लिए अलग पाकिस्तान बनाएगी । आज वही लोग जब यह कहकर देश के जनमानस को गुमराह करते हैं कि हमने ‘बाई चॉइस’ हिंदुस्तान को अपने लिए चुना था ना कि ‘बाई चांस’ तो कांग्रेस उनके सुर में सुर मिलाकर उनकी ‘उदारता’ और तथाकथित ‘देशभक्ति’ का समर्थन करती है। गांधीजी की भांति मुस्लिमों की हिंसा को कांग्रेस हिंसा नहीं मानती, जबकि हिंसा को झेल रहे हिन्दू समाज की ‘आह’ को भी ‘साम्प्रदायिक हिंसा’ कहकर कांग्रेसी नेता अनेकों अवसरों पर संबोधित कर चुके हैं।
कांग्रेस की गलत और राष्ट्र विरोधी नीतियों के चलते देश विरोधी मुस्लिम संगठनों ने सुनियोजित षड़यंत्र के अंतर्गत और पाकिस्तान की सहमति से कश्मीर को ‘हिन्दू मुक्त’ कर दिया । जिस पर इस पार्टी के नेताओं ने प्रारम्भ से ही मुँह सिल लिया और आज तक इसके मुँह से हिन्दू लोगों पर कश्मीर में किए गए अत्याचारों के विरुद्ध एक शब्द तक नहीं निकला है । इन देश विरोधी मुस्लिम संगठनों में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे शेख अब्दुल्ला , उसके बेटे फारूक अब्दुल्ला और पोते उमर अब्दुल्ला की राजनीतिक पार्टी सहित वहाँ महबूबा मुफ्ती की राजनीतिक पार्टी भी सम्मिलित रही है । जिनसे कांग्रेस की राजनीतिक सहभागिता भी कई अवसरों पर रही है।

 

डॉ राकेश कुमार आर्य

संपादक : उगता भारत

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