बाल मुकुन्द ओझा आरोप लगाने वाले जरा RSS का इतिहास पढ़ लें तो राष्ट्रभक्ति से उनका भी परिचय हो जायेगा कांग्रेस सहित कई संगठन संघ पर गाँधी की हत्या सहित देश के विभाजन का आरोप लगाने में नहीं चूक रहे हैं। संघ पर गांधी हत्या में लिप्त होने का आरोप एक फैशन बन गया है। […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
मजहब ही तो सिखाता है आपस में बैर रखना , अध्याय – 7 ( 2) मन्दिर के लिए हिन्दुओं ने दिए हैं अप्रतिम बलिदान हिन्दुओं के प्रति बाबर भी हर मुस्लिम बादशाह की भांति कट्टर और निर्दयी था। उसने अपने पहले आक्रमण में ही बाजौर में 3000 से भी अधिक निर्दोष और निरपराध हिन्दुओं […]
लेखक अशोक चौधरी मेरठ। भारत के इतिहास में अपने पूर्वजों के महान कार्यों को समझने के लिए विद्वानों ने इसे कई कालखंडों में विभाजित किया है।इन कालखंडों में एक काल हिन्दू काल भी है,जो सिंधु के राजा दाहिर से प्रारंभ होकर पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु तक या इस्लामिक हमलावर मुहम्मद बिन कासिम (सन् 712) से […]
अनिरुद्ध जोशी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने देश के सभी संतों के आश्रमों को बर्बर लोगों के आतंक से बचाया। इसका उदाहरण सिर्फ ‘रामायण’ में ही नहीं, देशभर में बिखरे पड़े साक्ष्यों में आसानी से मिल जाएगा। विश्वामित्र को ताड़का और सुबाहु के आतंक से मुक्ति दिलाई। सुंदरवन में ऋषि रहते थे। सुंदरवन को पहले ताड़का […]
8 मार्च/इतिहास-स्मृति मेवाड़ के कीर्तिपुरुष महाराणा कुम्भा के वंश में पृथ्वीराज, संग्राम सिंह, भोजराज और रतनसिंह जैसे वीर योद्धा हुए। आम्बेर के युद्ध में राणा रतनसिंह ने वीरगति पाई। इसके बाद उनका छोटा भाई विक्रमादित्य राजा बना। उस समय मेवाड़ पर गुजरात के पठान राजा बहादुरशाह तथा दिल्ली के शासक हुमाऊं की नजर थी। यद्यपि […]
(अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष) संसार की किसी भी धर्म पुस्तक में नारी की महिमा का इतना सुंदर गुण गान नहीं मिलता जितना वेदों में मिलता हैं.कुछ उद्हारण देकर हम अपने कथन को सिद्ध करेगे. १. उषा के समान प्रकाशवती- ऋग्वेद ४/१४/३ हे राष्ट्र की पूजा योग्य नारी! तुम परिवार और राष्ट्र में सत्यम, शिवम्, […]
सुशोभित सक्तावत सन् सैंतालीस में भारत आज़ाद हुआ. “नेहरू बहादुर” प्रधानमंत्री बने. सत्रह साल उन्होंने एकछत्र राज किया. हिंदुस्तान की तमाम अकादमियों में इन सत्रह सालों में “नेहरू बहादुर” ने चुन-चुनकर ऐसे लोगों को बैठा दिया, जिन्हें भारतीय परंपरा से संबद्ध हर ज्ञान से चिढ़ हो. चाहे वो लोक का ज्ञान हो या शास्त्र का […]
बाबर व अकबर के शासन काल में हिन्दू दमन भारत के लाखों करोड़ों वर्ष के इतिहास को गहरे गड्ढे में दबाकर भारतद्वेषी इतिहासकारों ने केवल और केवल मुगल काल को प्रमुखता देते हुए उसे कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किया है कि जैसे आज का भारत मुगलों के स्वर्णिम शासन काल की ही देन है । […]
ओ३म् पंडित लेखराम जी स्वामी दयानन्द जी के प्रारम्भ के प्रमुख शिष्यों में से एक रहे जो वैदिक धर्म की रक्षा और प्रचार के अपने कार्यों के कारण इतिहास में अमर हैं। उन्होंने 17 मई, सन् 1881 को अजमेर में ऋषि दयानन्द से भेंट की थी और उनसे अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त किया था। […]
वैदिक धर्म की मान्यताओं में अविश्वास एवं मत-मतान्तर, भिन्न भिन्न सम्प्रदाय, पंथ, गुरु आदि के नाम से वेद विरुद्ध मत आदि में विश्वास रखना। इस विभाजन से हिन्दू समाज की एकता छिन्न-भिन्न हो गई एवं वह विदेशी हमलावरों का आसानी से शिकार बन गया। वेदों में वर्णित एक ईश्वर को छोड़कर उनके स्थान पर अपने […]