इंडिया साइंस वायर प्रोफेसर राव ने 1960 में अपने कॅरियर की शुरुआत की और उसके बाद से भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास और संचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। छुपे हुए प्राकृतिक संसाधनों की खोज करने में उनकी दूर-संवेदी तकनीकें बहुत उपयोगी सिद्ध हुईं। भारत में अंतरिक्ष विज्ञान ने बहुत प्रगति कर […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
चक्रवर्ती सम्राट कनिष्क गुर्जर वंश से थे। कुषाण (कसाना) राजवंश 25 ई. से 380 ई. तक यह न केवल गुर्जर जाति का बल्कि भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण राजवंश है। इस वंश के कई सम्राट हुए हैं लेकिन यदि अकेले कनिष्क सम्राट की ही बात करें तो उनका साम्राज्य दक्षिणी चीन और रूस से लेकर […]
राकेश सैन स्वतन्त्रता पर राज्य मानहानि, न्यायालय-अवमान, सदाचार, राज्य की सुरक्षा, विदेशों के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध, अपराध-उद्दीपन, लोक व्यवस्था, देश की प्रभुता और अखण्डता को ध्यान में रख कर युक्तियुक्त प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है। लोकतंत्र के दो रूप कहे जा सकते हैं, एक दण्डात्मक व दूसरा गुणात्मक। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन […]
कई इतिहासकारों ने ऐसा माना है कि गुर्जर शासकों का धर्म मिहिर अर्थात सूर्य था । जिन लोगों ने अपनी ऐसी धारणा व्यक्त की है उन्हें यह ज्ञात होना चाहिए कि मिहिर या सूर्य कोई धर्म नहीं होता , अपितु यह एक देवता है । क्योंकि यह संसार को प्रकाश प्रदान करता है । […]
यह लोग स्वयं को न तो मुसलमान मानते हैं, न पारसी और न ईसाई। यह अपने को ‘यजीदी’ कहते हैं। इस समुदाय के उपासना-स्थल हिन्दू मंदिरों की तरह होते हैं, ये सूर्य की भी पूजा करते हैं और इनमें मोर की बहुत मान्यता है। उल्लेखनीय है कि मोर केवल दक्षिण एशिया में पाया जाता है। […]
छह मास के प्रचार अर्थ लंबे भ्रमण काल में कुछ घटनाएं उल्लेखनीय हैं। उनका यहां उल्लेख किया जाता है – टंकारा शताब्दी : मौरवी राज्य में टंकारा एक बड़ा कस्बा है। मौरवी तक रेल है। मौरवी से टंकारा का ट्रांबे [ट्रेम्बे] जाती है। टंकारा ऋषि दयानंद का जन्म स्थान होने से प्रसिद्ध है। काठियावाड़ी भाइयों […]
अनिरुद्ध जोशी 15 अगस्त 1947 को भारतवर्ष हिन्दुस्तान तथा पाकिस्तान दो हिस्सों में बंटकर स्वतंत्र हो गया। भारत की आजादी के साथ जुड़ी देश-विभाजन की कथा बड़ी व्यथा-भरी है। कुछ लोग भारत विभाजन के खिलाफ थे, कुछ पक्ष में थे और कुछ ऐसे लोग थे, जो भारत के धर्म आधारित विभाजन के खिलाफ थे। […]
भारत में ७ लाख ३२ हज़ार गुरुकुल एवं विज्ञान की २० से अधिक शाखाएं थीं!!! अब बात आती है की भारत में विज्ञान पर इतना शोध किस प्रकार होता था, तो इसके मूल में है भारतीयों की जिज्ञासा एवं तार्किक क्षमता, जो अतिप्राचीन उत्कृष्ट शिक्षा तंत्र एवं अध्यात्मिक मूल्यों की देन है। “गुरुकुल” के बारे […]
स्वामी श्रद्धानन्द का प्रकाशमय जीवन एक काल में घोर अन्धकार में था। आप लिखते हैं जब मैं छोटा था मेरे पिताजी पक्के ईश्वरविश्वासी थे। प्रतिदिन धार्मिक ग्रंथों का स्वाध्याय किया करते थे। मुझे जब वे ऐसा करने को कहते तो मैं उनसे स्पष्ट कह देता कि मुझे ईश्वर की सत्ता पर जरा भी विश्वास नहीं […]
जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब की हिन्दू नीति अकबर के लिए कहा जाता है कि उसकी सेना में अधिकांश लोग हिन्दू हुआ करते थे । जिन पर उसका बहुत अधिक विश्वास होता था । अकबर की सेना में रहने वाले इन हिन्दुओं को अकबर की तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के साथ जोड़कर देखा जाता है। जिससे कि पाठक […]