-श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (हिन्दी के महाकवि) [कवि स्वभाव से ही बागी होता है। काव्य-कला के नियम भी उस पर बन्दिश न लगा पाते हैं। बगावत अगर सत्य की स्वीकृति हो तो कविता का ही दूसरा नाम बन जाती है। भला बगावत के बगैर कविता का चरित्र ही क्या है? कवि के भावों की […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
ओ३म् ====== महात्मा बुद्ध को उनके अनुयायी ईश्वर में विश्वास न रखने वाला नास्तिक मानते हैं। इस सम्बन्ध में आर्यजगत के एक महान विद्वान पं. धर्मदेव विद्यामार्तण्ड अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘‘बौद्धमत एवं वैदिक धर्म” में लिखते हैं कि आजकल जो लोग अपने को बौद्धमत का अनुयायी कहते हैं उनमें बहुसंख्या ऐसे लोगों की है जो […]
कम्युनिष्ट और भारत का विभाजन 1947 से पहले मुस्लिम लीग तो सांप्रदायिक थी ही, मगर सांप्रदायिकता के विरोध की रहनुमाई करने वाली घोर सेक्युलर कम्युनिस्ट पार्टी ने भी पाकिस्तान की मांग का समर्थन किया था।उसने मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की सांप्रदायिक और अलगाववादी मांग को जायज ठहराने की कोशिश की। कम्युनिस्ट पार्टी ने मुस्लिम लीग […]
29 मार्च/पुण्य-तिथि सिख पन्थ के दूसरे गुरु अंगददेव का असली नाम ‘लहणा’ था। उनकी वाणी में जीवों पर दया, अहंकार का त्याग, मनुष्य मात्र से प्रेम, रोटी की चिन्ता छोड़कर परमात्मा की सुध लेने की बात कही गयी है। वे उन सब परीक्षाओं में सफल रहे, जिनमें गुरु नानक के पुत्र और अन्य दावेदार […]
सतीष भारतीय महात्मा गांधी भारतीय संदर्भ में एक ऐसा नाम है जिसकी कीर्ति समूचे विश्व में महज इसलिए ही नहीं बेतहाशा मान्य है कि वह सत्य और अहिंसा की बात करते थे बल्कि इसलिए भी कीर्तिमान् है कि वह सत्य और अहिंसा की राह पर जीवनपर्यंत या जीवन के अंततम क्षण तक चलते रहे […]
ओ३म् -मन मोहन कुमार आर्य, देहरादून। बौद्ध मत के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध के बारे में यह माना जाता है कि वह आर्य मत वा वैदिक धर्म के आलोचक थे एवं बौद्ध मत के प्रवर्तक थे। उन्हें वेद विरोधी और नास्तिक भी चित्रित किया जाता है। हमारा अध्ययन यह कहता है कि वह वेदों को मानते […]
औरंगज़ेब का आतंकी शासन औरंगज़ेब का इतिहास में एक क्रूरतम मुगल बादशाह के रूप में स्थान है । उसने हिन्दुओं के प्रति मजहबी क्रूरता और निर्दयता की सभी सीमाएं पार कर दी थीं। यद्यपि वामपंथी और मुस्लिम इतिहासकारों की दृष्टि में उसे भारत के उदारतम शासकों में से एक माना गया है और […]
!!—: महर्षि दयानन्द सरस्वती कौन थे :—!!! ●एक ऐसे ब्रह्मास्त्र थे जिन्हें कोई भी पंडित,पादरी,मौलवी, अघोरी, ओझा, तान्त्रिक हरा नहीं पाया और न ही उन पर अपना कोई मंत्र,तंत्र या किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव छोड़ पाया। ●एक ऐसा वेद का ज्ञाता जिसने सम्पूर्ण भारत वर्ष में ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में वेद […]
#डॉविवेकआर्य सठियाला गांव, जिला अमृतसर के रहने वाले डॉ विश्वनाथ जी बोताला में प्रतिदिन पढ़ने जाया करते थे। वहां एक ईसाई मिशनरी रहता था, जो ईसाई मत का खूब प्रचार करता था। स्कूल के विद्यार्थियों को वह सदा रिझाने की फिराक़ में रहता था। वह विद्यार्थियों में बाइबिल की कहानियां सुनाने , छोटे छोटे […]
लेखक- डॉ. भवानीलाल भारतीय भारतीय नवजागरण के अग्रदूत महर्षि दयानन्द द्वारा प्रतिपादित विचारों की भारत की राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने तथा देश की अखण्डता की रक्षा में क्या उपयोगिता है? यदि हम संसार के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ वेदों का अवलोकन करें, तो हमें विदित होता है कि वैदिक वाङ्मय में सर्वप्रथम राष्ट्र की […]