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आओ कुछ जाने इतिहास के पन्नों से

अधिकांश राजपूत मुगलों से हारते ही क्यों थे ? जानिए इसका रहस्य

अधिकांशतः राजपूत मुगलों से हारते ही क्यों थे?? भले ही राजपूत महान योधा और तलवार बाज़ी करते थे| असल बात ये है कि हमें वही इतिहास पढ़ाया जाता है, जिनमें हम हारे हैं मेवाड़ के राणा सांगा ने 100 से अधिक युद्ध लड़े, जिनमें मात्र एक युद्ध में पराजित हुए और आज उसी एक युद्ध […]

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आतंकवाद इतिहास के पन्नों से

कार्ल मार्क्स : शैतान पूजा से साम्यवाद तक (अंतिम भाग)

  (सीताराम येचुरी के रामायण, महाभारत के संदर्भ से हिंदुओं को हिंसक बताये जाने पर वामपंथियों को दर्पण दिखाती तीन वर्ष पुरानी मेरी पोस्ट पुन: प्रस्तुत है।) सोवियत यूनियन मामलों के विशेषज्ञ सोलज़ेनेत्सिन और ऐंटोनोफ ने इन आंकड़ों को बहुत कम माना है।ऐंटोनोफ के पिता , जिनके नेतृत्व में बोलशिविक क्रांति के दौरान 1917 में […]

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इतिहास के पन्नों से

1857 में अंग्रेजों के काल बनाने वालों में राव तुलाराम का भी रहा बड़ा योगदान

विनोद कुमार यादव 10 मई 1857 के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन की वीरगाथा दिल्ली-एनसीआर के ग्रामीण इलाकों से ताल्लुक रखने वाले नायकों की शहादत के जिक्र के बगैर पूरी नहीं होती। उस स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर भारत के कई छोटे शहरों और गांवों ने अपने-अपने तरीके से अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिलाने में योगदान किया था। […]

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आतंकवाद इतिहास के पन्नों से

कार्ल मार्क्स : शैतान पूजा से लेकर साम्यवाद तक, भाग 2

  (सीताराम येचुरी के रामायण, महाभारत के संदर्भ से हिंदुओं को हिंसक बताये जाने पर वामपंथियों को दर्पण दिखाती तीन वर्ष पुरानी मेरी पोस्ट पुन: प्रस्तुत है।) रहस्यमयी बात है कि Oulanem उलटा नाम है Emmanuel का जो जीसस का एक बाइबिल नाम ही है।इसका हिब्रू में अर्थ है ‘ईश्वर हमारे साथ है’। नामों को […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

महाराणा प्रताप के पूर्वजों की शौर्य गाथा

  -प्रियांशु सेठ सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी राजाओं की सन्तान ही राजपूत लोग हैं। मेवाड़ के शासनकर्त्ता सूर्यवंशी राजपूत हैं। ये लोग सिसोंदिया कहलाते हैं; जो श्रीरामचन्द्र जी के पुत्र लव की सन्तान हैं। वाल्मीकि रामायण में आया है कि श्रीराम जी ने अपने अन्तिम समय लव को दक्षिण कौशल और कुश को उत्तरीय कौशल का […]

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इतिहास के पन्नों से

18 57 की क्रांति को पहला स्वाधीनता संग्राम घोषित करने वाले महानायक थे वीर सावरकर

वीर सावरकर रचित ‘१८५७ का स्वातंत्र्य समर’ विश्व की पहली इतिहास पुस्तक है, जिसे प्रकाशन के पूर्व ही प्रतिबंधित होने का गौरव प्राप्त हुआ। इस पुस्तक को ही यह गौरव प्राप्त है कि सन् १९०९ में इसके प्रथम गुप्त संस्करण के प्रकाशन से १९४७ में इसके प्रथम खुले प्रकाशन तक के अड़तीस वर्ष लंबे कालखंड […]

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इतिहास के पन्नों से

जब धन सिंह कोतवाल का पूरा गांव ही कर दिया गया था तबाह

  बुलंदशहर में क्रांतिकारियों का नेतृत्व करने वाले नेता वलीदाद खान ने वहां के स्वतंत्र शासक के रूप में अपना कार्यभार संभाल लिया । इसी प्रकार मेरठ में क्रांतिकारियों ने राव कदमसिंह को अपना नेता अर्थात राजा घोषित कर दिया। जिससे जनपद बुलंदशहर और मेरठ दोनों में क्रांतिकारियों को अपने सर्वमान्य नेता मिल गए। दोनों […]

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आतंकवाद इतिहास के पन्नों से

कार्ल मार्क्स : शैतान पूजा से साम्यवाद तक, भाग – 1

5 मई कार्ल मार्क्स जन्म दिन पर (सीताराम येचुरी के रामायण, महाभारत के संदर्भ से हिंदुओं को हिंसक बताये जाने पर वामपंथियों को दर्पण दिखाती तीन वर्ष पुरानी मेरी पोस्ट पुन: प्रस्तुत है।) ” जीसस के प्रेम के जरिये हम अपने ह्रदय को अपने अंतर्मन से जुड़े भाइयों की तरफ ले जाते हैं जिनके लिये […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति का प्रमुख नारा था – मारो फिरंगियों को

1857 की क्रांति हमारे आक्रोश और विदेशी सत्ता के प्रति पनप रहे विद्रोह के भाव का प्रतीक थी। जिसमें दलन, दमन और अत्याचार के विरुद्ध खुली बगावत के स्पष्ट संकेत दिखाई दे रहे थे । चारों ओर लोग ‘मारो फिरंगियों को’ का नारा देकर देश को अंग्रेजों से मुक्त कर देना चाहते थे। अब वह […]

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इतिहास के पन्नों से

सोमनाथ का मंदिर और महमूद गजनवी

प्रस्तुति श्रीनिवास आर्य गुजरात प्रांत के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे सोमनाथ नामक विश्वप्रसिद्ध मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंगों से एक स्थापित है। पावन प्रभास क्षेत्र में स्थित इस सोमनाथ-ज्योतिर्लिंग की महिमा महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा स्कंद पुराणादि में विस्तार से बताई गई है। कहते हैं कि सोमनाथ के मंदिर में शिवलिंग हवा में स्थित था। […]

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