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इतिहास के पन्नों से

प्राचीन भारत में गांव होते थे एक स्वतंत्र शासन की इकाई

राजशेखर व्यास भारतर्वा में ग्राम सभा का विकास बहुत पुराने जमाने में हो गया था। देश के अधिकांश भाग पर यही सभा अपना वर्चस्व रखती थी। इसकी शासन पद्धति बड़ी सुव्यवस्थित थी। वेद, ब्राह्मण और उपनिाद काल में गा्रम-सभा, उसके प्रमुख और अधिठाता का सम्मानपूर्वक उल्लेख है। ग्रामाध्यक्ष को वैदिक काल में ग्रामजी कहा जाता […]

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इतिहास के पन्नों से संपादकीय

राज्यपालों के दुराचरण, कांग्रेस और मोदी सरकार

जब अब से लगभग 2 वर्ष पहले महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए तो वहां पर राजनीतिक स्थिति ऐसी बनी जो कि बहुत ही निराशाजनक कहीं जा सकती है। भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना में सत्ता को लेकर संघर्ष हुआ। केंद्र में भाजपा की सरकार होने के चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। जबकि […]

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इतिहास के पन्नों से भाषा

शंका- आर्य (हिंदी) भाषा कि वर्ण एवं लिपि का आरम्भ कब हुआ?

समाधान- आर्य (हिंदी) भाषा की लिपि देवनागरी हैं। देवनागरी को देवनागरी इसलिए कहा गया हैं क्यूंकि यह देवों की भाषा हैं। भाषाएँ दो प्रकार की होती हैं। कल्पित और अपौरुषेय। कल्पित भाषा का आधार कल्पना के अतिरिक्त और कोई नहीं होता। ऐसी भाषा में वर्णरचना का आधार भी वैज्ञानिक के स्थान पर काल्पनिक होता हैं। […]

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इतिहास के पन्नों से

चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल की वास्तविक स्थिति क्या है?

डॉ. ओमप्रकाश पांडेय राजनीति के मूर्धन्य आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य की योजनाओं को मूर्त रूप देने में सहयोगी रहे उनके शिष्यों में चन्द्रगुप्त का स्थान सर्वोपरि रहा था। यह मोरियगण की कन्या से उत्पन्न हुआ एक असाधारण व्यक्तित्व का स्वामी था। मोरिय हिमालय की तराई में स्थित पिप्पली वन में निवास करने वाली एक निम्न जाति […]

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इतिहास के पन्नों से

संस्कृति एवं समृद्धि के उन्नायक भारतीय व्यापारी

डॉ. शशिबाला द्वितीय विश्व युद्ध में नष्टप्राय: हुए देश जापान ने व्यापारिक उन्नति के माध्यम से संसार के उन्नत राष्ट्रों की पंकित में खड़े होकर यह सिद्ध कर दिया है कि व्यापार से देश में शक्ति आती है और समृद्धि के माध्यम से देश के चर्तुदिक विकास का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। प्राचीनकाल में […]

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इतिहास के पन्नों से

नदी में कुआं : एक अनोखा इतिहास

नदी में कुआं राजस्थान के जोधपुर डिवीजन के अंतर्गत जालौर जिले से 70 किमी0 दूर कोमता गाँव हैं । जालौर जिले का मूल नाम जाबालिपुरा था जो रामायण कालीन ऋषि जाबालि के नाम पर था। रामायण काल से लेकर रियासत काल तक अनेक राजाओं ने इस पर शासन किया । सबसे उल्लेखनीय शासन गुर्जर प्रतिहार […]

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इतिहास के पन्नों से

मुगलों के अत्याचार का शिकार एक विस्मृत लोकनायक दुल्ला भट्टी

सन्दल बार के इलाके (अब पाकिस्तान) में मुगल बादशाह अकबर के दौर में एक मुसलमान राजपूत बागी हुआ था, जिसका नाम था ‘दुल्ला भट्टी‘ (राय अब्दुल्ला भट्टी)। भट्टी कबीला राजपूतों की एक प्रसिद्ध शाखा है। भारत-पाकिस्तान सरहद से लगभग 200 किलोमीटर दूर पाकिस्तान के पंजाब में ‘पिंडी भट्टियां’ गांव है। पंजाब की लोक-कथाओं का यह […]

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इतिहास के पन्नों से

भारतीय वीर योद्धाओं के समक्ष जब डर कर भाग खड़ा हुआ था मोहम्मद गौरी

मनीषा सिंह भारत माता की कोख से एक से बढ़कर एक महान वीर ही नहीं बल्कि कई वीरांगनाओं ने भी जन्म लिया है जिन्होंने भारत माता की रक्षा के लिए अपने सर्वस्व सुखों का त्याग कर अपनी मातृभूमि कि पूरे मनोयोग के साथ रक्षा की। ऐसी महान वीरांगनाओं की श्रेणी में नाम आता है। रानी […]

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इतिहास के पन्नों से

सिकंदर ने काबुल नदी पार की थी, सिंधु नहीं

Alexander ने काबुल नदी पार की थी, सिन्धु नहीं! सिन्धुकुश (हिन्दुकुश) पर्वत, उससे निकली कुभा (काबुल) नदी और वर्तमान सिन्धु नदी के बीच का भूभाग “कपिशा” (फारसी नाम हिन्दुश एवं अरबी नाम काफिरिस्तान) कहलाता था और कपिशावासी कुभा (काबुल) नदी को सिन्धु (Indus) कहते थे तथा वर्तमान सिन्धु को “भारती” कहते थे क्योंकि भारती के […]

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इतिहास के पन्नों से

विश्व इतिहास में अनोखी मिसाल है 1971 का भारत-पाक युद्ध

पिनक रंजन चक्रवर्ती 16 दिसंबर 1971 को 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने सफेद झंडा उठा कर भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर  दिया भारत हरेक साल 16 दिसम्बर को ‘विजय दिवस’ और बांग्लादेश इसको ही उच्चारण के थोड़े अंतर से ‘बिजॉय दिबोस’ मनाता है। यह बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में हुए सर्वाधिक भीषण संग्राम की स्मृति […]

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