डॉ. पवन सिंह मलिक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ व्याख्यानों में से एक, स्वामी विवेकानंद जी के भाषण की तारीख 11 सितंबर। क्या था वो भाषण जिसने अमेरिका को नहीं पूरे पश्चिम को भारत का मुरीद बना दिया। नरेंद्र नाथ दत्त, जिन्हें पूरा विश्व विवेकानंद के नाम से याद करता है। 11/9 क्यों याद किया जाना चाहिए, […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
मृत्युंजय दीक्षित योग, दर्शन व अध्यात्म के मर्मज्ञ महान संत महंत अवैद्यनाथजी का जन्म पौढ़ी गढ़वाल के ग्राम कांडी में हुआ था। महंत अवैद्यनाथ की माता जी का स्वर्गवास जब वह बहुत छोटे थे तभी हो गया था और उनका लालन पालन दादी ने किया था उच्च्तर माध्यकि स्तर शिक्षा पूर्ण होते ही उनकी दादी […]
भारत का वह महान विचारक कौन था जिसकी चर्चा अमेरिका में सबसे पहले हुई? भारत का वह महान सुधारक कौन था जिसकी चर्चा अमेरिका में सबसे पहले हुई? भारत का वह कौन सा महात्मा था जिसकी चर्चा अमरीका में सबसे पहले हुई ? भारत का वह कौन सा महापुरुष था जिसकी चर्चा अमेरिका में सबसे […]
अनन्या मिश्रा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने वाले दादा भाई नौरोजी को भारतीय राजनीति का पितामह कहा जाता है। आज ही के दिन यानी की 4 सितंबर को दादा भाई नौरोजी का जन्म हुआ था। उनके अंदर देश प्रेम की भावना कूट-कूटकर भरी थी। दादा भाई नौरोजी ने अपना पूरा जीवन देश की सेवा […]
डॉ. पवन सिंह मलिक “दुनिया सुनना नहीं, देखना पसंद करती है कि आप क्या कर सकते हैं”…. और अपने अंदर छिपी इसी असीम शक्ति की पहचान करवाना, मैं कौन हूँ ओर क्या कुछ कर सकता हूँ इस भाव को परिणाम में बदलने के लिए प्रेरित करने की प्रेरणा है शिक्षक। आज शिक्षक दिवस है और […]
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी (1886-1964) की ‘भारत-भारती’ से कौन हिन्दीप्रेमी परिचित नहीं है? ‘भारत-भारती’, गुप्त जी की सर्वाधिक प्रसिद्ध काव्यकृति है जो विक्रम संवत् 1969 (1912-13) में पहली बार प्रकाशित हुई थी और अब तक इसके पचासों संस्करण निकल चुके हैं। एक समय था जब ‘भारत-भारती’ के पद्य प्रत्येक हिन्दीभाषी की जिह्वा पर थे। भारतीय […]
11 लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ (जगतगुरु महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वी जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या11) दंडी जी के द्वारा सार्वभौम सभा की स्थापना के वैचारिक आग्रह , पाठशाला में अध्यापन कराने, पंडितों के साथ शास्त्रार्थ करने देशी राजाओं से […]
* (महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखो की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या 8) दंडी जी ने आर्ष ग्रंथों के प्रचार अनार्ष ग्रन्थों के समूल उच्छेद की प्रतिज्ञा ली थी। यद्यपि वृद्धावस्था ने धीरे-धीरे उन्हें मृत्यु का निकटवर्ती बना दिया था लेकिन अपने […]
डॉ. वंदना सेन व्यक्ति जीवन भर शिक्षा ग्रहण करता है, तब भी शिक्षा का कोई न कोई अध्याय अधूरा ही रह जाता है। लेकिन भारत के राष्ट्र निर्माता कहे जाने वाले शिक्षक अपने शिष्य में अपनी छवि का दर्शन देखना चाहते हैं। शिक्षक वही है, जो अपने अनुसार देश का चरित्र निर्माण कर सके। अपने […]
* (जगतगुरु महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या 7) प्रज्ञा चक्षु विरजानन्द जी अपने प्रत्येक विद्यार्थी को अपूर्व व अभिनव प्रणाली से पढ़ाते थे। जैसे अध्यापक गण सब छात्रों को एकत्रित करके उनका विभाग करके एक-एक श्रेणी […]