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भाषा

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष : प्रथम गुरु की तरह ही है मातृभाषा

डॉ. वंदना सेन जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है। मातृभाषा का शाब्दिक अर्थ है माँ से सीखी हुई भाषा। बालक यदि माता-पिता के अनुकरण से किसी भाषा को सीखता है तो वह भाषा ही उसकी […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

राष्ट्रीय समाज के लिए प्रेरणा हैं बिरसा मुंडा

जयंती पर विशेष…. डॉ. वंदना सेन भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने वाले कई महानायकों का पूरा जीवन एक ऐसी प्रेरणा देता है, जो देश और समाज को राष्ट्रीयता का बोध कराता है। कहा जाता है कि जो अपने स्वत्व की चिंता न करते हुए समाज के हित के लिए कार्य करता है, वह नायक निश्चित […]

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भाषा

भारत के स्वत्व की पहचान है हिन्दी

डॉ. वंदना सेन स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में भारत के स्वत्व को पुनर्स्थापित करने का जिस प्रकार से प्रयास किया जा रहा है, उसके कारण निश्चित ही आम जनमानस में यह धारणा बनी है कि भारत की विरासत गौरवमयी है। भारत में विश्व गुरू बनने की क्षमता आज भी विद्यमान है। लेकिन हमें यह भी […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ज्ञान चक्षु खोलने में समर्थ है शिकागो व्याख्यान

डॉ. वंदना सेन वर्तमान में जिस प्रकार से देश प्रगति कर रहा है, उसी प्रकार से कुछ लोग भारतीयता से दूर भी होते जा रहे हैं। हालांकि इस निमित्त कई संस्थाएं भारतीय संस्कारों को जन जन में प्रवाहित करने के लिए प्रयास कर रही हैं। यही कार्य भारत के संत मनीषियों ने किया था, जिसके […]

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भारतीय संस्कृति समाज

मां को जैसा स्थान भारत में दिया गया है वैसा किसी अन्य देश में नहीं

  डॉ. वंदना सेन जिस प्रकार भगवान या दैवीय शक्ति के लिए सारी दुनिया एक है। उसी प्रकार भगवान द्वारा पैदा किए गए व्यक्ति भी एक ही परिवार के हिस्सा हैं। वह किसी भूमि या जाति की दीवारों में कैद नहीं होने चाहिए। भारत में सदियों से प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नारी को महाशक्ति […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

शिक्षक : संस्कारों का प्रकाश स्तंभ

पूर्व राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन की जयंती 5सितंबर : शिक्षक दिवस पर विशेष… ————————- हम भली भांति जानते हैं कि पुरातन काल में भारतीय गुरुकुलों में जो शिक्षा प्रदान की जाती थी, वह निश्चित रूप से बच्चों का समग्र विकास करने वाली ही थी। इतना ही नहीं वह शिक्षा विश्व स्तरीय ज्ञान का द्योतक भी थी, […]

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