* गांधी के कुटिल राष्ट्र घातक चिंतन कुविचारो का सर्वप्रथम वैचारिक बौद्धिक वध भगत सिंह ने ही किया। लेखक आर्य सागर खारी। मोहनदास करमचंद गांधी हाड मास का पुतला ही नहीं जैसा भौतिक विज्ञानी अल्बर्ट आइंस्टाइन ने उनके विषय में कहा था। गांधी अनेक दुर्गुण दोषो का भी पुतला थे। गांधी को परनिंदा करने में […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
लेखक :- ब्र० महादेव पुस्तक :- देश भक्तों के बलिदान प्रस्तुति :- अमित सिवाहा भारतवर्ष के राष्ट्रीय इतिहास में वीरवर भगतसिंह का जीवन और बलिदान युग – युगान्तरों तक तथा कोटि – कोटि पुरुषों को सत्प्रेरणा देता रहेगा । आप किशोर अवस्था से ही क्रांतिकारी आन्दोलन के अत्यन्त सम्पर्क में थे । इसका कारण आपके […]
* लेखक आर्य सागर खारी ✍ आज अमर शहीद भगत सिंह की जन्म जयंती है अधिकांश को इस विषय में इसलिए पता नहीं चल पाता क्योंकि आजादी से लेकर आज पर्यंत किसी भी सरकार द्वारा शहीद भगत सिंह की जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित नहीं किया गया है। ठीक आज से 4-5 दिन बाद 2 […]
* लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ (महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों अवलोकनार्थ लेख संख्या 25) जयपुर में महर्षि दयानन्द 4 मास ठहरे, सन 1865 व 1866 के मध्य। जयपुर के पंडितों को शास्त्रार्थ में पराजित करने के पश्चात दूर-दूर से लोग […]
लेखक आर्य सागर खारी ✍ (महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोंकनार्थ लेख संख्या 27) महर्षि दयानन्द स्वराष्ट्र, स्वभाषा, स्वभूषा ,स्वसंस्कृति ,स्वतंत्रता के प्रबलतम पक्षधर दिव्य राष्ट्र पुरूष थे। उनका संपूर्ण चिंतन कार्य जहां आध्यात्मिकता से युक्त था वही राष्ट्र उनके लिए […]
=========== महर्षि दयानन्द जी ने संस्कार विधि की रचना की है। इस ग्रन्थ में 16 संस्कारों को करने का विधान है। महर्षि ने लिखा है कि मनुष्यों के शरीर और आत्मा के उत्तम होने के लिए निषेक अर्थात् गर्भाधान से लेके श्मशानान्त अर्थात् अन्त्येष्टि-मृत्यु के पश्चात् मृतक शरीर का विधिपूर्वक दाह करने पर्यन्त 16 संस्कार […]
लेख संख्या 26 लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ (जगत-गुरु महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वी जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या 26) जिस कालखंड में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी का प्रवास जयपुर में हुआ उस समय भी जयपुर के राजा राम सिंह थे, […]
(विभूति नारायण ओझा -विनायक फीचर्स) एकात्म मानववाद मानव जीवन के सम्पूर्ण सृष्टि सम्बन्ध का दर्शन है। एकात्म मानववाद एक ऐसी धारणा है, जो सर्पिलाकार मण्डलाकृति द्वारा स्पष्ट की जा सकती है, जिसके केन्द्र में व्यक्ति, व्यक्ति से जुड़ा हुआ एक घेरा परिवार, परिवार से जुड़ा हुआ घेरा समाज, जाति फिर राष्ट्र, विश्व और फिर अनंत […]
१. ऋषि दयानन्द ‘सत्य’ को सर्वोपरि मानते थे। उनका दृढ़ विश्वास था कि – “जो सत्य है उसको सत्य और जो मिथ्या है उसको मिथ्या ही प्रतिपादित करना श्रेष्ठ है | सत्योपदेश के बिना अन्य कोई भी मनुष्य जाति की उन्नति का कारण नहीं ।” २. ऋषि संसार के सब मनुष्यों को एक ईश्वर का […]