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इतिहास के पन्नों से संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -17 क नन्हीं आंखों ने देखा बंटवारा

( जूम मीटिंग के माध्यम से चल रहे मेरे एक भाषण में जब मैंने देश विभाजन के समय की घटनाओं का उल्लेख किया और बताया कि किस प्रकार उस समय लगभग 20 लाख हिंदुओं को मार दिया गया था, तब उस मीटिंग में उपस्थित रहीं माताजी आर्या चंद्रकांता जी की आंखें सजल हो उठीं और […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -16 ख ‘वदतोव्याघात’ का उदाहरण-

“मुसलमानों का पराभव करने का अत्यंत अनुकूल अवसर प्राप्त होने पर भी प्रारंभ से ही हिंदुओं को ऐसा भय लगता रहा कि भ्रष्ट किए गए हिंदुओं को अथवा जन्मजात मुसलमानों को शुद्ध कर आज हमने यदि पुनः हिंदू बना लिया, तो उसके परिणामस्वरूप आस- पास के मुसलिम राज्य और लोग कल हम पर अधिक शक्ति […]

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देश का विभाजन और सावरकर : अध्याय 15 ख , सावरकर जी और ‘कोढ़ की बीमारी’

नेहरू जी और गांधी जी जैसे राष्ट्र निर्माता उस समय अनुनय विनय के साथ जूनागढ़ और हैदराबाद को एक अलग रियासत ( राष्ट्र ) मानते हुए अपने साथ जोड़ने का प्रयास कर रहे थे। जबकि सावरकर जी जैसे लोग इस बात को लेकर आंदोलित और व्यथित थे कि भारतीय राष्ट्र की भूमि के भीतर ही […]

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‘इंडिया’ की नाव डुबो सकती है आम आदमी पार्टी

सत्ताकेंद्रित राजनीति कभी राष्ट्र का भला नहीं कर सकती। जो राजनीति सत्ताकेंद्रित न होकर राष्ट्र केंद्रित हो जाती है वह राजनीति न होकर राष्ट्रनीति बन जाती है। उसी को राष्ट्र धर्म कहा जाता है । जब उसके प्रति ही समर्पित होकर नीतियां बनाई जाती हैं और उन्हें पूर्ण विवेक, पूर्ण संयम और पूर्ण संतुलन के […]

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देश का विभाजन और सावरकर : अध्याय 15 क निजाम हैदराबाद का देश विरोधी आचरण

‘सावरकर समग्र’ के खंड 6 के पृष्ठ संख्या 342 पर सावरकर जी तैमूर लंग के विषय में बताते हैं कि तैमूर लंग तुर्क था। प्रारंभ में उसने इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं किया था। उसने बगदाद को जीतने के पश्चात वहां के समस्त मुस्लिम ग्रंथों और अनेक स्थानों की मस्जिदों को जला डाला था। ईसवी सन […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -14 ख सुचेता कृपलानी की पीड़ित महिलाओं को सलाह

वे उनकी बातों को बीच में ही काटते हुए उन पर लगभग गरजते हुए बोलीं कि “मैं पंजाब और नोआखाली में सरेआम घूमती हूँ। मेरी तरफ तो कोई भी मुस्लिम गुंडा तिरछी निगाह से देखने की भी हिम्मत नहीं करता। क्योंकि मैं न तो भड़कीला मेकअप करती हूँ और ना ही लिपस्टिक लगाती हूँ। आप […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -14 क मालवीय, अंबेडकर और गांधीजी

इस्लाम के खूनी इतिहास को समझ कर भी उसके प्रति लापरवाह रहे गांधीजी लोगों के द्वारा बार-बार यह समझाने पर कि मुस्लिम किस प्रकार उनका अपमान कर रहे हैं ? हत्या कर रहे हैं और महिलाओं के साथ अत्याचार कर रहे हैं , अपनी मान्यताओं से तनिक भी हटने को तैयार नहीं थे। उनके बारे […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय 13 ऐसे बनी थी कांग्रेस और सावरकर के बीच दूरी

ब्रिटिश सरकार द्वारा जब 10 मई 1937 को सावरकर जी की बिना शर्त रिहाई हुई तो उस समय रत्नागिरी कांग्रेस कमेटी ने उनके स्वागत में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। यह वह दौर था जब कॉन्ग्रेस सावरकर जी जैसे राष्ट्रवादी नेता को अपने साथ खींचकर मिलाने के लिए लालायित थी। उस समय कांग्रेस के […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -12 (ख) सोहरावर्दी की देशद्रोही सोच

यह पूर्णतया सत्य है कि यदि सावरकर नहीं होते तो पाकिस्तान आज के बहुत बड़े भारत के भाग को ले जाने में सफल हो जाता। सावरकर की सोच पर काम करते हुए उस समय ऐसे अनेक हिंदू वीर रहे जिन्होंने देश के कई शहरों को या भागों को पाकिस्तान में जाने से रोकने में अपने […]

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देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -12 क गांधीजी की अहिंसा और सीधी कार्यवाही दिवस

सावरकर जी का स्पष्ट कथन था कि ‘अपनी कुलदेवी मां अष्टभुजा के चरणों में बैठकर शपथ लेता हूं कि मातृभूमि को विदेशियों से मुक्त कराने के लिए आजीवन सशस्त्र क्रांति का ध्वज लेकर जूझता रहूंगा ,चाहे इस प्रयास में हम तीनों भाइयों की भी वही नियति क्यों न हो जो चाफेकर बंधुओं की हुई।’ इतिहास […]

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