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संपादकीय

नये इसरायली संकट के निहित अर्थ और भारत

इसरायल और फिलिस्तीनियों के बीच दुश्मनी की आग दशकों पुरानी है। इसराइल के अस्तित्व को मिटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर षड़यंत्र चलते रहते हैं । जिनके चलते यह आग भीतर ही भीतर सुलगती ही रहती है। अनुकूल अवसर आते ही यह आग भड़क उठती है। अब भी ऐसा ही हुआ है। इस बार पूर्व नियोजित […]

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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -19 ख बालक चीखते रहे और वे काटते रहे

हम कई बालक उस समय ऐसे थे जो राक्षस बने उन हत्यारे मुसलमानों के पैरों तले पड़े चीत्कार कर रहे थे, परन्तु उन्होंने लगातार कत्लेआम जारी रखा। हमारी चीख-पुकार या रोने धोने का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वे निर्भय होकर पूरी बर्बरता के साथ अपना काम करते रहे। ऐसे लोगों के बारे में […]

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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -19 क बहनों की छातियों पर लिखा – “पाकिस्तान जिंदाबाद”

भारत विभाजन के समय लालकुर्ती दल का बड़ा आतंक था। ये लोग हिंदुओं को मारने काटने में बड़ी शीघ्रता दिखाते थे। सरगोधा की ओर से जो गाड़ियां फुल्लरवान की ओर आती थीं उनमें सादा वस्त्रों में सवार होकर लालकुर्ती दल के हत्यारे मुसलमान चढ़ जाते थे । आउटर सिग्नल आने पर ये लोग अपनी वास्तविक […]

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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -18 ख जोर-जोर से घंटा बजाने वाला वह व्यक्ति

बाद में वह उसी सीधे मार्ग से आगे बढ़े कई मुसलमान वहां पहले ही छिपे बैठे थे। वह उनका सब कुछ लूट ले गए। जैसे – तैसे वह सब जान बचाकर भागे, जोधपुर गांव बहुत बड़ा था। आसपास के कई गांवों के हिंदू वहां एकत्र थे। वहां मुस्लिम लोग भी बहुत थे। वह हिंदुओं के […]

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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -18 क दंगों का वह विकराल रूप

मेरा जन्म मुल्तान जिले के जस्सो कावेन गांव में हुआ था। मेरा वह गांव और शहर आज केवल यादों में शेष रह गए हैं। उनकी मिट्टी की सोंधी – सोंधी खुशबू आज तक मेरा पीछा कर रही है। अपने देश से उजड़ना और अपनी मिट्टी से बिछुड़ना कितना कष्टकर होता है ? यह वही लोग […]

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संपादकीय

संविधान और राष्ट्र विरोधी है जाति आधारित जनगणना

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राजनीतिक जीवन के अवसान पर हैं। पर जाते-जाते वह एक ऐसा बीज बो गए हैं जिस पर विनाश के फल लगेंगे। उन्होंने प्रदेश में जिस प्रकार जातिगत जनगणना कराई है, उससे राष्ट्रीय समाज कमजोर होगा। अब थोड़ा हम बिहार में संपन्न हुई जाति आधारित जनगणना के आंकड़ों पर विचार […]

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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -17 घ राहत शिविर की कठिनाइयां

हम सब उस राहत शिविर के खुले मैदान में चार मास तक रहे। दिनभर में एक परिवार को एक लोटा पानी और सदस्यों के हिसाब से आधी रोटी मिलती थी। पानी में नमक घोल कर उसके साथ रोटी खाते थे। दो घूंट पीने का पानी मिलता। गर्मी के दिन थे। हम सब दिन भर भूख […]

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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -17 ग मुसलमान मित्र की मानवता

हमारा मकान बहुत बड़ा था। बहुत बड़े आंगन में चारपाईयां डली हुई थीं। पिताजी इस बात को लेकर बहुत ही चिंतित और आशंकित रहते थे कि न जाने बदमाशों की कोई टोली कब घर में प्रवेश करने में सफल हो जाए ? और यदि वह इस प्रकार प्रवेश करने में सफल हो गई तो उससे […]

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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -17 ख पिताजी के बारे में…

मुझे अच्छी तरह याद है कि मेरे पूजनीय पिताश्री राणा सखीर चन्द जी कपूर मधियाना जिला झंग में मिडल स्कूल के प्राचार्य थे। समाज में उनका बड़ा सम्मान था। उन दिनों प्राचार्य के प्रति लोग विशेष श्रद्धा रखते थे। सभी लोग उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखते थे। घर में पूरी तरह शांति थी। समृद्धि […]

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इतिहास के पन्नों से संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -17 क नन्हीं आंखों ने देखा बंटवारा

( जूम मीटिंग के माध्यम से चल रहे मेरे एक भाषण में जब मैंने देश विभाजन के समय की घटनाओं का उल्लेख किया और बताया कि किस प्रकार उस समय लगभग 20 लाख हिंदुओं को मार दिया गया था, तब उस मीटिंग में उपस्थित रहीं माताजी आर्या चंद्रकांता जी की आंखें सजल हो उठीं और […]

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