Categories
आज का चिंतन

बंधु बांधवों, मित्रों, परिजनों की क्या पहचान बताते हैं आचार्य चाणक्य

चाणक्य नीति आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रुसंकटे। राजद्वारे श्मशाने च यात्तिष्ठति स बान्धवः।। यहां आचार्य चाणक्य बंधु-बांधवों, मित्रों और परिवारजनों की पहचान बताते हुए कहते हैं कि रोग की दशा में‒जब कोई बीमार होने पर, असमय शत्रु से घिर जाने पर, राजकार्य में सहायक रूप में तथा मृत्यु पर श्मशान भूमि में ले जाने वाला […]

Categories
आज का चिंतन

संसार में सभ्यता और आनंद के साथ रहना चाहिए : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

. “थोड़े दिन का जीवन है, कोई हजारों साल यहां नहीं रहेगा। इसलिए सभ्यता से रहना चाहिए, और आनंद से जीवन जीना चाहिए।” आजकल लोगों में सहनशक्ति बहुत घटती जा रही है। छोटी-छोटी बातों पर गर्मा-गर्मी हो जाती है। “लोग गुस्सा कर लेते हैं। लड़ाई झगड़ा कर लेते हैं। गाली गलौच करते हैं। मारपीट करते […]

Categories
आज का चिंतन

संसार में बुराई का बोलबाला अधिक होने से लोग बुरे लोगों की नकल करते हैं : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

“संसार में बुराई का बोलबाला अधिक है, इसलिए लोग, बुरे लोगों की नकल अधिक करते हैं। अच्छाई को प्रोत्साहन कम मिलता है, इसलिए लोग अच्छा बनने में संकोच करते हैं।” इस संसार में अच्छाई भी चलती है, बुराई भी चलती है। दोनों अनादि काल से चल रही हैं, और आगे भी अनंत काल तक चलती […]

Categories
आज का चिंतन

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने आखिर किस मनु का विरोध किया है ?

✍🏻 लेखक – डॉ० सुरेन्द्रकुमार ( मनुस्मृति भाष्यकार एवं समीक्षक ) 📚 आर्य मिलन 🌹 ( अ ) डॉ० अम्बेडकर का मनु प्राचीन मनुओं से भिन्न है : डॉ० भीमराव अम्बेडकर ने अपने साहित्य में अनेक स्थलों पर ‘ मनु ‘ का नाम लेकर कटु आलोचना की है । ऐसी स्थिति में प्रश्न उठता है […]

Categories
आज का चिंतन

हमारे लिए वायु का क्या महत्व है ?

श्वास हमें किस प्रकार पवित्र करते हैं? मरुतः पिबत ऋतुना पोत्राद् यज्ञं पुनीतन। यूयं हि ष्ठा सुदानवः । ऋग्वेद मन्त्र 1-15-2 (मरुतः) वायु, श्वास (पिबत) पीना (ऋतुना) उचित प्रकार से, ऋतुओं के अनुसार (पोत्रात्) पवित्र करने वाले (यज्ञम्) त्याग (पुनीतन) पवित्र कर दो (यूयम्) आप (हि) निश्चय से (स्था) हो (सुदानवः) बुराईयों के नाशक, प्रत्येक […]

Categories
आज का चिंतन

जातिवाद का जहर बोते पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद

    पुरी शंकराचार्य निश्चलानंद जैसे लोग आज शंकराचार्य जैसे पद पर बैठकर जातिवाद और रूढ़ीवाद फैला रहें हैं, वे जन्मना जातिव्यवस्था का प्रचार करते हैं, शूद्रों को पढ़नें का अधिकार नहीं है, शूद्रों को मंदिर में प्रवेश करनें का अधिकार नहीं है, छुआछूत शास्त्र सम्मत है इस तरह की भ्रांतियां फैला रहें हैं जिसनें […]

Categories
आज का चिंतन

माता पिता अपने बच्चों को आत्मनिर्भर और पुरुषार्थी बनाएं, पराधीन और आलसी नहीं : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

“अपने बच्चों को आत्मनिर्भर तथा पुरुषार्थी बनाएं। पराधीन और आलसी नहीं।” हो सकता है, आप धनवान व्यक्ति हों। आपके घर में बहुत संपत्ति हो। कुछ नौकर चाकर भी हों। और वे आपका सब काम कर सकते हों, करते भी होंगे। “परंतु जैसे आप पुरुषार्थी हैं, अपना बहुत सा कार्य स्वयं करते हैं। अपने काम की […]

Categories
आज का चिंतन

गुरुकुल में समिधा हाथ में लेकर शिष्य गुरु के पास क्यों जाता था ?

“समिधा गीली होने अथवा दोषयुक्त होने से कभी अग्नि को धारण नहीं कर सकती। आचार्य के पास जाकर उनकी ज्ञानाग्नि में स्वयम् को जलाए बिना उन जैसा बन पाना सम्भव नहीं और उसके लिये श्रद्धा और मेधा का होना अत्यावश्यक है।” अग्ने समिधमाहार्षं बृहते जातवेदसे। स मे श्रद्धां च मेधां च जातवेदाः प्र यच्छतु।। -अथर्व०१९।६४।१ […]

Categories
आज का चिंतन पर्यावरण

मनुष्य की ही तरह पशु पक्षियों को भी जीने का अधिकार है

ओ३म् ====== परमात्मा ने संसार में जीवात्माओं के कर्मों के अनुसार अनेक प्राणी-योनियों को बनाया है। हमने अपने पिछले जन्म में आधे से अधिक शुभ व पुण्य कर्म किये थे, इसलिये ईश्वर की व्यवस्था से इस जन्म में हमें मनुष्य जन्म मिला है। जिन जीवात्माओं के हमसे अधिक अच्छे कर्म थे, उन्हें अच्छे माता-पिता व […]

Categories
आज का चिंतन

अपने बच्चों को आत्मनिर्भर और पुरुषार्थी बनाएं, पराधीन और आलसी नहीं : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

हो सकता है, आप धनवान व्यक्ति हों। आपके घर में बहुत संपत्ति हो। कुछ नौकर चाकर भी हों। और वे आपका सब काम कर सकते हों, करते भी होंगे। “परंतु जैसे आप पुरुषार्थी हैं, अपना बहुत सा कार्य स्वयं करते हैं। अपने काम की जिम्मेदारी को समझते हैं। इसी प्रकार से अपने बच्चों को भी […]

Exit mobile version