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आज का चिंतन

श्रावण माह में श्रीमद वेद भागवत कथाएं सुनना होता है उपयोगी : आचार्य करण सिंह

आचार्य करण सिंह नोएडा “श्रीमद् वेदभागवत की कथा पढ़ो- सुनो”– वेद में उपदेश है-‘सं श्रुतेन गमेमहि मा श्रुतेन विराधिषि।।अथर्व• भावार्थ- हे परमेश्वर! हम सदा वेद मार्ग पर चलें कभी वेद से विमुख न हो। भारत के प्रसिद्ध महाकवि तुलसीदास जी ने भी मनुष्य को संदेश दिया है- चलहि° कुपन्थ वेद मग छाडे, कुटिल कुचाली कलि […]

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सुखी जीवन जीने के लिए संस्कारी संतान होना आवश्यक है : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

“यदि आप लोग स्वयं सुखी होना और अपने गृहस्थ जीवन को सफल बनाना चाहते हैं, तो इन कार्यों को करते हुए अपनी संतान को भी संस्कारी बनाएं।” “अच्छे काम करने से व्यक्ति सुखी होता है, और बुरे काम करने से वह दुखी होता है।” मोटे तौर पर इस बात को सभी लोग जानते हैं। फिर […]

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क्या आप तीन अनादि पदार्थों को जानते हैं ?

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हम संसार में जन्म लेकर आंखों से अपने सम्मुख विचित्र संसार को देखते हैं तो इसकी सुन्दरता एवं विविध पदार्थों को देखकर उन पर मुग्ध हो जाते हैं। यह संसार किससे, कब व कैसे बना? ऐसे प्रश्न बुद्धिमान व कुछ ज्ञान रखने वाले मनुष्य के मन में उपस्थित होते हैं। इसका […]

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महान शिक्षाविद ईश्वर चंद्र विद्यासागर के जीवन का एक प्रेरक प्रसंग

  !! स्वावलंबन !! पूण्य तिथि विशेष : महान शिक्षाविद, विद्वान, और समाज सुधारक ईश्वरचन्द्र विद्यासागर (26.09.1820 – 29.07.1891) विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर, 1820 को मेदिनीपुर में एक निर्धन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह स्वतंत्रता सेनानी भी थे। ईश्वरचंद्र को गरीबों और दलितों का संरक्षक माना जाता था। उन्होंने नारी शिक्षा और विधवा […]

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अतीत की दुखदाई घटनाओं को बार-बार याद नहीं करना चाहिए : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

“भूतकाल की दुखदायक घटनाओं को बार-बार याद न करें। दूसरों से आशाएं कम रखें। इससे आप सुखी रहेंगे।” कुछ काम सुख बढ़ाने वाले होते हैं, और कुछ काम दुख बढ़ाने वाले होते हैं। इसलिए हमें ऐसे काम करने होंगे, जिससे हमारा सुख बढ़े, और दुख कम हो। सुख दुख की घटनाएं सबके जीवन में होती […]

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प्रत्येक हाथी के मस्तक में मणि नहीं होती

चाणक्य नीति शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे। साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने।। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि न प्रत्येक पर्वत पर मणि-माणिक्य नही प्राप्त होते , न प्रत्येक हाथी के मस्तक में मणि नहीं होती है, साधु पुरुष भी सब जगह नहीं मिलते। इसी प्रकार सभी वनों में […]

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मनुष्य की उलझन और ‘मैं’ और ‘मेरा’ का समाधान

  मनुष्य ब्रह्म और काया को देख अथवा समझ नहीं पाता । प्रश्न क्यों नहीं विमोचन या देख पाता? उत्तर क्योंकि शरीर में छिपा हुआ चेतन एवं विभू दिखाई नहीं देते। लेकिन चेतन चेतना करता रहता है अर्थात् चेतावनी देता रहता है ,परंतु विषय भोगों में फंसकर मनुष्य चेतावनी को अर्थात चेतन की चेतना को […]

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वास्तव में सच्चा गुरु कौन है ?

भारतवर्ष में गुरु के प्रति श्रद्धा रखना प्राचीन काल से एक संस्कार के रूप में मान्यता प्राप्त किए हुए हैं। संसार में आने पर सबसे पहला गुरु माता होती है जो हमारे पिता से भी हमारा परिचय कराती है ।संसार के सभी संबंधों का ज्ञान हमें माता से होता है । दूसरा गुरु पिता होता […]

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गुरुओं का भी गुरु परमपिता परमेश्वर है

सृष्टि के प्रारंभ में ईश्वर ने ब्रह्मा (ईश्वर की सृष्टि संरचना के ज्ञान होने के कारण उसे ब्रह्मा कहते हैं)के माध्यम से अग्नि, वायु, आदित्य , अंगिरा नामक चारों ऋषियों को ज्ञान दिया ।वेदों में ज्ञान, कर्म और उपासना (त्रिविद्या) का विस्तृत विवरण उपलब्ध है। जो मनुष्य के संसार रूपी सागर को पार करने के […]

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विश्व में ईश्वरीय ज्ञान वेद का धारक रक्षक और प्रचारक केवल आर्य समाज है

ओ३म् ========== प्रश्न क्या परमात्मा है? क्या वह ज्ञान से युक्त सत्ता है? क्या उसने सृष्टि की आदि में मनुष्यों को ज्ञान दिया है? यदि वह ज्ञान देता है तो वह ज्ञान उसने कब किस प्रकार से मुनष्यों को दिया था? इन प्रश्नों पर विचार करने पर उत्तर मिलता है कि परमात्मा का अस्तित्व सत्य […]

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