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आज का चिंतन

देहरादून में ऋग्वेद-यज्ञ एवं वेद-कथा का 5 दिवसीय आयोजन”

ओ३म् ========== वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून के यशस्वी मंत्री जी श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी देहरादून के दून विहार क्षेत्र में निवास करते हैं। वह अपने निवास पर प्रत्येक वर्ष सितम्बर के महीने में वेद पारायण यज्ञ सहित एक वैदिक विद्वानों, वैदिक पुरोहितों तथा भजनोपदेशकों को बुलाकर पांच दिनों का आयोजन रखते हैं। इस […]

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आज का चिंतन उगता भारत न्यूज़

परमेश्वर को हृदय सौंप दो : देव मुनि

ग्रेनो ( विशेष संवाददाता) गुरुकुल मुर्शदपुर में चल रहे यज्ञ पर उपस्थित लोगों को यज्ञ के प्रति समर्पित भाव रखने के लिए प्रेरित करते हुए आर्य समाज जनपद गौतम बुद्ध नगर के स्तंभ देव मुनि जी ने कहा कि जब हम परमपिता परमेश्वर की गोद में बैठें तो उससे अपना सीधा और सरल संवाद स्थापित […]

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परमपिता परमेश्वर से भावों को उज्जवल करने की प्रार्थना नित्य करते रहो : स्वामी चित्तेश्वरानंद जी महाराज

ग्रेटर नोएडा। यहां पर गुरुकुल मुर्शदपुर में चल रहे 21 दिवसीय वेद पारायण यज्ञ में बोलते हुए आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान स्वामी चित्तेश्वरानंद जी महाराज ने उपस्थित लोगों का मार्गदर्शन करते हुए अपने प्रवचन में कहा कि प्रतिदिन संध्या के उपरांत परम पिता परमेश्वर से भागों को उज्जवल करते हुए प्रार्थना करनी चाहिए कि […]

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आज आवश्यकता है स्वामी दयानंद के राष्ट्रवादी चिंतन को प्रस्तुत करने की : आचार्य विद्या देव

ग्रेनो। ( विशेष संवाददाता ) चतुर्वेद पारायण यज्ञ में अपने विचार व्यक्त करते हुए आर्य समाज के महान विद्वान आचार्य विद्या देव ने कहा कि महाभारत काल के बाद देश में अज्ञानता के कारण अन्धविश्वास व कुरीतियां उत्पन्न होने से देश निर्बल हुआ। जिस कारण समय समय पर उसके कुछ भाग पराधीन होते रहे। देश […]

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बहुत ही व्यापक और गहरा अर्थ है गायत्री मंत्र का

गायत्री मन्त्र: ओ3म् भूर्भुव:स्व:। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। घियो यो न: प्रयोदयात।। गायत्री मन्त्र में प्रथम जो (ओ3म) है यह ओंकार शब्द परमेश्वर का सवार्वेत्तम नाम है, क्योंकि इसमें जो अ, उ और म् अक्षर मिलकर एक (ओ3म्) समुदाय हुआ है, इस एक ओ3म् नाम से परमेश्वर के बहुत नाम आते हैं जैसे-अकार से विराट्, […]

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शिव पुराण की पार्वती से रामायण की सीता तक का पतिव्रत धर्म की विवेचना

आचार्य डा. राधे श्याम द्विवेदी शिव पुराण के रुद्र संहिता तृतीय पार्वती खण्ड के अध्याय 54 में राजा हिमवान की पत्नी मेना की इच्छा के अनुसार एक ब्राह्मण-पत्नी द्वारा शिव पार्वती विवाह के उपरान्त पार्वती जी को पतिव्रत धर्म का उपदेश दिलाया गया है। इसी को बाद में तुलसी दास जी ने राम चरित मानस […]

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“प्रातः सायं ईश्वर की उपासना करना मनुष्य का अनिवार्य धर्म है”

ओ३म् ========= मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। हम मननशील हैं, अतः हमारा प्रमुख कार्य मननपूर्वक सभी कार्यों को करना है। मनुष्य संसार में आता है तो वह संसार को देख कर जिज्ञासा करता है कि यह संसार किसने बनाया है? सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, ग्रह-उपग्रह तथा लोक लोकान्तर किसने बनाये हैं? पृथिवी पर वायु, जल, […]

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आलोचना निंदा और समीक्षा के विभिन्न आयाम

चिंतन आलोचना ,समीक्षा और निंदा यह तीनों शब्द समानार्थक से प्रतीत होते हैं यद्यपि तीनों शब्दों में मौलिक अंतर है। तीनों शब्दों का एक विस्तृत आयाम है। एक शब्द होता है लोचन, उसी से जब ‘आ’ प्रत्यय हुआ तो वह आलोचन हो गया। लोचन का अर्थ है देखना। इसी से आलोचना शब्द की उत्पत्ति होती […]

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हमारे जीवन में गुरु का महत्व

सब धरती कागद करूँ लेखनी सब बन राय ॥ सात समुन्द्र की मसि करूँ , गुरु गुण लिखा न जाय ॥ तीन लोक नौ खण्ड में गुरु से बड़ा न कोय। करता करे ना करि सकै , गुरु करे सो होय ॥ (वाणी कवीर साहिब) ‘गुरुदेव ‘ का अर्थ जो अन्धकार से प्रकाश में ले […]

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“हीरों की बारिश”

_______________ पृथ्वी पर जो असंभव है, अंतरिक्ष में वह संभव है| पृथ्वी से 9 गुना बड़ा 54 गुना भारी हमारे सौरमंडल का दूसरा सबसे भारी ग्रह शनि जो सूर्य से 140 करोड़ किलोमीटर दूर है |उसे लगभग 30 साल लग जाते हैं सूर्य का एक चक्कर लगाने में… लेकिन शनि ग्रह की विचित्रता विशालता का […]

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