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आज का चिंतन

“अद्वितीय महापुरुष योगेश्वर कृष्ण का जीवन आदर्श व अनुकरणीय है”

ओ३म् -कृष्ण जन्माष्टमी पर्व 18 अगस्त, 2022 पर- =========== मनुष्य का जन्म आत्मा की उन्नति के लिये होता है। आत्मा की उन्नति में गौण रूप से शारीरिक उन्नति भी सम्मिलित है। यदि शरीर पुष्ट और बलवान न हो तो आत्मा की उन्नति नहीं हो सकती। आत्मा के अन्तःकरण में मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार यह […]

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पूर्णमदः पूर्णमिदम् पूर्णात् पूर्णमुदच्यते । पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥

बचपन में जो चीज़ें सबसे अनोखी लगती हैं, उनमें से एक होती है परछाई | कभी लम्बी हो जाती है, कभी छोटी हो जाती है | धुप निकले तो होती है, कभी कभी नहीं भी होती है | कई बच्चे अपनी परछाइयों से ही खेलते बड़े होते हैं | परछाई वैज्ञानिक चीज़ है | परछाई […]

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“देश में जन्मना जाति व्यवस्था लगभग 1350 वर्ष पूर्व आरम्भ हुई”

ओ३म् ========= वेद मनुष्य के गुण, कर्म व स्वभाव को महत्व देते हैं। जो मनुष्य श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव वाला है वह द्विज और गुण रहित व अल्पगुणों वाला है उसे शूद्र कहा जाता है। द्विज ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य को कहते हैं जो गुण, कर्म व स्वभाव की उत्तमता से होते हैं। ब्राह्मण […]

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क्‍या आप जानते हैं अपनी छाया को ?

हमारे शरीर की अपनी छाया होती है और अपने आसपास बनी रहती है। प्रकाश होने पर भूतल पर तो छाया होती है ही, किंतु वह परछाई होती है और जो शरीर के चतुर्दिक ध्‍यानपूर्वक अवलोकित होती है, वह छाया है। इसको ‘प्रभामण्‍डल’ कहा जा सकता है। आज की भाषा में ओरा। इसका कदाचित पहला शास्‍त्रीय […]

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होश आने पर आदमी पछताता है अपने किए गए कर्मो पर : स्वामी विवेकानंद

प्रत्येक व्यक्ति प्रसन्न रहना चाहता है। बचपन और जवानी में तो वह पढ़ाई लिखाई खेलकूद नौकरी व्यापार इत्यादि अपने लौकिक कामों में ही उलझा रहता है। और उसी में असली सुख समझता है। “परन्तु जब प्रौढ़ावस्था आती है, अर्थात जब उम्र 40 वर्ष के आसपास या उससे अधिक हो जाती है, तब उसे जीवन जीने […]

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आर्य समाज की श्री कृष्ण जी के बारे में मान्यता

श्री कृष्ण और आर्यसमाज #डॉ_विवेक_आर्य लाला लाजपत राय ने अपने श्रीकृष्णचरित में श्रीकृष्ण के सम्बन्ध में एक बड़ी विचारणीय बात लिखी है- “संसार में महापुरुषों पर उनके विरोधियों ने अत्याचार किये,परन्तु श्रीकृष्ण एक ऐसे महापुरुष हैं जिन पर उनके भक्तों ने ही बड़े लांछन लगाये हैं।श्रीकृष्णजी भक्तों के अत्याचार के शिकार हुए हैं व हो […]

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सर्वांतर्यामी ओम ही सर्वोपरि है

स्वामी विद्यानंद सरस्वती (पूर्व नाम प्रिंसिपल लक्ष्मी दत्त दीक्षित जी हैं ), ने अपनी पुस्तक “खट्टी मीठी यादें” में पृष्ठ 95 से 97 तक इस विषय पर लिखा है, “मेरे प्रिंसिपल बनने के बाद सन 1959 ईस्वी में कॉलेज का पहली बार गणतंत्र दिवस मनाया गया । परंपरा के अनुसार उस दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराया […]

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आर्य समाज के प्रचारक तथा प्रचार कार्य

महर्षि दयानन्द सरस्वती के जीवन काल ( सन् १८८३ तक ) में उन संन्यासियों तथा प्रचारकों की संख्या बहुत कम थी , जो वैदिक धर्म के प्रचार तथा आर्यसमाजों की स्थापना में तत्पर हों । इस काल में आर्यसमाज का जो भी प्रचार व प्रसार हुआ , वह प्रायः महर्षि के ही कर्तृत्व का परिणाम […]

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“सनातन विद्या से साइबर सिक्योरिटी”

उगता भारत ब्यूरो जी हाँ, शास्त्रों में एक ऐसी भी विद्या है जिससे आप अपने pin को सुरक्षित और गोपनीय रख सकते हैं, उस विद्या का नाम है “कटपयादी सन्ख्या विद्या” कटपयादि संख्या हम में से बहुत से लोग अपना Password, या ATM PIN भूल जाते हैं इस कारण हम उसे कहीं पर लिख कर […]

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जिसमे चातक सी चाहत है उसके लिए प्रेम मोती है

प्रेम ,सेवा और त्याग , मानव जीवन का है राग . माया जनित अज्ञानता के विकारों के कारण हम इस मूल राग को भूल गये हैं . यही दुःख का कारण है . प्रेम अंतःकरण की खामोश चेतना है , जिसकी सर्वोत्तम अभिव्यक्ति मौन है . रवीन्द्रनाथ टैगोर ने यूँ ही थोड़े कहा है कि […]

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