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आज का चिंतन

सृष्टि या ब्रह्माण्ड रचना विषय:

सृष्टि या ब्रह्माण्ड रचना विषय: (1) प्रश्न :- ब्रह्माण्ड की रचना किससे हुई ? उत्तर :- ब्रह्माण्ड की रचना प्रकृत्ति से हुई । (2) प्रश्न :- ब्रह्माण्ड की रचना किसने की ? उत्तर :- ब्रह्माण्ड की रचना निराकार ईश्वर ने की जो कि सर्वव्यापक है । कण कण में विद्यमान है । (3) प्रश्न :- […]

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ओ३म् “वैदिक धर्म की महत्वपूर्ण देन ईश्वर-जीव-प्रकृति के अनादित्व सहित सृष्टि के प्रवाह से अनादि होने का सिद्धान्त”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हम इस पृथिवी पर रहते हैं। यह पृथिवी हमारे सौर मण्डल का एक ग्रह है। ऐसे अनन्त सौर्य मण्डल इस ब्रह्माण्ड में हैं। इस सृष्टि व ब्रह्माण्ड को किसने बनाया है? इसका समुचित उत्तर विश्व के वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है। वेद और वैदिक धर्म के अनुयायी ऋषि-मुनि व वैदिक […]

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वेद में पाप और क्षमा

शंका:- जब ईश्वर पाप को क्षमा नहीं करता तो फिर ये स्तुति व प्रार्थना किस एतबार से ईश्वर करवा रहा है अपने भक्त से क्या ईश्वर भक्तों को भ्रम में रखना चाहता है ? समाधान:- सर्वप्रथम आपने जो अर्थ दिया है इसे पूरा कर लेते हैं ताकि समझने में सरलता हो। अव नो वृजिना शिशीह्यृचा […]

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हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास।

सुंदरकांड पढ़ते हुए 25 वें दोहे पर ध्यान थोड़ा रुक गया । तुलसीदास जी ने सुन्दर कांड में, जब हनुमान जी ने लंका मे आग लगाई थी, उस प्रसंग पर लिखा है – हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास। अट्टहास करि गर्जा कपि बढ़ि लाग अकास।। अर्थात : जब हनुमान जी ने लंका को […]

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जीवन में जीतने वाले बनो, आलसी नहीं

संसार में कुछ लोग आलसी देखे जाते हैं, और कुछ पुरुषार्थी। *”जो लोग आलसी होते हैं वे परिवार समाज और देश में अव्यवस्थाओं को देखकर सदा दोष ही निकालते रहते हैं। और कहते रहते हैं, कि “यहां ऐसा होना चाहिए, वहां ऐसा होना चाहिए, देश में ऐसा होना चाहिए समाज में ऐसा होना चाहिए।” परन्तु […]

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आज का चिंतन हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् “ऋषि दयानन्द संसार के अद्वितीय महान् युगपुरुष”

========== जीवात्मा एक अत्यन्त अल्प परिमाण वाली चेतन सत्ता है। यह अल्प ज्ञान एवं अल्प शक्ति से युक्त होती है। इसका स्वभाव व प्रवृत्ति जन्म व मरण को प्राप्त होना है। जीवात्मा में मनुष्य व अन्य प्राणी-योनियों में जन्म लेकर कर्म करने की सामथ्र्य होती है। मनुष्य योनि में जन्म का कारण इसके पूर्वजन्म व […]

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किसी को पता नहीं कि कल का उगता हुआ सूरज मैं देख भी पाऊंगा या नहीं

*”कल सुबह का सूर्योदय कौन देखेगा, और कौन नहीं?”* इस बात का किसी को भी कोई पता नहीं है। यानि *”मृत्यु कभी भी आ सकती है।”* यह एक सत्य है, जिसे वास्तविक रूप से जानने वाले लोग संसार में बहुत कम हैं। *”इस बात को शाब्दिक रूप से जानने वाले लोग तो संसार में बहुत […]

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वेद और वेद की कर्म फल व्यवस्था

वैदिक कर्मफल व्यवस्था सुख दुख का कारण मनुष्य के कर्म (काम या कार्य) हैं, ग्रह नहीं। मनुष्य जैसा काम करता है वैसा ही फल पाता है। ऐसा काम जिससे किसी का भला हुआ हो उसके बादले में ईष्वर की व्यवस्था से सुख प्राप्त होता है और ऐसा काम जिससे किसी का बुरा हुआ हो उसके […]

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सप्त ऋषि क्या होता है? सप्त ऋषि किसको कहते हैं?

हमारे शरीर में सप्तर्षियों का स्थान कहाँ-कहाँ पर है? आईये, इसका अध्ययन यजुर्वेद, अथर्ववेद सत्यार्थ प्रकाश वैदिक संपदा एवं संध्योपासन विधि आदि आर्ष साहित्य का संहत, समेकित एवं तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार निम्न प्रकार करते हैं। सप्त ऋषि प्रतिहिता:शरीरे सप्त रक्षन्ति सदमप्रमादं‌ । सप्ताप: स्वपतो लोकमीयुस्तत्र जागृतों अस्वपनजौ सत्रसदौ च देवौ। यजुर्वेद 34 /55 पदार्थ- […]

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ओ३म्* *🌻ईश्वर और मनुष्यों के कार्यों में अंतर🌻*

* एक बार एक मौलाना ने कहा था कि’आप ईश्वर,जीव और प्रकृति को अनादि और अनंत मानते हैं और साथ ही यह भी कहते हैं,कि ईश्वर इस सृष्टि की रचना प्रकृति से करता है।यदि ऐसा मान लिया जाये तो फिर ईश्वर और मनुष्य के कार्यों में कोई विषेश अन्तर दृष्टिगोचर नहीं होता। यदि आप किसी […]

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