२३ दिसंबर १९२६, अपने छोटे से आवास पर एक आर्य (हिंदू) सन्यासी रोग शैय्या पर औषधि का सेवन करके शांत अवस्था में लेटे हुए थे। अचानक आवास की सीढ़ियों पर कुछ हलचल हुई और एक व्यक्ति प्रकट हुआ। यह कोई विशेष बात नहीं थी रोगी संयासी से बहुधा लोग मिलने आ ही जाते थे। सन्यासी […]
