किसी भी आर्थिक गतिविधि में सामान्यतः पांच घटक कार्य करते हैं – भूमि, पूंजी, श्रम, संगठन एवं साहस। हां, आजकल छठे घटक के रूप में आधुनिक तकनीकि का भी अधिक इस्तेमाल होने लगा है। परंतु पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं में चूंकि केवल पूंजी पर ही विशेष ध्यान दिया जाता है अतः सबसे अधिक परेशानी, श्रमिकों के शोषण, […]
महीना: अप्रैल 2022
. [भाग ३] हिंदू लोग, विशेषकर हिंदू बुद्धिजीवी वर्ग, अपने पर हो रहे चहुंमुखी बौद्धिक हमलों के विरुद्ध किसी ठोस वैचारिक अभियान चलाने या बौद्धिक हमलों का बौद्धिक प्रत्युत्तर देने में प्रायः निष्क्रिय रहा है. स्वयं के विरुद्ध किए गए किसी के मनगढंत दावे, विवरण या सफेद जूठ को देखकर भी उसे हल्के में लेकर […]
शिवाजी की शमशीरें, जयसिंह ने ही रोकी थीं, पृथ्वीराज की पीठ में बरछी, जयचंदों नें घोपी थी । हल्दीघाटी में बहा लहू, शर्मिंदा करता पानी को, राणा प्रताप सिर काट काट, करता था भेंट भवानी को। राणा रण में उन्मत्त हुआ, अकबर की ओर चला चढ़ के, अकबर के प्राण बचाने को, तब मानसिंह आया […]
*राष्ट्र चिंतन* *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* ==================== उद्धव ठाकरे और बाल ठाकरे में वास्तविक अंतर क्या है? बाल ठाकरे अपने विचारों में अटल थे, स्पष्टवादी थे और प्रखर भी थे। उनके लिए सत्ता महत्वपूर्ण थी, उनके लिए हिन्दुत्व ही महत्वपूर्ण था। हिन्दुत्व को लेकर वे कभी समझौता नहीं किये। सत्ता में बैठना उन्हें पंसद नहीं था। […]
कृष्ण को शेषनाग पर करते हुए नृत्य हमने देखा , बल खाती माथे पर पड़ गई एक हमारे रेखा । किस मूर्ख ने कर डाली है यह शरारत गहरी ? आओ ! सच को समझें, क्या है इसका लेखा ? सचमुच लोगों ने हमारे महापुरुषों के साथ पता नहीं क्या-क्या जोड़ दिया है ? जिसे […]
डॉ. विवेक आर्य भारतीयों के साथ पिछले 1200 वर्षों से घोर अत्याचार होता आया है। पहले इस्लामिक शासन काल रहा फिर अंग्रेजी शासन काल रहा। इस्लामिक शासन जहाँ तलवार और जबरन धर्म परिवर्तन से आगे बड़ा। वही ईसाई शासन काल में इनके अतिरिक्त बौद्धिक अतिक्रमण मुख्य रणनीति का हिस्सा था। इस बौद्धिक अतिक्रमण का मुख्य […]
यदि हम भारतीय राष्ट्रवाद के विषय में भारत में रहकर ही चिंतन करें और भारत के प्राचीन साहित्य को खंगालने या उसकी पड़ताल करने का प्रयास करें तो पता चलता है कि वेदों में ही ऐसे अनेकों मंत्र हैं जिनमें राष्ट्रवाद के चिंतन को मानव मस्तिष्क में भरने का भारत सृष्टि के पहले दिन से […]
यजुर्वेद का 24 वां अध्याय प्राणी शास्त्र के नाम से जाना जाता है। इस अध्याय में 337 प्रकार के पशु पक्षियों का वर्णन मिलता है। जगत में आने वाले प्राकृतिक उत्पातो आपदाओं का ज्ञान पशु पक्षियों को स्वाभाविक रूप से शीघ्र हो जाया करता है। इसके अतिरिक्त यह भी विचारणा एवं जानना आवश्यक है कि […]
ग्रेटर नोएडा। (अजय कुमार आर्य) उगता भारत समाचार पत्र की ओर से आयोजित किए गए यजुर्वेद पारायण यज्ञ के कुल 7 सत्र चले। जिनमें प्रत्येक सत्र में एक से बढ़कर एक वैदिक विद्वान भजनोपदेशक के माध्यम से लोगों का श्रेष्ठतम मार्गदर्शन किया गया। 15 अप्रैल के उद्घाटन सत्र में दीप प्रज्वलन का कार्य तहसीलदार दादरी […]
उगता भारत समाचार पत्र के अनेक पाठक जब हमें ऐसी प्रतिक्रिया देते हैं कि यह समाचार पत्र एक मिशन है, जो मां भारती की सच्ची सेवा कर रहा है तो निश्चय ही वैसी ही प्रसन्नता होती है जैसी किसी किसान को अपनी लहलहाती फसल को देखकर प्रसन्नता होती है। राष्ट्रवाद की बयार को और भी […]