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राजनीति

नेहरू जी गांधीवादी थे या छद्म माक्र्सवादी?

प्रो. देवेन्द्र स्वरूपअंग्रेजी साप्ताहिक मेनस्ट्रीम का ताजा अंक (18 जुलाई) पढऩे लायक है। इस अंक की पूरी सामग्री का संयोजन 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की अभूतपूर्व विजय और उसमें से निकली नरेन्द्र मोदी की केन्द्रीय सरकार को असफल बताने के लिए किया गया है। मैं मेनस्ट्रीम का बहुत लंबे समय से नियमित पाठक […]

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आओ कुछ जाने

आइये जानें भारत विश्व गुरू क्यों था?

1.शतरंज के खेल की खोज भारत मे हुई थी।2.भारत ने अपने इतिहास में किसी भी देश पर कब्जा नहीं किया।3.अमरिका के जेमोलोजिकल संस्थान के अनुसार 1896 तक भारत ही केवल हीरो का स्त्रोत था।4.भारत 17वीं सदी तक धरती पर सबसे अमीर देश था इसलिए यह सोनेकी चीडिय़ा कहलाता था।5.भारत में हीं संख्या पद्धति का आविष्कार […]

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बिखरे मोती

जब भी बोलें सोच समझकर बोलें

बिखरे मोती भाग-66 गतांक से आगे…. परमात्मा ऐसे सत्पुरूषों के भण्डारी की स्वयं रक्षा करते हैं। इसीलिए वेद कहता है- ‘‘शतहस्त समाहर: सहस्रहस्तं सं किर:’’ अथर्ववेद 3/24/5 श्रद्घा देयम् अश्रद्घया देयम् , मिया देयम् , हिृया देयम् संविदा देयम् (तैत्तिरीय उपनिषद) अर्थात श्रद्घा से दे, अश्रद्घा से दे, भय से दे, लज्जा से दे, वचन […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

संबंध समाप्ति का सूचक है कृतघ्नता और विश्वासघात

समूचा संसार दो तरह के लोगों से भरा पड़ा है- कृतज्ञ और कृतघ्न। जो लोग अपने पर किए हुए अहसान का बदला चुकाने को सदैव तैयार रहते हैं,उपकारी के प्रति आदर-सम्मान और दिली भावना रखते हैं तथा अवसर आने पर उन लोगों का धन्यवाद अदा करना नहीं भूलते जिनसे उन्हें किसी न किसी रूप में […]

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राजनीति

वीर सावरकर के वारिस बने नरेन्द्र मोदी

राकेश कुमार आर्य स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने ‘क्रांतिकारी चिट्ठियों’ में कहा-‘‘हम ऐसे सर्वन्यासी राज्य में विश्वास रखते हैं जिसमें मनुष्य मात्र का भरोसा हो सके और जिसके समस्त पुरूष और स्त्रियां नागरिक हों, और वे इस पृथ्वी पर सूर्य और प्रकाश से उत्तम फल प्राप्त करने के लिए मिलकर परिश्रम करते हुए फलों का समान […]

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राजनीति

उपचुनावों में जनता ने अपना भावी नेता चुन लिया

आर. डी. वाजपेयी राजनीति में अक्सर ऐसा होता है कि आप मनोवांछित परिणाम न पाकर मुंह की खा जाते हैं। ऐसा कितनी ही बार होता देखा गया है कि राजनीतिज्ञ किसी अपने विरोधी को फंसाने के चक्कर में कहीं खुद फंसकर रह जाते हैं। कुछ ऐसा ही सपा के साथ हो गया है। उप-चुनाव से […]

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विशेष संपादकीय

हमारे लिए पहचान का संकट

हम भारतीय यदि अपने आपसे पूछें कि हम कौन हैं? तो भारी वितण्डा खड़ा हो जाएगा। एक कहेगा कि हम हिंदू हैं, तो दूसरा कहेगा-नही, यह नही हो सकता, हम तो मुसलमान हैं, फिर तीसरा कुछ और बताएगा तो चौथा इन सबसे अलग होगा। जब इस पर विवाद होगा तो बिहारी, मराठी, गुजराती, राजस्थानी आदि […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

किस काम के ये खुदगर्ज जो किसी के काम न आएं

जो सामाजिक प्राणी कहा जाता है उसका सीधा रिश्ता और जवाबदेही समाज अर्थात समुदाय से होता है।  जिस इंसान के सामाजिक सरोकार नहीं होते उसे सच्चा इंसान नहीं कहा जा सकता। ऎसे लोग किसी पुतले से कम नहीं हुआ करते जिनके प्रति लोग अपेक्षा, आकांक्षा और आशाओं को पूरी तरह यह समझ कर त्याग दिया […]

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आओ कुछ जाने

हफ्तों तक चलता है टायफाइड का बुखार   

वर्षा शर्मा टायफायड यानी मियादी बुखार एक ऐसी बीमारी है जिससे रोगी एक लंबे और निश्चित समय तक पीडि़त रहता है। संसार में तीन करोड़ से भी ज्यादा लोग हर साल इसका शिकार होते हैं। यह रोग सालमोनेला टायफी नामक जीवाणु के संक्रमण से पैदा होता है। विकसित देशों में यह बीमारी बहुत कम होती […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

साल भर बना रहना चाहिए हिन्दी का ध्यान

हम सभी ने जाने कितनी औपचारिकताओं के साथ हिन्दी दिवस मना लिया और खुश हो गए चलो एक आयोजन निपटा। हिन्दी सप्ताह और हिन्दी पखवाड़ा को छोड़ दें तो आज हम सभी ने हिन्दी के नाम पर कहीं पूरा और कहीं आधा दिन समर्पित कर दिया है। हिन्दी दिवस और हिन्दी के प्रति हम कृतज्ञ […]

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