दायरों में न बाँधे विलक्षण प्रतिभाओं को – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com दुनिया के हर क्षेत्र में ऎसे लोग होते हैं जो जीवन निर्वाह के लिए भले ही किसी काम-धंधे से जुड़े हुए हों मगर उनके भीतर मौलिक प्रतिभाएं और विलक्षण हुनर इतना अपार होता है कि ये जमाने में बहुत कुछ बदलाव […]
महीना: अक्टूबर 2013
गंदे लोगों का संसर्ग देता है दरिद्रता और पाप – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com जनसंख्या विस्फोट के मौजूदा दौर में इंसानों की ढेरों प्रजातियों का अस्तित्व बढ़ता जा रहा है। कुछ नई किस्म के लोगों की नई प्रजातियां जन्म ले रही हैं और कई सारे ऎसे हैं जिन्हें इंसानों की किसी प्रजाति में नहीं […]
आर. के. गुप्ता23 सितम्बर, 2013 को राजधानी दिल्ली में हुई राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वह साम्प्रदायिक दंगों में राजनीतिक लाभ न देखें। सत्तारुढ़ दल कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गाधी व खुद प्रधानमंत्री जी अपने मुस्लिम वोट बैंक को […]
सी.टी धरमुंबई। रूपये के अवमूल्यन को कम करने के सभी प्रयास के विफल होने के बाद, नीति निर्माताओं ने अब तिरूपति से लेकर शिरडी तक के मंदिरों के दरवाजे खटखटाने की योजना बनाई है, जिसमें स्वर्ण का आयात किये बिना भारतीयों की प्रिय वस्तु को पूरा करने का वरदान बनाना चाहा गया है।इस मामले के […]
इसलाम और जीव दया गतांक से आगे…29 दिसंबर, 2006 को बकरा ईद के अवसर पर मुंबई के दैनिक उर्दू टाइम्स ने एक चौंका देने वाली रपट प्रकाशित की। इसका शीर्षक था-देवनार बकरा मंडी में कुरबानी के बकरों को शराब पिलाने की घटना। मुंबई के होमियौपैथ डा. फारूख सरखोत और बकरा व्यापारियों के द्वारा बकरों को […]
संतोषी स्वभाव अपनाएँ सत्य और ईमान पर चलने वाले – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com निरन्तर प्रतिस्पर्धा और फैशन के अंधानुकरण, भौतिकवादी सोच और दिखावों के चलन के साथ विकास की चकाचौंध में रमते जा रहे मौजूदा युग में सत्य, ईमान और धर्म का अवलंबन करते हुए जीवन विकास के क्रम को बनाये रखना मुश्किल […]
‘उगता भारत’ के वैचारिक पिता महाशय राजेन्द्र सिंह आर्य एवं पूज्यनीया माताजी श्रीमती सत्यवती आर्या की जयंती पर विशेष ओ३म् का जाप हृदय से करना चाहिए। मानव शरीर में हृदय इस प्रकार है जिस प्रकार इस दुनिया में सूर्य है। दोनों से नीली, पीली, हरी, लाल किरणें निकलती हैं। दोनों का आपस में संबंध है। […]
तानसेन बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे। एक दिन बादशाह ने अपने संगीतज्ञ नवरत्न के किसी गीत पर प्रसन्न होकर आखिर पूछ ही लिया-‘तानसेन! यदि तुम इतने प्रवीण हो अपनी कला के, तो तुम्हारे गुरूजी कितने होंगे? आखिर तुम हमें उनसे मिलाते क्यों नहीं?’ तानसेन ने बादशाह की इच्छा को समझते हुए कह […]
छोटे-छोटे राज्य व्यक्ति की सोच को संकीर्ण बनाते हैं। व्यक्ति अपने राज्य के लोगों को ही अपना मानता है, और बाहरी लोगों ‘परदेशी’ मानता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए इसीलिए संपूर्ण भूमंडल को ‘एक देश’ या एक परिवार बनाने हेतु आर्यावर्त्तीय राजाओं ने चक्रवर्ती साम्राज्य स्थापित करने का आदर्श लक्षित किया। व्यक्ति […]
मन्यु पीवें सत्पुरूष, मूरख करै इजहारदैवी वीणा देय है,ध्वनित होय यश बोल।सत्कर्मों के साज से,और बने अनमोल ।। 342।।यशबोल-अर्थात कीर्ति की स्वर लहरियांमाया मान और क्रोध से,आत्मा होय कशाय।अनासक्त के भाव से,जीव मुक्त हो जाए ।। 343।।भाव यह है कि आत्मा का बंधन अर्थात आवागमन के चक्र में पड़े, रहने का मूल कारण कशाय (आसक्ति […]