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बढ़ते साम्प्रदायिक दंगों से टूटता संयम

साम्प्रदायिक
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आर. के. गुप्ता
23 सितम्बर, 2013 को राजधानी दिल्ली में हुई राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वह साम्प्रदायिक दंगों में राजनीतिक लाभ न देखें। सत्तारुढ़ दल कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गाधी व खुद प्रधानमंत्री जी अपने मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने के लिए मुजफ्फरनगर के दंगा प्रभावित क्षेत्र में जाकर केवल एक धर्म विशेष के लोगों से मिलें और दूसरे पीडित समुदाय से मिलना तो दूर उनका हालचाल भी न पूछा, क्या यह उनके द्वारा अपनी पार्टी के लिए राजनीतिक लाभ का प्रयास नहीं है?
देश के अधिकांश राजनीतिक दल, बुद्धिजीवी, सेकुलर मीडिया मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के लिए हिन्दुओं को ही दोषी मान रहे है, परन्तु क्या किसी ने भी इन दंगों के शुरु होने के मुख्य कारण को जानकर उसे दूर करने की कोई कोशिश की? इन दंगों की शुरुआत नकली धर्मनिरपेक्षतावादियों के अतिशांतिप्रिय समुदाय द्वारा हिन्दू समुदाय की बहन-बेटियों के साथ की जाने वाले छेड़छाड, उनका अपहरण, बलात्कार है। मुजफ्फरनगर में इस प्रकार की घटनाएं कई वर्षों से जारी है परन्तु पिछले दो-तीन वर्षों से इन घटनाओं में अत्यधिक वृद्धि होने के कारण हिन्दू समाज प्रताडित हो रहा था, हिन्दुओं द्वारा प्रशासन से इन अपराधियों के विरूद्ध कार्यवाही करने तथा उनकी बहन-बेटियों को बचाने की गुहार लगातार की जा रही थी परन्तु प्रदेश व पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही न होने के कारण हिन्दू लगातार अत्याचार व अपमान सहता जा रहा था। यहां तक की प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को भी इससे अवगत कराकर न्याय की मांग की गई थी।
जब से प्रदेश में सपा सत्ता में आई है तब से इस प्रकार की घटनाओं में अत्यधिक वृद्धि हुई है। पुलिस प्रशासन सरकारी दबाव में आकर इन अपराधियों के विरूद्ध कोई भी कार्रवाई करने से बचता रहा है जिसके परिणाम स्वरुप इन अपराधियों के हौसले बढत़े गए है। जिससे हिन्दू समाज का संयम और सहशीलता भंग हो गई। किन्तु सरकार इन अपराधियों को पकडने की बजाय पीडित हिन्दू समाज के लोगों को ही गिरफ्तार कर रही है जिससे साम्प्रदायिक सौहार्द तार-तार हो गया है।
लव जिहाद के कारण हुआ मुजफ्फरनगर दंगा तो एक उदाहरण मात्र है पूरा देश इस प्रकार की घटनाओं से त्रस्त हो चुका है और केन्द्र अथवा राज्य सरकारें इन अपराधियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नही कर रही है। जिसके परिणामस्वरुप हिन्दू समाज का क्रोध बढ़ता जा रहा है जोकि कभी भी इन अपराधियों को स्वयं दंड देने के रुप में फूटकर बाहर आ जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में ”देश में बढ़ती धार्मिक यात्राओं पर चिंता व्यक्त की”। नीतीश कुमार जी के अनुसार देश में धार्मिक यात्राओं के कारण साम्प्रदायिक दंगें होते है, अत: सरकार को इन पर रोक लगानी चाहिए।
क्या श्रीमान मुख्यमंत्री देश को बताने का कष्ट करेगें की मुस्लिम समुदाय द्वारा मोहरम के मौके पर हथियारों का खुला प्रदर्शन करते हुए निकाले जाने वाली यात्रा पर कौन रोक लगायेगा? क्या इस प्रकार से हथियारों का प्रदर्शन करने से दूसरे समुदाय में इनका भय व्यापत नहीं होता? इसके अतिरिक्त मुस्लिम समाज आये दिन किसी न किसी बहाने से हिन्दुओं को प्रताडित करता रहता है, कभी मदिरों में मांस के टुकडे डालकर, कभी मंदिरों में होने वाले भजन-कीर्तनों पर प्रतिबंध की मांग को लेकर, कभी हिन्दुओं द्वारा निकाले जाने वाली धार्मिक यात्राओं पर हमला करके, कभी अपनी धार्मिक भावना आहत होने का बहाना बनाकर।
इस प्रकार की घटनाएं उन्हीं क्षेत्रों में अधिक होती है जहां मुस्लिम समाज हिन्दू की अपेक्षा अधिक संख्या अथवा बराबर की संख्या में होता है।
जिन क्षेत्रों में मुसलमान हिन्दू की अपेक्षा कम संख्या में होते हैं वहां कभी भी साम्प्रदायिक दंगें नहीं होते।
इससे स्वत: ही समझना चाहिए की दंगें कौन करता है? अत: सरकार को वोट बैंक की राजनीति छोडकर साम्प्रदायिक दंगों के मूल कारणों का पता करके उन्हें जड़मूल से नष्ट करने का प्रयास करना चाहिए, तभी साम्प्रदायिक सौहार्द बचा रह सकता है।

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