#गुग्गुल______ हमारे देश में राजस्थान मध्य प्रदेश गुजरात के अर्ध शुष्क से लेकर मरुस्थलीय क्षेत्र के साथ-साथ आंध्र प्रदेश मे एक करिश्माई 3 से 4 मीटर ऊंचा झाडीनुमा कांटेदार गुग्गुल का पेड़ पाया जाता है। सुखी और गर्म जलवायु इसे अधिक रास आती है सर्दियों में इस पेड़ की वृद्धि रुक जाती है यह शीत […]
लेखक: आर्य सागर खारी
#धूमपान_चिकित्सा__________ “धूमपान या धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है” यह विरोधाभासी असंगत अधूरा असत्य वाक्य है। तंबाकू नशीले पदार्थ चरस गांजा आदि का धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है यह सत्य सार्थक वाक्य है। रोग नाशक बुद्धिवर्धक प्रसन्नता दायक जड़ी बूटियों का धूमपान स्वास्थ्यवर्धक है। आयुर्वेद चरक संहिता में अनेक जड़ी बूटियों खनिज यौगिकों के […]
“तिल्ली से सीखे दिल्ली” कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर भारत में अपने चरम पर है। संक्रमण का वक्र इस बार कितना ऊपर उठेगा इसके केवल अनुमान ही लगाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जरूरी दवाइयों ऑक्सीजन की भारी किल्लत है ऐसे में संक्रमित व उनके तीमारदारों की चिंता रोष वाजिब है दिल्ली के […]
“गौ दुग्ध और श्वास रोग” वर्ष 2020 में स्पेन कोरोना वैश्विक महामारी से बुरी तरह प्रभावित रहा। अब वहां कोरोना संक्रमण थम गया है। कोरोना संक्रमण से होने वाली lungs डिजीज का कोई अभी स्पेसिफिक ट्रीटमेंट मेडिकल साइंस में नहीं है केवल कुछ स्टेरॉइड एंटीवायरल मेडिसिन से लक्षणों का उपचार किया जा रहा है। दूसरा […]
ईश्वर, जीवात्मा व प्रकृति विषयक आर्यसमाज के सिद्धान्त ईश्वर- १) ईश्वर एक है व उसका मुख्य नाम ‘ओ३म्’ है। अपने विभिन्न गुण-कर्म-स्वभाव के कारण वह अनेक नामों से जाना जाता है। २) ईश्वर ‘निराकार’ है अर्थात् उसकी कोई मूर्त्ति नहीं है और न बन सकती है। न ही उसका कोई लिङ्ग या निशान है। ३) […]
प्रस्तुति – आर्य सागर खारी आज के समय में मेडिकल की दुनिया सिर्फ दवाई और डायग्नोसिस तक ही सीमित नहीं रह गई है, बल्कि आहार-सेहत इसके महत्वपूर्ण फैक्टर हो गए हैं। हॉस्पिटलिटी इंडस्ट्री में पोषण और आहार के क्षेत्र में बतौर डाइटिशियन कॅरियर बनाना अब लोगों को काफी फायदेमंद लगने लगा है। आज के समय […]
-प्रियांशु सेठ सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी राजाओं की सन्तान ही राजपूत लोग हैं। मेवाड़ के शासनकर्त्ता सूर्यवंशी राजपूत हैं। ये लोग सिसोंदिया कहलाते हैं; जो श्रीरामचन्द्र जी के पुत्र लव की सन्तान हैं। वाल्मीकि रामायण में आया है कि श्रीराम जी ने अपने अन्तिम समय लव को दक्षिण कौशल और कुश को उत्तरीय कौशल का […]
हमारे वेद,दर्शनशास्त्र, स्मृतियां, महाकाव्य, उपनिषद आदि सब ‘माँ’ की अपार महिमा के गुणगान से भरे पड़े हैं। असंख्य ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों, पंडितों, महात्माओं, विद्वानों, दर्शनशास्त्रियों, साहित्यकारों और कलमकारों ने भी ‘माँ’ के प्रति पैदा होने वाली अनुभूतियों को कलमबद्ध करने का भरसक प्रयास किया है। इन सबके बावजूद ‘माँ’ शब्द की समग्र परिभाषा और […]
विचारशून्य हिन्दू आज के अरबपति और स्वयंभू बने तथाकथित गुरु चाहते हैं कि हिन्दू विचार शून्य बना रहे। इसी कारण हिन्दू युवा नास्तिक हो रहा है। नौकरी चाहिए, व्यापार चाहिए, किसी को संतान चाहिए तो किसी को बीमारी से छुटकारा, जो हाथ से गया और जो पास में हैं, वह बचा रहे उसके लिए भी […]
गलती हो जाती है। यह तो मनुष्य का स्वभाव है। दूसरों की गलतियां माफ़ करना सीखें। थोड़ी सहनशक्ति भी बढ़ाएं। संसार में ऐसा कौन व्यक्ति है, जो गलती नहीं करता? ईश्वर को छोड़कर, सभी मनुष्य आदि प्राणी गलतियां करते हैं। छोटी या बड़ी, किसी न किसी प्रकार की, कोई न कोई, गलती सबसे होती है। […]