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धूमपान चिकित्सा है स्वास्थ्य के लिए उत्तम व लाभदायक

#धूमपान_चिकित्सा__________

“धूमपान या धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है” यह विरोधाभासी असंगत अधूरा असत्य वाक्य है। तंबाकू नशीले पदार्थ चरस गांजा आदि का धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है यह सत्य सार्थक वाक्य है।

रोग नाशक बुद्धिवर्धक प्रसन्नता दायक जड़ी बूटियों का धूमपान स्वास्थ्यवर्धक है। आयुर्वेद चरक संहिता में अनेक जड़ी बूटियों खनिज यौगिकों के धुए से अनेक रोगों कि चिकित्सा का विस्तृत वर्णन है अर्थात धूम्रपान से ठीक होने वाले रोगों का व्यापक को उल्लेख है। आयुर्वेद के इस ग्रंथ में में धूम्रपान का समय लाभ योग प्रकार अति मात्रा में हानि का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसे धूनी चिकित्सा भी कहते हैं। आयुर्वेद के ही एक अन्य ग्रंथ शारंगधर संहिता में उल्लेख है।

अन्येआपि धूमा गेहेषू कर्तव्य रोगशान्तये।
मयूरपिच्छं निम्बस्य पत्राणि वृहतिफलम्।।

घर में मोर पंख नीम की पत्ती काली मिर्च हींग कपास के बीजों की धूनी की जाए तो उसके धुए से सभी की मच्छर मक्खी रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। इसी ग्रंथ में धूम चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले पदार्थों के प्रभाव के कारण धूम को 6 भागों में विभाजित किया गया है।

(1)शमन धूम : इससे शरीर के अंदर ही रोगाणुओं को समाप्त कर दिया जाता है विजातीय पदार्थों को नष्ट कर दिया जाता है।

(2) वृहद धूप : रक्त को शुद्ध किया जाता है।

(3) रेचन धूपन: रोग कारक दोषो को शरीर से बाहर निकाल कर नष्ट किया जाता है।

(4)वामन धूपन : यह वमन कराती है।

(5)कासहा धूप : खांसी को दूर करती है।

(6) व्रण धूपनः यह घावों को भरती है ठीक करती है।

इसी ग्रंथ में घर में पहनने ओढ़ने बिछाने के वस्त्रों सहित पूरे घर को सूक्ष्म रोगाणुओं जीवाणुओं खटमल जू चूहे सर्प आदि से मुक्त करने के लिए अनूठे प्रयोग का वर्णन मिलता है जो इस प्रकार है।

घी, मोर पंख भिलावा सेंधा नमक सरसो लाख गूगल राल की धूनी दिन में 2 बार 10 दिन तक देने से घर के सभी वस्त्र आंगन जहरीले की मच्छर खटमल सर्प चूहे आदि से मुक्त हो जाता है। विरोजा (बेरजा )गूगल राल की धूनी देने से शरीर की सभी संक्रामक घाव भर जाते है।

बुखार उतारने के लिए घी अजवाइन खूब कला धूनी का उल्लेख मिलता है।

आयुर्वेद की ग्रंथों में सैकड़ों जड़ी बूटियों पदार्थों खनिजों का उल्लेख धूनी के लिए मिलता है रोग अनुसार श्वास रोगों में मुलेठी जावित्री मैनसिल को पीसकर उसके पेस्ट कि धूनी देनी चाहिए। कटेरी के फल आक पत्र की धूनी का उल्लेख रक्त विकारों के लिए मिलता है ब्राह्मी मंडूकपर्णी की धूनी मानसिक रोग अनिद्रा तनाव अवसाद में लाभकारी है । धूम चिकित्सा हमारे ऋषि-मुनियों की की अनुपम देन है रोगों से छटपटाते मानव समुदाय को।

धूम लेना एलोपैथी में भाप लेना स्ट्रीमर के माध्यम से या नेबुलाइजर की तरह व्यक्तिगत चिकित्सा विधि नहीं है यह सामूहिक चिकित्सा को साथ लेकर चलती है। यह overall well being सभी को स्वस्थ करने के सिद्धांत पर काम करती है। यह व्यक्ति से पहले वातावरण को स्वस्थ करती है। इस धूम चिकित्सा में ऋषि मुनियों ने उन पदार्थों का विधान किया है अधिकांशतः जिन का विधान उन्होंने यज्ञ में निषेध किया है। जैसे यज्ञ में नमक , मोर पंख, हिंगोट ,लाख ,राल चीड़ वृक्ष की गोंद जिसे से बेरजा कहते हैं काजू के वृक्ष का निकट संबंधी एक वृक्ष का फल जिसे भिलावा कहते हैं प्रयोग वर्जित है लेकिन धूम्रपान चिकित्सा में इनका बहुतायत में प्रयोग होता है । ऐसा इसलिए है कि यह पदार्थ बहुत तीव्र है प्रत्येक व्यक्ति इन्हें सहन नहीं कर सकता रोगअनुसार इन का विधान किया गया।

जो व्यक्ति यज्ञ नहीं रचा सकता यज्ञ का लाभ नहीं ले सकता वह धूम चिकित्सा का लाभ उठा सकता है क्योंकि इसमें मंत्र उच्चारण कर्मकांड की कोई बाध्यता नहीं है। यह उपासना पद्धति नहीं केवल विशुद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है। पशु पक्षी वनस्पति सभी इससे लाभान्वित होते हैं मनुष्य के साथ-साथ। मिट्टी के किसी पात्र में गाय के गोबर से निर्मित कंडे /समिधा सूखे इंधन पर आप सभी जड़ी बूटियों की धूनी दे सकते हैं।

आर्य सागर खारी✍✍✍

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