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व्यक्तित्व

हमने वैदिक धर्मोपदेशक पं. रुद्रदत्त शास्त्री, देहरादून को देखा है”

ओ३म् ========= हम सन् 1970 में आर्यसमाज धामावाला, देहरादून के सम्पर्क में आये थे और सन् 1974 में इसके सदस्य बने थे। हमने इस समाज में कुछ स्थानीय एवं बाहर से आने वाले विद्वानों को देखा व उनके उपदेशों वा व्याख्यानों को सुना है। इनमें से कुछ नाम हैं स्वामी अमर स्वामी, स्वामी डा. सत्य […]

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“वेद अपौरुषेय (ईश्वर-प्रदत्त) ज्ञान एवं भाषा के ग्रन्थ हैं”

ओ३म -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वेद चार मन्त्र संहिताओं के ग्रन्थ ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद को कहते हैं। वेदों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी यह सृष्टि पुरानी है। हमारे प्राचीन काल के मनीषियों से लेकर ऋषि दयानन्द (1825-1883) तक ने वेदों की उत्पत्ति, इसके रचयिता व ज्ञान दाता तथा इसकी भाषा पर […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ऋषि दयानन्द के गुरु प्रज्ञाचक्षु स्वामी विरजानन्द का ऋषिकेश (देहरादून) प्रवास”

ओ३म् -स्व. श्री यशपाल आर्य, देहरादून। महर्षि दयानन्द की दो यात्राएं देहरादून नगर में हुईं। देहरादून जिला भी भाग्यशाली है कि ऋषिराज की पद्-रज से पवित्र हुआ है। महर्षि ने स्व-कथित जीवन-चरित्रों में इसकी पुष्टि इस प्रकार की है—“सब यात्री चले गए और (कुम्भ, हरिद्वार) मेला हो चुका तो वहां से ऋषिकेश को गया। वहां […]

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इतिहास के पन्नों से

“हैदराबाद आर्य सत्याग्रह में आर्यसमाज, देहरादून का योगदान”

ओ३म् ========= देश की आजादी से पूर्व हैदराबाद एक मुस्लिम रियासत थी। वहां हिन्दुओं के बड़ी जनसंख्या में होने पर भी उनके धार्मिक अधिकारों को प्रायः छीन लिया गया था। वहां हिन्दू मन्दिरों में लाउडस्पीकर लगाकर अपने धार्मिक आयोजन नहीं कर सकते थे। जलूस आदि नहीं निकाल सकते थे। वैदिक धर्म प्रचारकों पर भी वहां […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

रामनवमी पर्व 30 मार्च पर- “श्रेष्ठ गुण, कर्म, स्वभाव से युक्त जीवनः मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम”

ओ३म् -रामनवमी पर्व 30 मार्च पर- -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। चैत्र शुक्ल नवमी आर्यों व हिन्दुओं का ही नहीं अपितु संसारस्थ सभी विवेकशील लोगों के लिए आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी का जन्म दिवस पर्व है। इस पर्व को श्री रामचन्द्र जी के भक्त अपनी अपनी तरह से सर्वत्र मनाते हैं। हम वैदिक धर्मी […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

“सन् 1942 में सरकारी प्रतिबन्ध तोड़कर आर्यसमाज की शोभा यात्रा निकालने वाले प्रसिद्ध विद्वान पं. चन्द्रमणि विद्यालंकार”

ओ३म् ========= प्रसिद्ध वैदिक विद्वान पं. चन्द्रमणि विद्यालंकार जी आर्यसमाज, देहरादून के गौरव थे। वह मूलतः जालन्धर निवासी थे। गुरुकुल कांगड़ी का स्नातक बनने के बाद से वह देहरादून में निवास करते थे। उनके परिवार के सदस्य वर्तमान में भी देहरादून में ही निवास करते हैं। पण्डित जी के एक पुत्र से हमारा निकट सम्बन्ध […]

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उगता भारत न्यूज़

आर्यसमाज धामावाला देहरादून का रविवारीय सत्संग- “महर्षि दयानन्द की प्रमुख देन वेदों का सत्य वेदार्थ वा ज्ञान हैः अनुज शास्त्री”

ओ३म् ========= आर्यसमाज धामावाला, देहरादून का दिनाक 26-2-2023 का सत्संग श्री श्रद्धानन्द बाल वनिता आश्रम में आयोजित किया गया। हम जब वहां पहुंचे तो आर्यसमाज के धर्माधिकारी पंडित विद्यापति शास्त्री जी के भेजन वा गीत हो रहे थे। उनका गाया गया एक मुख्य गीत था ‘गुरुदेव प्रतिज्ञा है मेरी पूरी करके दिखलाउगां, इस वैदिक धर्म […]

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आज का चिंतन

‘आर्यसमाज वैदिक धर्म प्रचारक एवं समाज सुधारक संस्था है’

ओ३म् ========= आर्यसमाज ऋषि दयानन्द द्वारा चैत्र शुक्ल पंचमी तदनुसार 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई नगर में स्थापित एक धार्मिक, सामाजिक, राष्ट्रवादी एवं वैदिक राजधर्म की प्रचारक संस्था वा आन्दोलन है। ऋषि दयानन्द को आर्यसमाज की स्थापना इसलिए करनी पड़ी क्योंकि उनके समय में सृष्टि के आदिकाल में ईश्वर से प्रादुर्भूत सत्य सनातन वैदिक […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

“शिवरात्रि मूलशंकर के लिये मोक्षदायिनी बोधरात्रि बनी थी”

ओ३म् ========= सनातन धर्म सृष्टि के आरम्भ से प्रवृत्त धर्म है। इसका आधार वेद और वैदिक शिक्षायें हैं जो ईश्वर प्रदत्त होने से पूर्णतः सत्य पर आधारित हैं। वेद संसार में सबसे पुराने ग्रन्थ हैं इस कारण इन्हें पुराण भी कहा जाता है। वास्तविक पुराण वेद ही हैं। वेद में किंचित मानवीय इतिहास नहीं है। […]

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आज का चिंतन

अविद्या व अंधविश्वास दूर किये मनुष्यजाति का कल्याण सम्भव नहीं”

ओ३म् ========= अविद्या, अज्ञान व अन्धविश्वास ये सभी शब्द व इनसे उत्पन्न धार्मिक व सामाजिक प्रथायें परस्पर पूरक व एक दूसरे पर आश्रित हैं। यदि अविद्या, अज्ञान व स्वार्थ आदि न हों तो किसी भी समाज व सम्प्रदाय में अन्धविश्वास उत्पन्न नहीं हो सकते। अज्ञान व अविद्या दूर करने का एक मात्र साधन व उपाय […]

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