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धर्म-अध्यात्म

ईश्वर के सत्य स्वरूप को जानकर उसकी आज्ञा का पालन करना ही धर्म है

ओ३म् “ईश्वर के सत्यस्वरूप को जानकर उसकी आज्ञाओं का पालन ही धर्म है” ============= मनुष्य ज्ञान से युक्त एक कर्मशील सत्ता है। मनुष्य का जीवात्मा अल्पज्ञ होता है। ईश्वर सर्वज्ञ एवं सर्वशक्तिमान है और अपनी इन शक्तियों से ही वह इस सृष्टि की रचना व पालन करता है। ईश्वर में सृष्टि रचना के अतिरिक्त भी […]

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धर्म-अध्यात्म

ईश्वर के सत्य स्वरूप को जानकर उसकी आज्ञा का पालन करना ही धर्म है

ओ३म् ============= मनुष्य ज्ञान से युक्त एक कर्मशील सत्ता है। मनुष्य का जीवात्मा अल्पज्ञ होता है। ईश्वर सर्वज्ञ एवं सर्वशक्तिमान है और अपनी इन शक्तियों से ही वह इस सृष्टि की रचना व पालन करता है। ईश्वर में सृष्टि रचना के अतिरिक्त भी अनेक गुण हैं। वह अनन्त कर्मों को करता है और उसका स्वभाव […]

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विविधा

एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल

ओ३म् ============= मनुष्य के जीवन का आरम्भ जन्म से होता है और मृत्यु पर समाप्त हो जाता है। बहुत से लोग इस बात से परिचित नहीं होते कि उनका यह जन्म पहला व अन्तिम जन्म नहीं है। हमारी आत्मा अनादि व अनश्वर है। यह सदा से है और सदा रहेगी। आत्मा का अध्ययन करने के […]

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व्यक्तित्व

स्मृति के झरोखे से : स्वामी श्रद्धानंद जी की पुत्रवधू और पंडित इंद्र विद्यावाचस्पति जी की धर्मपत्नी माता चंद्रावती जी

-स्मृति के झरोखे से- “स्वामी श्रद्धानन्द जी की पुत्र-वधु और पं. इन्द्र वाचस्पति जी की धर्मपत्नी माता चन्द्रावती जी” लेखिकाः दीप्ति रोहतगी, बरेली। ————– निवेदनः श्रीमती दीप्ति रोहतगी, बरेली वेदभाष्यकार प्रवर विद्वान आचार्य डा. रामनाथ वेदालंकार जी की दौहित्री हैं। वह बचपन में अपने नाना आचार्य जी के साथ प्रायः गुरुकुल में ही रहा करती […]

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धर्म-अध्यात्म

हम अग्निहोत्र किस उद्देश्य व लाभ प्राप्ति के लिये करते हैं?”

वेद ईश्वरीय ज्ञान है। वेदों का अध्ययन करते हैं तो यह ज्ञात होता है कि ईश्वर ने मनुष्यों को अग्निहोत्र करने की आज्ञा दी है। वेदों में अग्निहोत्र करने के अनेक वचन व वाक्य हैं। ऐसा ही यजुर्वेद के तीसरे अध्याय का प्रथम मन्त्र है ‘समिधाग्निं दुवस्यत घृतैर्बोधयतातिथिम्। आस्मिन् हव्या जुहोतन।।’ इसका अर्थ है समिधाओं […]

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धर्म-अध्यात्म

ईश्वरीय ज्ञान वेद के जन-जन में प्रचार के लिए समर्पित महर्षि दयानंद

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादूनवेद कहानी किस्से अथवा किसी धर्म प्रचारक मनुष्य के उपदेशों का ग्रन्थ नहीं है अपितु यह इस संसार की रचना करने व इसका पालन कर रहे सर्वव्यापक, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान एवं सच्चिदानन्दस्वरूप परमात्मा का दिव्य ज्ञान है जो उसने सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को अमैथुनी सृष्टि […]

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धर्म-अध्यात्म

हम कहां से आए हैं और हमें कहां जाना है

ओ३म्-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हम सब मनुष्यों का कुछ वर्ष पूर्व इस संसार में जन्म हुआ है और तब से हम इस शरीर में रहते हुए अपना समय अध्ययन-अध्यापन अथवा कोई व्यवसाय करते हुए अपने सांसारिक कर्तव्यों का निर्वाह कर रहे हैं। जब हमारा जन्म हुआ था तो हम अपने माता के शरीर से इस […]

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