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संपादकीय

नेपाल में वामपंथियों की जीत

नेपाल की राजशाही भारत समर्थक थी। उसका यह स्वरूप चीन को पसंद नहीं था। जब राजशाही को वहां मौत की नींद सुलाया गया तो उस समय मानो नेपाल को भारत के विरूद्घ खड़ा करने की तैयारियां आरम्भ हो गयीं थी। चीन भारत में नक्सलवादी आन्दोलन को उभारने में भी सहायक रहा है। जिससे कि भारत […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-31

गीता का पांचवां अध्याय और विश्व समाज वह इनके बीच में रहता है, पर इनके बीच रहकर भी इनके दुष्प्रभाव से या पाप पंक से स्वयं को दूर रखने में सफल हो जाता है। श्रीकृष्णजी अर्जुन से कह रहे हैं कि जो कर्मयोगी नहीं है, वह कामना के वशीभूत होकर फल की आसक्ति के फेर […]

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राजनीति संपादकीय

राहुल गांधी के परदादा

देश की पहली लोकसभा 13 मई 1952 को अस्तित्व में आयी थी। देश में स्वतन्त्रता के उपरान्त अपने संविधान के अनुसार तब पहली बार चुनाव सम्पन्न हुए थे। लोगों में चुनाव में मतदान के प्रति अतिउत्साह था। उन्हें लग रहा था कि मतदान के माध्यम से सही प्रतिनिधि चुनकर वह बहुत बड़ा कार्य करने के […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-30

गीता का पांचवां अध्याय और विश्व समाज कर्मयोग श्रेष्ठ या ज्ञानयोग श्रेष्ठ है जैसे आजकल विभिन्न सम्प्रदायों की तुलना करते समय एक तथाकथित धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति सभी धर्मों अर्थात सम्प्रदायों को श्रेष्ठ बताकर अपना पल्ला झाड़ लेता है और वह उनमें से किसी के भी अनुयायी या मानने वाले को निराश नहीं करना चाहता, ऐसे में […]

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संपादकीय

हैं रखैलें तख्त की ये कीमती कलमें

हमारे देश को आजाद हुए 70 वर्ष हो गये हैं। पर दु:ख का विषय है कि देश की सबसे समृद्घ और सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा ‘हिन्दी’ स्वतंत्रता के सात दशकों में भी अपना सही स्थान और सही सम्मान प्राप्त करने में असफल रही है। देश में धर्म, संस्कृति और इतिहास की व्याख्या करने […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

शिवाजी का व्यक्तित्व आज भी हर भारतीय को देता है प्रेरणा

स्वजनों का रक्त पिपासु -औरंगजेब औरंगजेब के काल की ही घटना है। धौलपुर के मैदान में औरंगजेब और दाराशिकोह की सेनाएं आमने-सामने आ गयीं। यह युद्घ हिन्दुस्थान पर राज करने के लिए व मुगल तख्त का उत्तराधिकारी बनने के लिए लड़ा जा रहा था। औरंगजेब किसी भी मूल्य पर किसी भी ऐसे व्यक्ति को जीवित […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-29

गीता का चौथा अध्याय और विश्व समाज गीता में आगे गीताकार श्रीकृष्णजी के मुखारविन्द से कहलवाता है कि हे पार्थ! इस संसार में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आहार को सन्तुलित और नियमित करके अपने प्राणों से प्राणों में ही आहुति देेते हैं। (भारतवर्ष में ऐसे ऐसे योगी भी हो गये हैं जो प्राण […]

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राजनीति संपादकीय

चुनाव और नेताओं की हल्की बातें

हिमालय और गुजरात के चुनावों में हमने नेताओं की कुछ हल्की बातें देखी हैं। जब ‘हल्के’ लोगों को बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है या वे हमारे द्वारा अपने नेता मान लिये जाते हैं तो उनसे ऐसी हल्की बातों की अपेक्षा की जा सकती है। हमारे नेताओं को कौन समझाये कि विकास कभी ‘पागल’ या ‘बदतमीज’ […]

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संपादकीय

देश का अधिकारी वर्ग और पीएम मोदी

अथर्ववेद (7/109/6) में राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों के कत्र्तव्य बताये गये हैं। कहा गया है कि ये लोग प्रजा की स्थिति का अध्ययन करके राजा को उससे अवगत कराएंगे तदुपरान्त राजा जो नीति निर्धारित करे उसको लागू कराने हेतु ये लोग योजना बनायें, राजा जो कार्य दे-उसे नीचे तक अपने सहयोगियों में बांट दें। […]

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संपादकीय

कांग्रेस का सोनिया काल

कांग्रेस का सोनिया कालकांग्रेस से सोनिया काल विदा ले चुका है। अब वह अस्ताचल की ओर है। बेशक उन्होंने कांग्रेस की तथाकथित शानदार परम्परा का निर्वाह करते हुए अपना ‘सिंहासन’ अपने पुत्र राहुल को सौंप दिया है, पर वह अब बुझता हुआ दीप ही कही जाएंगी। क्योंकिअब वह कांग्रेस अध्यक्ष पद पर या भारत के […]

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