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संपादकीय

राष्ट्रीय साक्षरता अभियान, भाग-3

आज जो शिक्षा हमें दी जा रही है वह निर्मम शिक्षा है, यह शिक्षा इस भूमि को बांझ बना रही है। ‘गर्भनिरोधक’ गोलियां दे देकर हमारी मातृशक्ति को बांझ बना रही है। नारी को विषय भोग की वस्तु बना रही है। जबकि भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली बांझपन को नहीं उत्पादकता को और विषय भोग […]

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संपादकीय

राष्ट्रीय साक्षरता अभियान, भाग-2

फ्रायड का फ्राड और भारतीय शिक्षा फ्रायड नाम के विदेशी मनोवैज्ञानिक ने एक शब्द पकड़ लिया ङ्ख्रञ्जष्ट॥ वाच।  इसकी व्याख्या उसने करते हुए कहा कि देखो इसका प्रथम अक्षर ङ्ख कह रहा है कि ‘वाच यौर वर्डस’ अपने शब्दों पर ध्यान दें कि आप क्या कह रहे हैं? इसी प्रकार र से एक्शन ञ्ज से […]

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संपादकीय

राष्ट्रीय साक्षरता अभियान

हमारे देश में लोगों को साक्षर करने का मिशन बड़े जोरों पर चलाया गया है। राजनीतिज्ञों ने इस अभियान का राजनीतिक लाभ और देश के नौकरशाहों ने आर्थिक लाभ उठाने का भी भरपूर प्रयास किया है। अपने इस प्यारे एवं ‘सारे जहां से अच्छे हिंदुस्तान’ में जिस प्रकार सडक़ें फाइलों में बन जाती हैं और […]

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