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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-27

गीता का चौथा अध्याय और विश्व समाज इसी आनन्दमयी सांसारिक परिवेश को ‘विश्वशान्ति’ कहा जाता है। जिनका चित्त मैला कुचैला है, हिंसक है, दूसरों पर अत्याचार करने वाला है-उनका भीतरी जगत उपद्रवी और उग्रवादी होने से हिंसक हो जाता है, जिसमें शुद्घता नाम मात्र को भी नहीं होती। फलस्वरूप उनका बाहरी जगत भी तदनुरूप बन […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हठ करके बलिदान देने की रही है भारत की अनूठी परंपरा

‘सदगुण विकृति’ करती रही हमारा पीछा औरंगजेब ने अपने शासनकाल में चित्तौड़ पर कई आक्रमण किये, पर इस बार के आक्रमण की विशेषता यह थी कि बादशाह स्वयं सेना लेकर युद्घ करने के लिए आया था। मुगलों का दुर्भाग्य रहा कि बादशाह की उत्साहवर्धक उपस्थित भी युद्घ का परिणाम मुगलों के पक्ष में नही ला […]

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संपादकीय

दूध माफिया : मानव जाति के हत्यारे

भारत में एक समय था जब गर्मियों के दिनों में विवाह समारोहों को इसलिए नहीं रखा जाता था कि उन दिनों में दूध की कमी पड़ जाती थी। लोग सर्दियों में विवाहादि करना उचित मानते थे। पर आज की स्थिति में व्यापक परिवर्तन आ चुका है। अब आप एक छोटे कस्बे में भी यदि 50 […]

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संपादकीय

देश के कम्युनिस्ट और उनका संस्कार बीज

भारत की अंतश्चेतना में सहनशक्ति का अनन्त ऊर्जा स्रोत उपलब्ध है। सचमुच भारत जैसी सहनशक्ति विश्व के किसी अन्य देश में देखने को नहीं मिलती। यह भारत ही है जिसने महात्मा गांधी और नेताजी सुभाषचंद्र बोस को भी अपशब्द बोलने वाले और 1962 के युद्घ में चीन का साथ देने वाले कम्युनिस्टों को सहन किया […]

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संपादकीय

मणिशंकर अय्यर ने दिया कांग्रेस को बड़ा झटका

मणिशंकर अय्यर ने कांग्रेस के लिए गुजरात में बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। उन्होंने भाजपा के स्टार प्रचारक और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए ‘नीच’ शब्द का प्रयोग करके स्पष्ट किया है कि उनके पास शब्दों की दरिद्रता है और वे प्रधानमंत्री के विरूद्घ घृणा से भरे हैं। वास्तव में लोकतंत्र एक […]

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संपादकीय

चोरों के हाथ में ज्ञान मन्दिर

गुरूग्राम स्थित ‘रेयान इण्टर नेशनल स्कूल’ में एक अबोध बालक प्रद्युम्न की जिस प्रकार हत्या की गयी है, वह निश्चय ही रोंगटे खड़े करने वाली घटना है। इसके साथ ही पूर्वी दिल्ली के एक स्कूल में कर्मचारी द्वारा विगत 9 सितंबर को अबोध बच्ची से हुआ दुष्कर्म का मामला भी कम दु:खदायक नहीं है। ज्ञान […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

शिवाजी ने अपने कृतित्व से सिद्घ किया कि वह उस समय के नायक थे

शिवाजी के राज्य विषयक सिद्घांत शिवाजी के राज्य विषयक सिद्घांत ‘आज्ञापत्र’ या ‘शिवराज की राजनीति’ से स्पष्ट होते हैं। उसके अध्याय 3 में कहा गया है-”परस्पर विरोध उत्पन्न होकर जिससे विनाश हो ऐसा नही करना चाहिए। सकल प्रजा सुरक्षित और संरक्षित रहनी चाहिए। धर्म पथ-प्रवत्र्तक बनना चाहिए। इस प्रजा की करूणा के लिए ईश्वर ने […]

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संपादकीय

शिक्षा का व्यावसायीकरण एक अभिशाप

भारत प्राचीनकाल से संस्कार आधारित नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने वाला देश रहा है। इस देश ने शिक्षा को मानव निर्माण से विश्व निर्माण का एक सशक्त माध्यम माना और इसीलिए शिक्षा को व्यक्ति का मौलिक अधिकार घोषित कर ज्ञानवान होने को व्यक्ति की मौलिक आवश्यकता माना। 1947 में जब देश आजाद हुआ तो हमारे संविधान […]

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संपादकीय

राहुल की ताजपोशी कितनी उचित?

कांग्रेस अपने ‘युवराज’ राहुल गांधी की ताजपोशी अगले माह करने की घोषणा कर चुकी है। बहुत दिनों से यह कयास चल रहे थे कि राहुल गांधी की ताजपोशी शीघ्र ही होने वाली है। सोनिया गांधी इस समय अस्वस्थ चल रही हैं। इसलिए उनकी भी इच्छा थी कि यथाशीघ्र राहुल को वह अपने उत्तराधिकारी के रूप […]

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संपादकीय

ई.वी.एम. में गड़बड़ी लोकतंत्र के लिए चिन्ताजनक

अटल बिहारी वाजपेयी इस देश के उन राजनेताओं में से रहे हैं, जिन्होंने अपनी अटल संकल्प शक्ति से इस देश के भविष्य को संवारने का अथक परिश्रम किया। उनके एक बहुचर्चित भाषण का वाक्यांश है कि-”भारत जमीन का टुकड़ा नहीं है, जीता जागता राष्ट्रपुरूष है। हिमालय इसका मस्तक है, गौरीशंकर शिखा है। कश्मीर किरीट है, […]

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