Categories
संपादकीय

मनुष्य को अछूत मानने वाला स्वयं ‘अछूत’ है

अस्पृश्यता को लेकर पुन: एक बार चर्चा चली है। पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने इस विषय में कुछ समय पूर्व आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया है था और शूद्रों को मंदिर में प्रवेश पाने से निषिद्घ करने की बात कही थी। जब विश्व मंगल ग्रह पर जाकर पृथ्वी के मंगल गीतों से मंगल पर […]

Categories
भारतीय संस्कृति

‘महर्षि दयानंद एवं गुरुकुल शिक्षा प्रणाली’

मनमोहन सिंह आर्य महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) ने प्रज्ञाचक्षु दण्डी गुरू स्वामी विरजानन्द सरस्वती, मथुरा से वैदिक आर्ष व्याकरण एवं वैदिक शास्त्रों का अध्ययन कर देश व संसार से अविद्या हटाने के लिए ईश्वरीय ज्ञान वेदों का प्रचार किया। उनके वेद प्रचार आन्दोलन का देश और समाज पर ही नहीं अपितु विश्व पर व्यापक प्रभाव […]

Categories
राजनीति

वेद, महर्षि दयानंद और भारतीय संविधन-18

धर्मनिष्ठ राजनीति और स्वामी दयानंद गतांक से आगे… ग्राम पँचायतों का संगठन: हमारे संविधान का अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों की व्यवस्था करता है। महर्षि दयानन्द देश में ग्राम पंचायतों के समर्थक थे। उन्होंने महर्षि मनु द्वारा प्रतिपादित ग्राम प्रशासन व्यवस्था को उचित माना, और तत्सम्बन्धी श्लोकों को उद्धृत करते हुए कहा ‘एक’-एक ग्राम में एक […]

Exit mobile version