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पुस्तक समीक्षा

डॉ राकेश कुमार आर्य की नई पुस्तक : महाभारत की शिक्षाप्रद कहानियां

भूमिका महाभारत जैसा महान ग्रंथ क्यों लिखा गया ? इसका महत्व क्या है ? इसका अर्थ क्या है ? यह प्रश्न अक्सर आपके मन मस्तिष्क में उठते रहते होंगे । यदि इन् प्रश्नों का उत्तर खोजा जाए तो महाभारत के अन्त में महाभारत का महत्व और उपसंहार करते हुए इस पर प्रकाश डाला गया है। […]

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भारतीय संस्कृति संपादकीय

संस्कार और भारतीय संस्कृति

वेद के रूप में ईश्वर ने मानव को एक संविधान देकर सुव्यवस्था प्रदान की । जबकि उपनिषदों ने मानव मन में उभरने वाले अनेकों गम्भीर प्रश्नों का उत्तर देकर उसकी शंकाओं का समाधान किया । अब बारी थी एक सुव्यवस्थित समाज को आगे बढ़ाने की । जिसके लिए हमारे ऋषियों ने 16 संस्कारों का विधान […]

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संपादकीय

हमास, इजरायल, भारत और विश्व समुदाय

हमास अर्थात हरकत अल मुकम्मल अल इस्लामिया नामक आतंकवादी संगठन का जन्म इसराइल जैसे मजबूत इच्छा शक्ति वाले देश को समाप्त कर यहूदियों को मिटा देना है। इसकी सोच है कि यहूदी और यहूदियों का देश दुनिया में कहीं पर भी ना रहे। जब 21वीं सदी में विश्व स्वाधीनता की नई परिभाषाओं को गढ़कर चर्चा […]

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महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

भाषा विनाश अर्थात इतिहास का विनाश

क्या बीज में विभाजन संभव है? हर विवेकशील व्यक्ति इस प्रश्न का उत्तर यही देगा कि नही, बीज में विभाजन संभव नही है। बीज बीज है और यदि उसे तोड़ा गया तो वह टूटते ही व्यर्थ हो जाएगा। इसलिए अच्छाई इसी में है कि बीज को तोड़ा ना जाए बल्कि उसे यथावत रखा जाए जिससे […]

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इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास के साथ हो रहे क्रूर उपहास का जिम्मेदार कौन ?

ईसाईयत और इस्लाम विश्व इतिहास को बीते हुए पांच सात हजार वर्ष में समेटकर चलते हैं। इसका कारण ये है कि ईसाईयत और इस्लाम को अपनी जड़ों के स्रोत इतने समय से पूर्व के दिखाई ही नही देते। इसलिए इन विचारधाराओं ने विश्व में सैमेटिक (ईसाईयत और इस्लाम जैसे मजहब) और नॉन सैमेटिक (वैदिक धर्म […]

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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -20 ख सारे कांग्रेसी मौन हो गए थे

उस समय नेहरू गांधी की कांग्रेस के किसी भी नेता के पास समय नहीं था कि हम लोगों की पीड़ा के विषय में कोई सोचे, सुने या समझे। जब ये लोग शिकारी कुत्ते की भांति हमारा शिकार कर रहे थे, तब भी हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व हाथ पर हाथ धरे बैठा था। यह कर्तव्य के प्रति […]

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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -20 क असहनीय थी विभाजन की त्रासदी

1947 का अगस्त माह । मैं तब 4 वर्ष का था। पर उन दिनों की अनेक घटनाएं आज भी मेरे मन मस्तिष्क में ज्यों की त्यों जमी बैठी हैं। जिन बातों का अनुभव व्यक्ति को बहुत बड़ी अवस्था में जाकर होता है, वह मुझे बचपन के उन दिनों में हो गया था। चित्त पर उनकी […]

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संपादकीय

नये इसरायली संकट के निहित अर्थ और भारत

इसरायल और फिलिस्तीनियों के बीच दुश्मनी की आग दशकों पुरानी है। इसराइल के अस्तित्व को मिटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर षड़यंत्र चलते रहते हैं । जिनके चलते यह आग भीतर ही भीतर सुलगती ही रहती है। अनुकूल अवसर आते ही यह आग भड़क उठती है। अब भी ऐसा ही हुआ है। इस बार पूर्व नियोजित […]

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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -19 ख बालक चीखते रहे और वे काटते रहे

हम कई बालक उस समय ऐसे थे जो राक्षस बने उन हत्यारे मुसलमानों के पैरों तले पड़े चीत्कार कर रहे थे, परन्तु उन्होंने लगातार कत्लेआम जारी रखा। हमारी चीख-पुकार या रोने धोने का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वे निर्भय होकर पूरी बर्बरता के साथ अपना काम करते रहे। ऐसे लोगों के बारे में […]

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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर, अध्याय -19 क बहनों की छातियों पर लिखा – “पाकिस्तान जिंदाबाद”

भारत विभाजन के समय लालकुर्ती दल का बड़ा आतंक था। ये लोग हिंदुओं को मारने काटने में बड़ी शीघ्रता दिखाते थे। सरगोधा की ओर से जो गाड़ियां फुल्लरवान की ओर आती थीं उनमें सादा वस्त्रों में सवार होकर लालकुर्ती दल के हत्यारे मुसलमान चढ़ जाते थे । आउटर सिग्नल आने पर ये लोग अपनी वास्तविक […]

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