दुर्योधन ने अपने पिता की मानसिकता को पहचान लिया कि पिताजी आज पहले से ढीले हो गए हैं। अब उनके सामने केवल एक ही समस्या है कि युधिष्ठिर को यहां से बाहर भेजने के लिए भीष्म, द्रोण और विदुर जैसे विद्वानों को कैसे सहमत किया जाए ? दुर्योधन ने इस बात को भी ताड़ लिया […]
लेखक: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार बहुत बड़ी समस्या है। राजनीति में बैठे लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वह देश के जनसाधारण के लिए आदर्श प्रस्तुत करें। अपनी कार्य नीति ,कार्य शैली और कार्य व्यवहार से लोगों पर इस प्रकार की छाप छोड़ें कि वह हर प्रकार से उनके आदर्श हैं और उनके लिए राष्ट्र […]
( महाभारत हमारे लिए एक ऐसा ग्रंथ है जिसे पांचवां वेद कहा जाता है । इसमें मनुष्य जीवन की उन्नति को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक प्रकार की शिक्षा दी गई है । धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पर बहुत ही गहन चिंतन प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रंथ हमें कुरु वंश के आंतरिक कलह […]
शकुंतला नहीं चाहती थी कि उसके गर्भ का दुरुपयोग हो । उसने आज तक महर्षि कण्व के आश्रम में रहकर जिस प्रकार की सच्ची और सात्विक साधना की थी उसका फल प्राप्त करने का आज समय आ गया था। वह ब्रह्मचारिणी थी और ऋषि के संसर्ग में रहकर राष्ट्र के लिए कोई अनमोल निधि देना […]
( महाराज दुष्यंत भरतकुलभूषण, महापराक्रमी और चारों समुद्रों से घिरे हुए समस्त भूमंडल के पालक के रूप में जाने जाते हैं। उनके शासनकाल में चोरों का भय नहीं था। भूख से लोग त्रस्त नहीं थे और रोग या व्याधि का डर भी लोगों में नहीं था। उनके राज्य में समय पर वर्षा होती थी तथा […]
भूमिका महाभारत जैसा महान ग्रंथ क्यों लिखा गया ? इसका महत्व क्या है ? इसका अर्थ क्या है ? यह प्रश्न अक्सर आपके मन मस्तिष्क में उठते रहते होंगे । यदि इन् प्रश्नों का उत्तर खोजा जाए तो महाभारत के अन्त में महाभारत का महत्व और उपसंहार करते हुए इस पर प्रकाश डाला गया है। […]
वेद के रूप में ईश्वर ने मानव को एक संविधान देकर सुव्यवस्था प्रदान की । जबकि उपनिषदों ने मानव मन में उभरने वाले अनेकों गम्भीर प्रश्नों का उत्तर देकर उसकी शंकाओं का समाधान किया । अब बारी थी एक सुव्यवस्थित समाज को आगे बढ़ाने की । जिसके लिए हमारे ऋषियों ने 16 संस्कारों का विधान […]
हमास अर्थात हरकत अल मुकम्मल अल इस्लामिया नामक आतंकवादी संगठन का जन्म इसराइल जैसे मजबूत इच्छा शक्ति वाले देश को समाप्त कर यहूदियों को मिटा देना है। इसकी सोच है कि यहूदी और यहूदियों का देश दुनिया में कहीं पर भी ना रहे। जब 21वीं सदी में विश्व स्वाधीनता की नई परिभाषाओं को गढ़कर चर्चा […]
क्या बीज में विभाजन संभव है? हर विवेकशील व्यक्ति इस प्रश्न का उत्तर यही देगा कि नही, बीज में विभाजन संभव नही है। बीज बीज है और यदि उसे तोड़ा गया तो वह टूटते ही व्यर्थ हो जाएगा। इसलिए अच्छाई इसी में है कि बीज को तोड़ा ना जाए बल्कि उसे यथावत रखा जाए जिससे […]
ईसाईयत और इस्लाम विश्व इतिहास को बीते हुए पांच सात हजार वर्ष में समेटकर चलते हैं। इसका कारण ये है कि ईसाईयत और इस्लाम को अपनी जड़ों के स्रोत इतने समय से पूर्व के दिखाई ही नही देते। इसलिए इन विचारधाराओं ने विश्व में सैमेटिक (ईसाईयत और इस्लाम जैसे मजहब) और नॉन सैमेटिक (वैदिक धर्म […]