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इतिहास के पन्नों से

क्षत्रिय – राजपूतों के गोत्र और उनकी वंशावली

“दस रवि से दस चन्द्र से बारह ऋषिज प्रमाण, चार हुतासन सों भये कुल छत्तिस वंश प्रमाण, भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान, चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण.”क्षत्रिय- राजपूत के गोत्र और उनकी वंशावलीअर्थ: – दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय, बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तीस क्षत्रिय वंशों […]

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इतिहास के पन्नों से

कितना उचित है गुर्जर व राजपूतों का राजाओं की जातियां निर्धारित करने का विवाद ?

आजकल राजपूत और गुर्जरों में एक अनावश्यक विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है कि कौन राजा किस जाति का है? अमुक राजा गुर्जर जाति का है अथवा राजपूत जाति का है? जैसे पृथ्वीराज चौहान, अनंग पाल तँवर, सम्राट मिहिर भोज आदि राजाओं को लेकर यह विवाद अधिक गहराता जा रहा है। इसको लेकर दोनों […]

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भाषा

हिंदी दिवस का औचित्य और हिंदी भाषा की महत्ता

हिंदी दिवस पर विशेष आलेख। जितनी विद्या भूगोल में फैली हैं ,वह सब आर्यवर्त देश से मिश्र वालों यूनानी उनसे रोम और उनसे यूरोप देश में तथा उनसे आगे अमेरिका आदि देशों में फैली है (महर्षि दयानंद सत्यार्थप्रकाश एकादश समुल्लास) अब इसमें विवाद नहीं है की विद्या का मूल स्थान भारतवर्ष में पाया जाता है […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक संपत्ति : सम्प्रदाय प्रवर्तन

गीता और उपनिषदों में मिश्रण गतांक से आगे… इसी तरह की बात छान्दोग्य 8/ 13/1 में लिखी है कि ‘चन्द्र इव राहोर्मुखात् प्रमुच्य’अर्थात् जैसे चन्द्रमा राहु के मुख से छूट जाता है।यह दृष्टांत भी उन्हीं गैवारू बातों की चरितार्थ करता है,जो चन्द्रग्रहण के विषय में प्रचलित है। अर्थात् चन्द्रमा को राहु खा जाता है और […]

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पर्व – त्यौहार

जानिए कि सच्चा गणेश और गणेश की पूजा क्या ?

गणेश चतुर्थी के अवसर पर विशेष आज गणेश चतुर्थी है। मैं हैरान हूं, परेशान हूं, यह कौन से गणेश की बात कर रहे हैं ? क्या वह गणेश जो लंबी सूंड वाला है ? या वह गणेश जिसका मोटा सा पेट है ? या वह गणेश जिसके हाथी जैसे कान हैं ? या वह गणेश […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र विशेष संपादकीय

किसान आंदोलन का सच और मोदी सरकार

पर्वों से पूर्व किसानों को एमएसपी बढ़ोतरी का तोहफा शीर्षक से समाचार दैनिक जागरण समाचार पत्र में पढ़ा। जिसकी छाया प्रति संलग्न की जा रही है। सर्वप्रथम यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि भाजपा की केंद्रीय सरकार और प्रदेश सरकार की कुछ नीतियों का मैं समर्थन करता हूं। लेकिन इसका कदापि तात्पर्य यह नहीं है कि […]

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कविता

कविता — ऐ अफ़गानिस्तानी तालिबान

ए अफगानिस्तानी तालिबान। तू मान न मान । मैं तेरा मेहमान । मैं हूं पाकिस्तान। मुल्लाअब्दुल गनी बरादर। मुल्ला अखुंद ने किया निरादर। मुल्लाह बरादर को मारी गोली। फिर भी पाक तुर्की आदि की नजर में तालिबान की सूरत भोली। काबुल में गूंजा मुर्दाबाद पाकिस्तान। “मेरे अंगने में तुम्हारा क्या है काम” इस्लाम का है […]

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वैदिक संपत्ति

वैदिक संपत्ति : संप्रदायप्रवर्तन

गीता और उपनिषदों में मिश्रण गतांक से आगे… गीता भी तर्क से घबराती है।वह कहती है कि, ‘संशयात्मा विनश्यति’ अर्थात संशयात्मा नष्ट हो जाती है। परंतु हम देखते हैं कि तर्कशास्त्र में संशय एक जरूरी विषय है जो सत्यासत्य के निर्णय में काम आता है। बिना संशय के तो किसी बात का निर्णय ही नहीं […]

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इतिहास के पन्नों से

1857 की क्रांति और स्वामी दयानन्द* राजीव दीक्षित जी की जुबानी।

दीक्षित जी कहते हैँ मैंने 3,4 वर्ष अपने भारतीय अधिकारी साथियों के साथ इंग्लैंड के इंडिया हाऊस और पुरातत्व संग्रहालय मे 1857 के स्वाधीनता आंदोलन के प्रपत्र देखे हैं। 1857 स्वतंत्रता संग्राम के पाँच मुख्य केंद्र थे।मेरठ,दिल्ली, कानपुर, झाँसी और बिठूर। बिठूर तांत्याटोपे का गांव था। वहाँ अंग्रेज़ो ने तीन वर्ष में पैंतालीस हजार सैनिक […]

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महत्वपूर्ण लेख

राष्ट्रहित से ऊपर कुछ नहीं, अब यह परिवेश बनना ही चाहिए

मुझे एक बात रह रह कर परेशान करती है कि हमारी राष्ट्रीय सोच ,हमारी राष्ट्रीय जागृति, हमारी राष्ट्र भक्ति, हमारा राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना, हमारा राष्ट्र जागरण का पवित्र भाव, हमारे राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व एवं कर्तव्य आदि के भाव बड़ी तेजी से क्यों धूमिल होते जा रहे हैं ? हमारे लिए राष्ट्र […]

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