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विश्वगुरू के रूप में भारत स्वर्णिम इतिहास

प्राचीन भारत में लौह स्तंभ का निर्माण

लेखक:- प्रशांत पोळ दक्षिण दिल्ली से मेहरोली की दिशा में जाते समय दूर से ही हमें ‘क़ुतुब मीनार’ दिखने लगती हैं. २३८ फीट ऊँची यह मीनार लगभग २३ मंजिल की इमारत के बराबर हैं. पूरी दुनिया में ईटों से बनी हुई यह सबसे ऊँची वास्तु हैं. दुनियाभर के पर्यटक यह मीनार देखने के लिए भारत […]

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स्वर्णिम इतिहास

प्राचीन भारत में श्री यंत्र का रहस्य

  लेखक:- प्रशांत पोळ इस घटना को अब लगभग २९ वर्ष हो चुके हैं. इन वर्षों के दौरान यह घटना दोबारा घटित हुई हो, ऐसा कहीं सुना नहीं गया. परन्तु १९९० के अगस्त माह में, जब गर्मी अपना रौद्र रूप दिखा रही थी, तब यह घटना अमेरिका के ओरेगॉन प्रांत में घटित हुई थी. एक […]

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स्वर्णिम इतिहास

प्राचीन काल में इराक और भारत के संबंध

१. प्राचीन भारत-इराक भारतवर्ष का भाग था। भारत वर्ष का ३ अर्थों में प्रयोग हुआ है- (१) लोक पद्म- उत्तरी गोलार्द्ध के नकशे के ४ भागों में एक। इनको भू-पद्म के ४ दल कहा गया है- (विष्णु पुराण २/२)-भद्राश्वं पूर्वतो मेरोः केतुमालं च पश्चिमे। वर्षे द्वे तु मुनिश्रेष्ठ तयोर्मध्यमिलावृतः।२४। भारताः केतुमालाश्च भद्राश्वाः कुरवस्तथा। पत्राणि लोकपद्मस्य […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वाधीनता का अमर नायक राजा दहिर सेन , अध्याय – 3 (भाग – 2) अदम्य साहस और शौर्य का प्रतीक था राजा दाहिर सेन

    सब लोगों को मारता हुआ भी नहीं मारता, यह बात आज के कानून विदों के लिए या विधि विशेषज्ञों के लिए समझ में न आने वाली एक रहस्यमयी पहेली है। पर इसे हमारे वीर योद्धाओं ने भारतीय स्वाधीनता और संस्कृति की रक्षा के अपने प्रण का निर्वाह करते समय पूर्णतया अपनी नजरों के […]

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स्वर्णिम इतिहास

भारत का प्राचीन संपन्न रसायन शास्त्र

  लेखक:- प्रशांत पोळ पारे की खोज किसने की? इस प्रश्न का निश्चित एवं समाधानकारक उत्तर कोई नहीं देता. पश्चिमी दुनिया को सत्रहवीं शताब्दी तक पारे की पहचान भी नहीं थी. अर्थात मिस्र के पिरामिडों में ईस्वी सन १८०० वर्ष पूर्व पारा रखा जाना पाया गया है. पारा जहरीला होता है, इस बारे में सभी […]

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Uncategorised स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

देश की आन, बान और शान के रक्षक से शहीद उधम सिंह : 31 जुलाई बलिदान दिवस पर विशेष

ओ३म् शहीद ऊधम सिंह (जन्म 26-12-1899, बलिदान 31-7-1940, जीवन 40 वर्ष 7 महीने 5 दिन) का आज 81वां बलिदान दिवस है। ऊधम सिंह जी हमें पंजाब की धरती सुनाम संगरूर से मिले थे। पंजाब की धरती से हमें विगत एक शताब्दी में लाला लाजपत राय, स्वामी श्रद्धानन्द, सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जी आदि […]

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इतिहास के पन्नों से समाज स्वर्णिम इतिहास

“उजड़ देखकर गुर्जर राजी” – का क्या है अर्थ ?

  भारतीय इतिहास के विकृतिकरण के प्रति संकल्पित भारत-द्वेषी लोगों ने कई ढंग या उपाय अपनाएं हैं ।उनमें से एक उपाय यह भी है कि भारत प्रेमी इतिहासनायक या नायकों को बदनाम करो और फिर जनता में उनके प्रति तिरस्कार भाव उत्पन्न हो जाए तो धीरे-धीरे उन्हें इतिहास के पन्नों से विलुप्त कर दो। ऐसा […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भारतीय स्वाधीनता का अमर नायक राजा दाहिर सेन, अध्याय -3 , भाग – 2, अदम्य साहस और शौर्य का प्रतीक राजा दाहिर सेन

  अदम्य साहस और शौर्य का प्रतीक राजा दाहिर सेन सब लोगों को मारता हुआ भी नहीं मारता, यह बात आज के कानून विदों के लिए या विधि विशेषज्ञों के लिए समझ में न आने वाली एक रहस्यमयी पहेली है। पर इसे हमारे वीर योद्धाओं ने भारतीय स्वाधीनता और संस्कृति की रक्षा के अपने प्रण […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भारतीय स्वाधीनता का अमर नायक राजा दाहिर सेन, अध्याय – 3, भाग – 1 क्यों है हमारी स्वाधीनता कर रक्षक राजा दाहिर सेन ?

  क्यों है हमारी स्वाधीनता का रक्षक राजा दाहिर सेन? दाहिर सेन को स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय संस्कृति का रक्षक क्यों कहा जाए ? इस प्रश्न पर भी विचार करना बहुत आवश्यक है । क्योंकि कई लोगों को ऐसी भ्रांति हो सकती है कि हम ऐसा किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर कह रहे हैं। संस्कृति […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भारतीय स्वाधीनता का अमर नायक राजा दाहिर सेन, अध्याय – 2 ,भाग – 3 ,राजा ने की बड़ी चूक

  राजा ने की बड़ी चूक कई इतिहासकारों की ऐसी मान्यता है कि इस्लाम के इस सत्ता संघर्ष में उस समय राजा दाहिर सेन ने मोहम्मद साहब के कई परिजनों की रक्षा की थी। राजा दाहिर सेन ने अपनी उदारता का परिचय देते हुए कई मुस्लिमों को सिंधु देश में बसने दिया । इसके पीछे […]

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