Categories
भारतीय संस्कृति महत्वपूर्ण लेख स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

वनवास में रहे प्रभु श्री राम वनवासीयों के ज़्यादा क़रीबी थे

यह एक एतिहासिक तथ्य है कि प्रभु श्री राम ने लंका पर चढ़ाई करने के उद्देश्य से अपनी सेना वनवासियों एवं वानरों की सहायता से ही बनाई थी। केवट, छबरी, आदि के उद्धार सम्बंधी कहानियाँ तो हम सब जानते हैं। परंतु, जब वे 14 वर्षों के वनवास पर थे तो इतने लम्बे अर्से तक वनवास […]

Categories
इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

दूर दूर तक फैली थी आर्य संस्कृति

  भारत में पश्चिम की ओर सबसे प्रथम अफरीदी काबुली और बलूची देश आते हैं । इन देशों में इस्लाम के प्रचार के पूर्व आर्य ही निवास करते थे । यहीं पर गांधार था। गांधार को इस समय कंधार कहते हैं। जिसका अपभ्रंश कंदार और खंदार भी है। इसी के पास राजा गजसिंह का बसाया […]

Categories
स्वर्णिम इतिहास

किराए की कलम रखने वाले इतिहासकार और गौरव पूर्ण इतिहास

हाल में ही एक ज्योतिष-भविष्यवाणी वगैरह करने वाले बेजान दारूवाला की मृत्यु हुई तो अलग-अलग किस्म की कई बहसें भी नजर आयीं। हमें उनके साथ ही नारायणन की अंग्रेजी कहानी “एन एस्ट्रोलोजर डे” याद आई। उसका भविष्यवाणी करने वाला भी वैसे ही सुन्दर वाक्य गढ़ता था, जैसे बेजान दारूवाला। उसका एक प्रिय जुमला था “तुम्हें […]

Categories
स्वर्णिम इतिहास

प्राचीन भारत में नारियों की स्थिति बहुत ही सम्मान पूर्ण थी

हाल में ही एक ज्योतिष-भविष्यवाणी वगैरह करने वाले बेजान दारूवाला की मृत्यु हुई तो अलग-अलग किस्म की कई बहसें भी नजर आयीं। हमें उनके साथ ही नारायणन की अंग्रेजी कहानी “एन एस्ट्रोलोजर डे” याद आई। उसका भविष्यवाणी करने वाला भी वैसे ही सुन्दर वाक्य गढ़ता था, जैसे बेजान दारूवाला। उसका एक प्रिय जुमला था “तुम्हें […]

Categories
स्वर्णिम इतिहास

जोधपुर के महाराजा राव रिड़मल राठौड़ और मुगल बादशाह का दरबार

प्रस्तुति – श्रीनिवास आर्य मुगल बादशाह का दिल्ली में दरबार लगा था और हिंदुस्तान के दूर दूर के राजा महाराजा दरबार में हाजिर थे। उसी दौरान मुगल बादशाह ने एक दम्भोक्ति की है कोई हमसे बहादुर इस दुनिया में है? सभा में सन्नाटा सा पसर गया, एक बार फिर वही दोहराया गया! तीसरी बार फिर […]

Categories
स्वर्णिम इतिहास

कोलाचेल युद्ध में डचों को हराने वाले राजा मार्तंड वर्मा : इतिहास की पुस्तकों से गायब

डच वर्तमान नीदरलैंड (यूरोप) के निवासी हैं. भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से इन लोगों ने 1605 में डच ईस्ट इंडिया कंपनी बनायीं और ये लोग केरल के मालाबार तट पर आ गए. ये लोग मसाले, काली मिर्च, शक्कर आदि का व्यापार करते थे. धीरे धीरे इन लोगों ने श्रीलंका, केरल, कोरमंडल, बंगाल, बर्मा […]

Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र स्वर्णिम इतिहास

इतिहास पर गांधीवाद की छाया ,अध्याय – 4 गांधीजी और भगत सिंह की फांसी

गांधीजी और भगत सिंह की फांसी देश में कुछ लोग हैं जिनको गांधी की आलोचना पचाये नहीं पचती । ऐसे सज्जनों की जानकारी के लिए :बीबीसी’ की ओर से जारी की गई एक समीक्षा को हम यहां प्रेषित कर रहे हैं । जिसमें ‘बीबीसी’ ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि गांधीजी ने […]

Categories
भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

मेरी पुस्तक ‘भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा’ ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) अब छपकर हुई तैयार

इस पुस्तक का उपसंहार इस प्रकार है :- स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात भारत जब अपने वर्तमान दौर में प्रविष्ट हुआ तो भारत की सत्ता की कमान गांधीजी के राजनीतिक शिष्य नेहरू जी के हाथों में आई। दुर्भाग्यवश नेहरु जी ने भारत की छद्म अहिंसा को इस देश का मौलिक संस्कार बनाने का प्रयास किया । […]

Categories
भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा (है बलिदान इतिहास हमारा) अध्याय – 19 (ग) अंग्रेजों ने भारत क्रांति -भय से छोड़ा था , गांधी के कारण नहीं

अंग्रेज चाहते थे देश को कई टुकड़ों में बांटना भारत के इतिहास का यह एक विडम्बना पूर्ण तथ्य है कि जिस स्वतन्त्रता की लड़ाई को यह देश 1235 वर्ष तक ‘वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति’ – के आधार पर लड़ता रहा , उसी स्वतन्त्रता के मिलने का जब समय आया तो स्वतन्त्रता के आन्दोलन पर […]

Categories
स्वर्णिम इतिहास

प्राचीन युग में भारतीय-ध्वज का स्वरूप

गुंजन अग्रवाल सनातन धर्म में ध्वज का स्थान बहुत ऊंचा है। भारतवर्ष में ध्वज का उपयोग सनातन काल से ही हो रहा है। वेदों की प्रसिद्ध उक्ति है – अस्माकमिन्द्र: समृतेषु ध्वजेष्वस्माकं या इषवस्ता जयन्तु। अस्माकं वीरा उत्तरे भवन्त्वस्माँ उ देवा अवता हवेषु।। ऋग्वेद, 10-103-11, अथर्ववेद, 19-13-11 अर्थात्, हमारे ध्वज फहराते रहें, हमारे बाण विजय […]

Exit mobile version