भारतीय इतिहास के साथ की गई भारी छेड़छाड़ का सिलसिला परत दर परत उघड़ने लगा है । श्री राम जन्मभूमि के विवाद में जहां यह स्पष्ट हुआ कि वहां पर मूल रूप में कभी श्री राम जी का मंदिर था, वहीं उससे यह भी स्पष्ट हो गया कि भारत के इतिहास के तथ्यों के […]
श्रेणी: स्वर्णिम इतिहास
*✍️ आज की कहानी है एक ऐसे वीर की जिन्होंने अपनी वीरता और अदम्य साहस की बदौलत तांत्या टोपे को प्रभावित किया।* जिसके बाद तांत्या टोपे ने उन्हें गुरिल्ला युद्ध में पारंगत बनाया। ततपश्चात वो वीर अंग्रेजों के शोषण तथा विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ उठ खड़े हुए, देखते ही देखते वे गरीब आदिवासियों के […]
भारत का इतिहास अनेकों वीरांगनाओं के देशभक्ति पूर्ण कार्यों से भरा हुआ है। हमारी कई महान वीरांगनाओं ने अनेकों अवसरों पर युद्ध के मैदान में जाकर भी शत्रु के दांत खट्टे करने का ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण कार्य कर इतिहास में अमर ख्याति प्राप्त की है। क्षत्राणी वीरांगनाओं ने अपने दूध की लाज रखने के […]
ज्ञानेंद्र बरतरिया छत्रपति शिवाजी महाराज आज अपने वक्त से ज्यादा प्रासंगिक हैं। छत्रपति शिवाजी ने युद्ध, राजनीति-कूटनीति और सौहार्द की जो नीतियां गढ़ीं, जो परंपराएं स्थापित कीं- उन्हें सोलहवीं सत्रहवीं सदी के भारत में भले जितना समझा गया हो लेकिन उनके विचारों, नीतियों को बीसवीं-इक्कीसवीं सदी तक दुनिया में सबसे ज्यादा अहमियत दी जा […]
विवेक भटनागर कम्युनिस्टों से लेकर राष्ट्रवादियों तक सभी एक स्वर से भारत की हजार वर्ष की गुलामी की बात सरलता से कह जाते हैं। बारहवीं शताब्दी में मोहम्मद गोरी के दिल्ली पर कब्जा करने से लेकर वर्ष 1947 में अंग्रेजों के जाने तक के काल को सभी सहज भाव से भारत की गुलामी का […]
कृपाशंकर सिंह ऋग्वेद मे कुएँ का उल्लेख अनेक ऋचाओं में हुआ है। इससे पता चलता है कि ऋग्वेदिक काल में सिंचाई के साधनों में कुआँ का उपयोग भी होता रहा होगा। इसकी प्रप्ति कई़ ऋचायों मे चरस का नाम आने से भी होती है। सम्भवतः पीने के लिये भी कुएँ के पानी का उपयोग […]
इतिहास बडा चमत्कारी विषय है। इसको खोजते खोजते हमारा सामना ऐसे स्थिति से होता है, की हम आश्चर्य में पड़ जाते हैं। पहले हम स्वयं से पूछते हैं, यह कैसे संभव है? डेढ़ हजार वर्ष पहले इतना उन्नत और अत्याधुनिक ज्ञान हम भारतीयों के पास था, इस पर विश्वास ही नहीं होता! गुजरात के […]
सुद्युम्न आचार्य [ निदेशक, वेद वाणी वितान, प्राच्य विद्या शोध संस्थान,सतना(म.प्र.)] महाविज्ञानी आर्यभट्ट के ग्रन्थों में भूपरिधि की नाप का विधि का अस्पष्ट निर्देश प्राप्त होता है। 11वीं शताब्दी में भास्कराचार्य ने इसकी विधि का स्पष्ट उल्लेख किया है। इसे ज्ञात करने के लिये प्रमुखत: दो तथ्यों को जानना आवश्यक होता है। प्रथम, किसी […]
असम के लोग तीन महान व्यक्तियों का बहुत सम्मान करते हैं। प्रथम, श्रीमंत शंकर देव, जो पन्द्रवीं शताब्दी में वैष्णव धर्म के महान प्रवत्र्तक थे। दूसरे, लाचित बरफूकन, जो असम के सबसे वीर सैनिक माने जाते हैं और तीसरे, लोकप्रिय गोपी नाथ बारदोलोई, जो स्वतन्त्रता संघर्ष के दौरान अग्रणी नेता थे। लाचित बरफूकन ‘अहोम […]
17 नवम्बर/बलिदान-दिवस ‘‘यदि तुमने सचमुच वीरता का बाना पहन लिया है, तो तुम्हें सब प्रकार की कुर्बानी के लिए तैयार रहना चाहिए। कायर मत बनो। मरते दम तक पौरुष का प्रमाण दो। क्या यह शर्म की बात नहीं कि कांग्रेस अपने 21 साल के कार्यकाल में एक भी ऐसा राजनीतिक संन्यासी पैदा नहीं कर […]