पश्चिमी एशिया भारत में पश्चिम की ओर सबसे प्रथम अफरीदी काबुली और बलूची देश आते हैं । इन देशों में इस्लाम के प्रचार के पूर्व आर्य ही निवास करते थे । यहीं पर गांधार था। गांधार को इस समय कंधार कहते हैं। जिसका अपभ्रंश कंदार और खंदार भी है। इसी के पास राजा […]
श्रेणी: स्वर्णिम इतिहास
610 ई0 में इस्लाम की स्थापना पैगंबर मोहम्मद साहब द्वारा की गई । इसके कुछ समय पश्चात ही इस्लाम के आक्रमणकारियों के भारत पर आक्रमण आरंभ हो गए ।638 ई0 से 712ई0 तक के 73वर्ष के कालखंड में 9 खलीफाओं ने 15 आक्रमण भारतवर्ष पर किए । यद्यपि यह सारे आक्रमण बहुत ही कम […]
-प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज भारत के इतिहास के विषय में 15 अगस्त 1947 ईस्वी के बाद सरकार द्वारा नियंत्रित शिक्षण संस्थाओं में केवल उसे ही प्रामाणिक तथ्य की तरह प्रस्तुत किया गया जो यूरोपीय लेखकों ने लिखा। महत्वपूर्ण यह है कि किसी भी यूरोपीय देश में उनका इतिहास इस आधार पर एक शब्द भी नहीं […]
1000 वर्ष पूर्व और 1000 वर्ष बाद कौन सी तारीख को , कितने बज कर कितने बजे तक ( घड़ी , पल , विपल ) कैसा सूर्यग्रहण या चन्द्र ग्रहण लगेगा या होगा , यह हमारा ज्योतिष विज्ञान बिना किसी अरबों खरबों का संयत्र उपयोग में लाये हुए बता देता है ! क्या कभी नोटिस […]
सापेक्षता का सिद्धांत और भारतीय मनीषि… हम न्यूटन को जानते हैं, स्वामी ज्येष्ठदेव को नहीं.. 👆🏻👆🏻👆🏻👆🏻ये दो लेख एकसाथ संग्रहित कर रहा हूँ, भारतीय मनीषी नामक शीर्षक से.. भारतीय मनीषी =============== विश्व भर में कुछ वर्ष पहले अल्बर्ट आइंस्टीन की General Theory of Relativity (GTR) की सौंवी वर्षगांठ मनाई गई. इस सन्दर्भ में 25 नवम्बर […]
प्रस्तुति:- राकेश कुमार आर्य (बागपत) एक बार राजा परीक्षित आखेट हेतु वन में गये। वन्य पशुओं के पीछे दौडऩे के कारण वे प्यास से व्याकुल हो गये तथा जलाशय की खोज में इधर उधर घूमते घूमते वे शमीक ऋषि के आश्रम में पहुँच गये। वहाँ पर शमीक ऋषि नेत्र बंद किये हुये तथा शान्तभाव […]
महावीर प्रसाद द्विवेदी कूपमण्डूकता बड़ी ही अनिष्टकारिणी क्या एक प्रकार से, विनाशकारिणी होती है। मनुष्य यदि अपने ही घर, ग्राम या नगर में आमरण पड़ा रहे तो उसकी बुद्धि का विकास नहीं होता, उसके ज्ञान की वृद्धि नही होती, उसकी दृष्टि को दूरगामिनी गति नहीं प्राप्त होती। देश—विदेश जाने, भिन्न भिन्न जातियों और धम्मों के […]
मनीषा सिंह भारत माता की कोख से एक से बढ़कर एक महान वीर ही नहीं बल्कि कई वीरांगनाओं ने भी जन्म लिया है जिन्होंने भारत माता की रक्षा के लिए अपने सर्वस्व सुखों का त्याग कर अपनी मातृभूमि कि पूरे मनोयोग के साथ रक्षा की। ऐसी महान वीरांगनाओं की श्रेणी में नाम आता है। […]
डॉ. कृपा शंकर सिंह भारत और राष्ट्र, ये दोनों शब्द सदियों पहले से इस देश के भूभाग के लिये प्रयुक्त होते रहे है। विश्व का प्राचीनतम लिखित प्रमाण और भारतीय अस्मिता की आत्मा ऋग्वेद में राष्ट्र शब्द अनेक बार प्रयुक्त हुआ है। दसवें मंडल में राष्ट्र, राजा और प्रजा (समाज) को लेकर ऋचायें कही […]
प्राचीन काल से ही भारतभूमि का इतिहास काफी रोचक रहा है। हमारे देश में सत्ता प्राप्त करने एवं मिली हुई सत्ता सुरक्षित रखने के लिए कई युद्ध हुए हैं, जिनसे जुड़ी जानकारी हमें इतिहास की किताबों के माध्यम से मिलती है। लेकिन इतिहासकारों ने बहुत सी बातों को या तो अधूरा ही रखा […]