Categories
कविता

गीता मेरे गीतों में ( गीता के मूल ७० श्लोकों का काव्यानुवाद) 28

योग युक्त मुनि और ईश्वर प्राप्ति सुखदाई शरण भगवान की है ज्ञानी जन उसको हैं पाते। योग युक्त जीवन जीते और संसार में हैं पूजे जाते।। उलझी सितार की तारों को जो सुलझाने में लगा रहा। खार जार में उलझ गया और मनचाहा कुछ पा न सका।। निरर्थक ऐसे जीवन हैं ,जो काल के थप्पड़ […]

Categories
कविता

गीता मेरे गीतों में : ( गीता के मूल ७० श्लोकों का काव्यानुवाद) गीत 27

कर्म योग की श्रेष्ठता गुरु की कृपा से आता है वसंत हमारे जीवन में। गुरु ही भरता नई ऊर्जा, नव – स्फूर्ति जन-गण में।। करो कीर्तन सच्चे गुरु का यही वेद की आज्ञा है। कृतघ्नता का दोष लगे ना, इस पर ध्यान लगाना है।। साक्षात्कार जब हो जाता है, परमपिता से सीधा ही। मिट जाते […]

Categories
कविता

गीता मेरे गीतों में ( गीता के मूल ७० श्लोकों का काव्यानुवाद) 26

ज्ञान की श्रेष्ठता जीवन सफल हो यज्ञ से हृदय की है पुकार । प्राण यज्ञ से समर्थ हो , मैं कहता बारम्बार ।। अपान समर्थ हो यज्ञ से – यही हृदय की चाह । अपान यज्ञ के अनुकूल हो चले ना उल्टी राह ।। उदान और हों समान भी यज्ञ – भाव से पूर्ण। नेत्र […]

Categories
कविता

गीता मेरे गीतों में ( गीता के मूल ७० श्लोकों का काव्यानुवाद) अनेक प्रकार के यज्ञ …. गीत 25

पंचमहाभूत हैं और पंच महायज्ञ हैं ईश्वर की सृष्टि स्वयं एक यज्ञ है ईश्वर का विधान ‘वेद’ भी एक यज्ञ है ईश्वर का हर उपदेश ही एक यज्ञ है। लोकोपकारक शुभ कर्म एक यज्ञ है संसार में निष्काम – कर्म भी यज्ञ है नित्य- नैमित्तिक कर्म भी एक यज्ञ है हमारे हृदय को करता पवित्र […]

Categories
कविता हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

लोग कहें ले ली आजादी चला चला कर चरखा.

लोग कहें ले ली आजादी चला चला कर चरखा. आजादी लाने वाले तो सौदा कर गए सर का. उलटे घुटने कर के ये जब चरखा चलाया करते. इक अंगुली के द्वारा तकली खूब घुमाया करते. उसी समय वो शेर सिंघापुर बम बरसाया करते. आजाद हिंद सेना में खून से नाम लिखाया करते. निकले पीछे फेर […]

Categories
कविता

गीता मेरे गीतों में ( गीता के मूल ७० श्लोकों का काव्यानुवाद) गीत संख्या : 24

बंधन मुक्त अवस्था राजनीति का प्रश्न नहीं है आज खड़ा तेरे सम्मुख। उपस्थित हुई आज एक चुनौती मानवता जिससे व्याकुल।। वृहद सांस्कृतिक समस्या अर्जुन ! अब तुझको रही पुकार। इतिहास तुझे कोसेगा निश्चय, यदि नहीं किया स्वीकार।। हुई मानवता है खंड – खंड , अब नव -निर्माण करना होगा। दुर्योधन आदि दुष्टों को , अब […]

Categories
कविता

गीता मेरे गीतों में ( गीता के मूल ७० श्लोकों का काव्यानुवाद) गीत 23

कर्तव्य का निश्चय नित्य – कर्म करते चलो , हो जीवन का उत्थान। गुरुजनों और मात – पिता का करते रहो सम्मान।। शरीर की रक्षा करना भी, नित्य कर्म ही होय। जो इनका निश्चय करे ,सदा उसका मंगल होय।। समय – समय पर जो हमें, करने पड़ते काम। नैमित्तिक उनको कहें, बात सही मेरी मान।। […]

Categories
कविता

गीता मेरे गीतों में ( गीता के मूल ७० श्लोकों का काव्यानुवाद) गीत – 22

निष्काम कर्ममय जीवन से मुक्ति साधु पुरुष जब होते दु:खी भगवान की इस सृष्टि में। और अनिष्टकारी शक्तियां होतीं हैं प्रबल सृष्टि में।। तब उनके भी विनाश हेतु शक्तियां होतीं प्रकट सृष्टि में। कर्म फल मिलता सभी को , भगवान की इस सृष्टि में।। कुछ काल के लिए कभी साधु पुरुष साध जाते मौन हैं। […]

Categories
कविता

किवाड़” !* *हमारी प्राचीन संस्कृति व संस्कार की पहचान*

*क्या आपको पता है ?* *कि “किवाड़” की जो जोड़ी होती है !* *उसका एक पल्ला “पुरुष” और,* *दूसरा पल्ला “स्त्री” होती है।* *ये घर की चौखट से जुड़े-जड़े रहते हैं।* *हर आगत के स्वागत में खड़े रहते हैं।।* *खुद को ये घर का सदस्य मानते हैं।* *भीतर बाहर के हर रहस्य जानते हैं।।* *एक […]

Categories
कविता

गीता मेरे गीतों में ( गीता के मूल ७० श्लोकों का काव्यानुवाद) गीत – 21

धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि संसार धर्म से चल रहा धर्म ही सबका मूल। धर्म युक्त जीवन यदि चुभे न कोई शूल।। जब धर्म की हो कमी अधर्म बहुत बढ़ जाय । त्राहिमाम जन कर उठें , पाप – ताप बढ़ जाय।। जीव – जीव अशांत हो और जीवन हो बेचैन। दिन काटना […]

Exit mobile version