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कविता हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

लोग कहें ले ली आजादी चला चला कर चरखा.

लोग कहें ले ली आजादी चला चला कर चरखा.
आजादी लाने वाले तो सौदा कर गए सर का.
उलटे घुटने कर के ये जब चरखा चलाया करते.
इक अंगुली के द्वारा तकली खूब घुमाया करते.
उसी समय वो शेर सिंघापुर बम बरसाया करते.
आजाद हिंद सेना में खून से नाम लिखाया करते.
निकले पीछे फेर दुबारा मुंह न देखा घर का.१

पाव सूत कात्या करते जब आप लोग दो दिन में.
उधम ने जब डायर मारा जाकर के लन्दन में.
ये चरखे वाले कहते थे के क्या फायदा अनबन में.
चन्द्र शेखर यूँ बोल्या हम कोन्या रहें बंधन में.
केसे सिन्धु पार किया पढो किस्सा सावरकर का.२

एक नाना साहब तांत्या टोपे मेनावती बेचारी.
घोड़ों की टापों से बांध कर अंग्रेजों ने मारी.
भगत सिंह ने असेम्बली में करी थी जब बमबारी.
उस मोके पर कहाँ गई थी तकली कहो तुम्हारी?
आज राज के मालिक बन गए चोला पहन खद्दर का.३

जितने आप भगत गाँधी के दायरे में रहना चाहिए.
इधर उधर की बातें कर न धारा में बहना चाहिए.
सत्ता के मद में होकर न आर्यों से फहना चाहिए.
राष्ट्र पिता तो महर्षि दयानंद को कहना चाहिए.
चन्द्र भान सच्ची कह दे काम नहीं कुछ डर का.४

लेखक : स्व. श्री चन्द्र भानु आर्य भजनोपदेशक जींद

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