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इतिहास के पन्नों से

आर्य समाज ही क्यूँ बनाई ऋषि ने ?

प्रायः लोगों को पता है 1875 में महाराष्ट्र प्रांत मुंबई गिरगांव मोहल्ला में डॉ. मणिकराव के घर ऋषि दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना की थी | आखिर आर्य समाज नाम ऋषि दयानंद ने क्यों रखा ? जवाब बड़ा सीधा है, ऋषि ने अपने गुरु विरजानंद के शरण में रहकर जाना | वेद, वैदिक धर्म […]

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इतिहास के पन्नों से

चक्रवर्ती सम्राटअशोक का साम्राज्य और उनके के उत्तराधिकारी

उगता भारत ब्यूरो अशोक का विशाल साम्राज्य हिंदू-कुश के पैरों से लेकर चरम दक्षिण में तमिल देशों की सीमाओं तक फैला हुआ था, जो किसी भी कमजोर राजा द्वारा शासित होने में असमर्थ था। जब 236 ईसा पूर्व में अशोक का तीस साल के एक शक्तिशाली शासनकाल के बाद उनका राजदंड हो गया था जो […]

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इतिहास के पन्नों से

हैदराबाद संग्राम काल में आर्य समाज द्वारा किया प्रखर आंदोलन

– (स्व. वसंत ब. पोतदार) #HyderabadLiberationDay #Aryasamaj_struggle_in_Hyderabad [आज हैदराबाद का ओवैसी मुस्लिम अधिकारों को लेकर संसद से लेकर सड़क पर शोर मचाता फिरता हैं। इतिहास उठाकर देखिये ओवैसी के पिता और उसके सहयोगियों द्वारा चलाई जाने वाली मजलिस नामक संस्था निज़ाम द्वारा संरक्षित रजाकारों की फौज के साथ मिलकर हिन्दुओं पर कैसे कैसे अत्याचार करती […]

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इतिहास के पन्नों से

क्या कभी कोहिनूर हीरा वापस भी लाया जा सकता है ?

दीपक वर्मा कोहिनूर हीरा तो अभी ब्रिटेन में हैं मगर उसपर दावा भारत के साथ-साथ पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान भी करते हैं। दुनिया का सबसे मशहूर हीरा ब्रिटेन पहुंचने से पहले भारत के कई शाही खानदानों से होकर गुजरा। मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक, कोहिनूर जिसके हाथ लगा उसके लिए बदकिस्‍मती ही लेकर आया। इसे पाने […]

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इतिहास के पन्नों से

राजभाषा हिंदी और पंडित नेहरू

आज हम स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक हैं। हमारी राज-भाषा हिंदी है, हिंदीभाषी विश्व में सबसे अधिक हैं। अंग्रेजी को ब्रिटेन के लगभग दो करोड़ लोग मातृभाषा के रूप में प्रयोग करते हैं, जबकि हिंदी को भारत में उत्तरप्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे प्रांतों में लगभग साठ- पैंसठ करोड़ लोग अपनी मातृभाषा के रूप में प्रयोग करते हैं। हिंदी संपर्क भाषा के रूप में […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

क्रांतिकारी मैना कुमारी और बिना खड़ग बिना ढाल का काला सच

उगता भारत ब्यूरो 11 सितम्बर 1857 आज का ही दिन था जब…बिठूर में एक पेड़ से बंधी 13 वर्ष की लड़की को, ब्रिटिश सेना ने जिंदा ही आग के हवाले किया, धूँ धूँ कर जलती वो लड़की, उफ़ तक न बोली और जिंदा लाश की तरह जलती हुई, राख में तब्दील हो गई। ये लड़की […]

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इतिहास के पन्नों से

गांधी – सावरकर और देश की आजादी की लड़ाई

45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल पेरवाते हैं, रस्सी बटवाते हैं और […]

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इतिहास के पन्नों से

यह अंधेरगर्दी कब तक?

#डॉ_विवेक_आर्य देवदत्त पटनायक काल्पनिक उपन्यास लिखने वाले लेखक है जिनके विषय मुख्य रूप से पौराणिक देवी-देवता होता हैं। आपके उपन्यास न केवल तथ्य रहित होते है बल्कि वैदिक सिद्धांतों से भी कोसो दूर होते हैं। मेरे विचार से यह व्यापार तुरंत बंद किया जाना चाहिए क्यूंकि इसके दूरगामी परिणामों पर कोई ध्यान नहीं देता। आज […]

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इतिहास के पन्नों से

यह था आर्यावर्त का वास्तविक विस्तार और उसकी सीमाएं

 डॉ॰ राकेश कुमार आर्य आर्यावर्त शब्द हमारे भारत के प्राचीन गौरव को दर्शाने वाला बहुत ही पवित्र शब्द है । आर्यावर्त का शाब्दिक अर्थ है- ‘आर्यो आवर्तन्तेऽत्र’ अर्थात् ‘आर्य जहाँ सम्यक प्रकार से बसते हैं।’ आर्यावर्त का दूसरा अर्थ है- ‘पुण्यभूमि’। मनुस्मृति 2.22 में आर्यावर्त की परिभाषा इस प्रकार दी हुई है- ( मनुस्मृति – […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ज्ञान चक्षु खोलने में समर्थ है शिकागो व्याख्यान

डॉ. वंदना सेन वर्तमान में जिस प्रकार से देश प्रगति कर रहा है, उसी प्रकार से कुछ लोग भारतीयता से दूर भी होते जा रहे हैं। हालांकि इस निमित्त कई संस्थाएं भारतीय संस्कारों को जन जन में प्रवाहित करने के लिए प्रयास कर रही हैं। यही कार्य भारत के संत मनीषियों ने किया था, जिसके […]

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