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महाजनपद काल – एक सम्पूर्ण यात्रा (भाग-11)-वज्जि महाजनपद

उगता भारत ब्यूरो

वज्जि या वृजि प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था।यह महाजनपद मगध के उत्तर में स्थित था।कई छोटे राज्यों को मिलाकर इसकी उत्पत्ति हुई थी,यह संघ आठ कुलों के संयोंग से बना और इनमें चार (विदेह, ज्ञातृक, वज्जि और लिच्छवि) कुल अधिक प्रमुख थे ।

इसकी राजधानी वैशाली थी। वज्जि के गणराज्य बनने के बाद इसका राज्य-संचालन अष्टकुल द्वारा होने लगा।

वज्जि गणराज्य –

*उत्तर बिहार का बौद्ध कालीन गणराज्य जिसे बौद्ध साहित्य में वृज्जि कहा गया है।

*वास्तव में यह गणराज्य एक राज्य-संघ था जिसके आठ अन्य सदस्य (अट्ठकुल) थे जिनमें विदेह, लिच्छवी तथा ज्ञातृकगण प्रसिद्ध थे।

*वृजियों का उल्लेख पाणिनि ने दिया है।

*कौटिल्य अर्थशास्त्र में वृजिकों को लिच्छविकों से भिन्न बताया गया है और वृजियों के संघ का भी उल्लेख किया गया है।

*युवानच्वांग ने भी वृज्जि देश को वैशाली से अलग बताया है किन्तु फिर भी वृजियों का वैशाली से निकट सम्बन्ध था।

*बुद्ध के जीवनकाल में मगध सम्राट अजातशत्रु और वृज्जि गणराज्य में बहुत दिनों तक संघर्ष चलता रहा।

*महावग्ग के अनुसार अजातशत्रु के दो मन्त्रियों सुनिध और वर्षकार (वस्सकार) ने पाटलिग्राम (पाटलिपुत्र) में एक क़िला वृज्जियों के आक्रमणों को रोकने के लिए बनवाया था।

*महापरिनिब्बान सुत्तन्त में भी अजातशत्रु और वृज्जियों के विरोध का वर्णन है।

*वज्जि शायद वृजि का ही रूपांतर है।

*बुल्हर के मत में वज्रि का नामोल्लेख अशोक के शिलालेख सं. 13 में है।

जैन तीर्थंकर महावीर वृज्जि गणराज्य के ही राजकुमार थे।

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