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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

क्रांतिकारी मैना कुमारी और बिना खड़ग बिना ढाल का काला सच

उगता भारत ब्यूरो 11 सितम्बर 1857 आज का ही दिन था जब…बिठूर में एक पेड़ से बंधी 13 वर्ष की लड़की को, ब्रिटिश सेना ने जिंदा ही आग के हवाले किया, धूँ धूँ कर जलती वो लड़की, उफ़ तक न बोली और जिंदा लाश की तरह जलती हुई, राख में तब्दील हो गई। ये लड़की […]

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इतिहास के पन्नों से

गांधी – सावरकर और देश की आजादी की लड़ाई

45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल पेरवाते हैं, रस्सी बटवाते हैं और […]

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इतिहास के पन्नों से

यह अंधेरगर्दी कब तक?

#डॉ_विवेक_आर्य देवदत्त पटनायक काल्पनिक उपन्यास लिखने वाले लेखक है जिनके विषय मुख्य रूप से पौराणिक देवी-देवता होता हैं। आपके उपन्यास न केवल तथ्य रहित होते है बल्कि वैदिक सिद्धांतों से भी कोसो दूर होते हैं। मेरे विचार से यह व्यापार तुरंत बंद किया जाना चाहिए क्यूंकि इसके दूरगामी परिणामों पर कोई ध्यान नहीं देता। आज […]

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यह था आर्यावर्त का वास्तविक विस्तार और उसकी सीमाएं

 डॉ॰ राकेश कुमार आर्य आर्यावर्त शब्द हमारे भारत के प्राचीन गौरव को दर्शाने वाला बहुत ही पवित्र शब्द है । आर्यावर्त का शाब्दिक अर्थ है- ‘आर्यो आवर्तन्तेऽत्र’ अर्थात् ‘आर्य जहाँ सम्यक प्रकार से बसते हैं।’ आर्यावर्त का दूसरा अर्थ है- ‘पुण्यभूमि’। मनुस्मृति 2.22 में आर्यावर्त की परिभाषा इस प्रकार दी हुई है- ( मनुस्मृति – […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ज्ञान चक्षु खोलने में समर्थ है शिकागो व्याख्यान

डॉ. वंदना सेन वर्तमान में जिस प्रकार से देश प्रगति कर रहा है, उसी प्रकार से कुछ लोग भारतीयता से दूर भी होते जा रहे हैं। हालांकि इस निमित्त कई संस्थाएं भारतीय संस्कारों को जन जन में प्रवाहित करने के लिए प्रयास कर रही हैं। यही कार्य भारत के संत मनीषियों ने किया था, जिसके […]

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इतिहास के पन्नों से

यदि देश को इस्लामिक राष्ट्र बनने से बचाना है तो अवश्य पढ़ें :*आर्य विदुषी का अतुलनीय योगदान।*

*आर्य विदुषी का अतुलनीय योगदान।* सिकंदराबाद के निकट पिलखन गाँव की कहानी यह है। 1904 का सन् था, बरसात का मौसम और मदरसे की छुट्टी हो चुकी थी… लड़कियाँ मदरसे से निकvल चुकी थी… अचानक ही आँधी आई और एक लड़की की आँखों में धूल भर गई, आँखें बंद और उसका पैर एक कुत्ते पर […]

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11 सितंबर शिकागो संभाषण दिवस पर विशेष –          • शिकागो संभाषण भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक प्रगति का रोडमैप है – 

                         स्वामी विवेकानंद जी ने भारत को व भारतत्व को कितना आत्मसात् कर लिया था, यह कविवर रविन्द्रनाथ टैगोर के इस कथन से समझा जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा था कि – यदि आप भारत को समझना चाहते हैं तो एक व्यक्ति को पूरा पढ़ लीजिये, और वो व्यक्ति हैं स्वामी विवेकानंद। नोबेल से सम्मानित […]

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भारत का शानदार गौरवपूर्ण अतीत

जिसने उसे कभी विश्व गुरु बनाया था आज भी उसके पास बहुत सारी ऊर्जा है और भविष्य में भी वह संसार का गुरु बनेगा ऐसी भी अनन्त संभावनाएं हैं। भारत की झोली कभी न तो खाली थी न खाली है और न रहेगी यदि भारत नहीं कटता तो आज 100 करोड़ लोग और हिंदू होते […]

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इतिहास के पन्नों से

इंदिरा गांधी यदि कुछ और समय जिंदा रहती तो भारत हिंदू राष्ट्र बन गया होता ? ——इंजिनीयर श्याम सुन्दर पोद्दार, राष्ट्रीय महामंत्री, अखिल भारत हिन्दु महासभा ——

——————————————— कुछ भी हो कांग्रेस के नेताओं में आज तक जितने भी प्रधानमंत्री बने हैं उनमें सबसे अधिक मजबूत निर्णय लेने वाला यदि कोई प्रधानमंत्री था तो वह इंदिरा गांधी रही है। वह अपनी मजबूती और ठोस निर्णय के लिए इतिहास में जानी जाती हैं। उनके निर्णयों के भीतर अपने पिता के जैसी ढुलमुल नीति […]

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नेहरू ने नेताजी का स्मारक बनवाने का प्रस्ताव क्यों ठुकराया था?

लेखक – अखिलेश झा बात साल 1960 की है। दूसरी लोकसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा था। 2 दिसंबर 1960 को निचले सदन में एक प्रस्ताव रखा गया कि जापान के रेंकोजी मंदिर से नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की अस्थियों को भारत लाया जाए। नेताजी की अस्थियों के लिए दिल्ली के लालकिले का सामने एक भव्य […]

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