आर्य सागर खारी 🖋️
भारत के इतिहास को अंग्रेजों के गज में ही यदि हम नापे तो आज से लगभग 2300 वर्ष पहले… आचार्य कौटिल्य जो चाणक्य के नाम से प्रसिद्ध है उन्होंने अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ का सृजन किया| इस ग्रंथ में आचार्य ने एक राष्ट्र की लोक व्यवस्था अर्थात पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ,न्याय व्यवस्था, आर्थिक नीति, राजस्व व्यवस्था, कर व्यवस्था गुप्तचर व्यवस्था, विदेश नीति ,सुरक्षा नीति शिक्षा नीति कृषि व्यापार आदि पर अमूल्य सूत्रों का सृजन किया है|
फौजदारी ,आर्थिक अपराधों का वर्गीकरण उनके लिए अलग-अलग दंड की व्यवस्था, राज कर्मचारियों के लिए दंड ,भ्रष्टाचारियों के लिए दंड आदि पर भी उल्लेखनीय प्रकाश डाला गया बेईमान व ईमानदार राज कर्मचारियों अधिकारियों की परीक्षा और निरीक्षण… भ्रष्टाचार के तरीकों का विस्तृत वर्णन किया है.. राजकोष को बट्टा लगाने वाले कर्मचारियों की पहचान उनकी परीक्षा कैसे हो इस पर भी अवलोकन किया गया है कूट रचित दस्तावेज झूठी साक्षी के लिए दंड आदि पर भी व्यवस्था दी है |
प्राकृतिक व अप्राकृतिक मृत्यु ,महिला अपराधों organised crime राजद्रोह के अपराधों में समाधान फॉरेंसिक साइंस के सिद्धांतों को भी प्रतिपादित आचार्य ने किया है |
आचार्य चाणक्य का यह ग्रंथ बहुत ही जटिल परिभाषिक लोक व्यवहार में आप्रसिद्ध शब्दों से युक्त माना जाता है अंग्रेज व पश्चिम के विद्वान इसका आज तक अनुवाद नहीं कर सके… हां लेकिन अपने-अपने देशों में इस ग्रंथ की शिक्षाओं को लागू कर आर्थिक सैन्य महाशक्ति जरूर बन गए हैं|
अब से 100 साल पहले दो प्रयास इस ग्रंथ के अनुवाद के किए गए हैं एक प्रयास मैसूर रियासत के मंत्री श्याम राम शास्त्री ने तथा दूसरा प्रयास मूर्धन्य विद्वान आचार्य उदयवीर शास्त्री ने किया है… आचार्य उदयवीर शास्त्री का अनुवाद सबसे प्रमाणित माना जाता है… आचार्य उदयवीर शास्त्री की शिक्षा आज के गौतम बुध नगर व अतीत के बुलंदशहर जनपद के गुरुकुल मंडी श्याम नगर सिकंदराबाद में हुई थी यह एक ऐतिहासिक संस्था थी जिसकी स्थापना स्वामी दर्शनानंद सरस्वती ने की थी इस संस्था मैं भारत व नेपाल के बहुत से क्रांतिकारियों ने शिक्षा पाई है… बहुत से योग्य दर्शन आचार्य संस्कृत आचार्य गुरुकुल से निकले | खुद आचार्य उदयवीर शास्त्री लाहौर महाविद्यालय में शहीद-ए-आजम भगतसिंह से लेकर दर्जनों क्रांतिकारियों के मार्गदर्शक गुरु रहे हैं |
खैर विषय की ओर लौटते हैं कौटिल्य अर्थशास्त्र ग्रंथ पर अब अपना प्रयास रहेगा एक दो महीने लिखने का ताकि आम जन अमूल्य निधि से परिचित हो पाए |
आर्य सागर खारी ✍✍✍