बंगला उपन्यासकार शरद चंद्र के जीवन पर ‘आवारा मसीहा’ जैसी कालजयी रचना लिखने वाले हिन्दी कथाकार श्री विष्णु प्रभाकर का जन्म 21 जून, 1912 को मीरापुर (मुजफ्फरनगर, उ.प्र.) में हुआ था। उनका प्रारम्भिक जीवन हरियाणा के हिसार नगर में व्यतीत हुआ। वहां से ही उन्होंने 1929 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• 🛡️ 18 जून बलिदान दिवस 🛡️ ➡️ 18 जून. 1576 को हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप और अकबर की सेनाओं के मध्य घमासान युद्ध मचा हुआ था। युद्ध जीतने को जान की बाजी लगी हुई। वीरों की तलवारों के वार से सैनिकों के कटे सिर से खून बहकर हल्दीघाटी रक्त तलैया में तब्दील हो गई। […]
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ प्राचीनकाल में जब मंदिर बनाए जाते थे तो वास्तु और खगोल विज्ञान का ध्यान रखा जाता था। इसके अलावा राजा-महाराजा अपना खजाना छुपाकर इसके ऊपर मंदिर बना देते थे और खजाने तक पहुंचने के लिए अलग से रास्ते बनाते थे। इसके अलावा भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जिनका संबंध न तो […]
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 १८ जून/इतिहास-स्मृति १८जून,१५७६ को सूर्य प्रतिदिन की भाँति उदित हुआ; पर वह उस दिन कुछ अधिक लाल दिखायी दे रहा था। चूँकि उस दिन हल्दीघाटी में खून की होली खेली जाने वाली थी।एक ओर लोसिंग में अपने प्रिय चेतक पर सवार हिन्दुआ सूर्य महाराणा प्रताप देश की स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए डटे […]
-प्रियांशु सेठ (18 जून, महारानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर विशेष रूप से प्रकाशित) स्वराज्य की रक्षा में अपना सर्वस्व निछावर कर देने वाली महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन की स्मृतियों का स्मरण कर प्रत्येक देशप्रेमियों का मन पुलकित हो उठता है। उनकी जीवनी से हम इस बात की प्रेरणा ग्रहण करते हैं कि यदि स्वराज्य […]
भारत ने किसी भी विदेशी सत्ताधारी को कभी भी अपना शासक स्वीकार नहीं किया। अनमने मन से या किसी मजबूरी के चलते यदि कहीं कुछ देर के लिए इन विदेशी सत्ताधारियों को अपना शासक स्वीकार कर भी लिया गया तो भारत के लोगों ने समय आते ही उसकी सत्ता पलटने या उसका सर्वनाश करने […]
मॉडर्न जर्नलिज्म की एक प्रमुख शाखा है war journalism/ Repoorting ( युद्ध पत्रकारिता) बड़े ही साहसी होते हैं यह युद्ध पत्रकार अपनी जान पर खेलकर आधुनिक वियतनाम वार, द्वितीय विश्व युद्ध ,इराक- अमेरिकी युद्ध में प्रमुख भूमिका निभाई है अपने क्षेत्र में पत्रकारों ने| इस समय जर्मनी रूस अमेरिका के वार रिपोर्टों का दबदबा […]
अंग्रेज भारत आए, कंपनी राज की स्थापना की पूरे भारतवर्ष का सघन अध्ययन किया। अंग्रेजों ने भारत की स्वदेशी परंपरागत शिक्षा, चिकित्सा व्यवस्था को ही ध्वस्त नहीं किया उन्होंने ध्वस्त किया भारत की समृद्ध सिंचाई व्यवस्था को सबसे पहले उन्होंने दक्षिण भारत मद्रास प्रेसीडेंसी की परंपरागत सिंचाई व्यवस्था को खत्म किया जो तालाबों पर […]
पृथ्वी है, नभ है, युगनद्ध दिन रात, ऋतुचक्र, चन्द्रकलायें, क्षितिज पर लुका छिपी खेलती तारिकायें, निशा शयन जागरण की लाली लिये उगता, दिन भर चलता और अंत में अलसाता, अंतरिक्ष में श्रांति का गैरिक वैराग्य उड़ेल सो जाता अनुशासन प्रिय प्रत्यक्ष देव सूरज, उसकी अनुपस्थिति में सिर के ऊपर दूर सजती सभायें, निहारिकाओं और […]
भारतीय स्वतन्त्रता के इतिहास में यद्यपि क्रान्तिकारियों की चर्चा कम ही हुई है; पर सच यह है कि उनका योगदान अहिंसक आन्दोलन से बहुत अधिक था। बंगाल क्रान्तिकारियों का गढ़ था। इसी से घबराकर अंग्रेजों ने राजधानी कोलकाता से हटाकर दिल्ली में स्थापित की थी। इन्हीं क्रान्तिकारियों में एक थे नलिनीकान्त बागची, जो सदा […]