Categories
पर्यावरण भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति मुद्दा राजनीति संपादकीय समाज

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-4

महर्षि दयानंद ने कहा था- ”यदि अब भी यज्ञों का प्रचार-प्रसार हो जाए तो राष्ट्र और विश्व पुन: समृद्घिशाली व ऐश्वर्यों से पूरित हो जाएगा।” इस बात से लगता है कि भारत सरकार से पहले इसे विश्व ने समझ लिया है।  देखिये-फ्रांसीसी वैज्ञानिक प्रो. टिलवट ने कहा है- ”जलती हुई खाण्ड के धुएं में पर्यावरण […]

Categories
मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

चौदहवें रतन को खोजता देश

भारत के चौदहवें राष्ट्रपति का चुनाव निकट है। हमें भाजपा की ओर से शीघ्र ही नये राष्ट्रपति का नाम मिलने वाला है। इसके लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह,  अरूण जेटली, वैंकैया नायडू को नियुक्त कर दिया है। विपक्षी दलों से समन्वय स्थापित कर ये तीनों मंत्री अगले राष्ट्रपति […]

Categories
मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

राष्ट्र के वृत्त की परिधि का केन्द्र है हिन्दुत्व

समाचार है कि मुजफ्फरनगर और सहारनपुर दंगों की आड़ में अलकायदा ने भारतीय मुसलमानों से जिहाद में सम्मिलित होकर अपनी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करने की भावुक अपील की है। भारत में इस आतंकी संगठन का प्रमुख असीम उमर है। जिसके विषय में सुरक्षा एजेंसी का मानना है कि उसके तार पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जुड़े […]

Categories
खेल/मनोरंजन महत्वपूर्ण लेख मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय समाज

खेल की राजनीति और राजनीति का खेल

खेल की भावना से यदि कोई कार्य किया जाए तो उसे सबसे उत्तम माना जाता है। खेल में बच्चे गिरते हैं-चोट खाते हैं, जीतते और हारते हैं-पर खेल के मैदान से बाहर आते ही हाथ मिला लेते हैं। हार जीत के खट्टे मीठे अनुभवों को वहीं छोड़ देते हैं, और एक अच्छे भाव के साथ […]

Categories
मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

‘पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-6

सोचने की बात यह है कि उनके कारनामे कितने घृणास्पद रहे होंगे, जबकि कंपनी के निदेशकों तक ने स्वीकार किया है कि भारत में व्यापार करके जो बड़ी से बड़ी संपत्ति पैदा की गयी उनमें उतना ही बड़ा अन्याय और जुल्म भरा हुआ है, जितना बड़ा जुल्म संसार के इतिहास में कहीं सुनने और पढऩे […]

Categories
मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

‘पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-5

(50) कोच्चीन, त्रावणकोर- इन दोनों क्षेत्रों में मुस्लिम शासन एक दिन भी नहीं रहा। जबकि 1857 ई. से यहां अंग्रेजी राज्य अवश्य आ गया। इस प्रकार के परिश्रम साध्य विषय को समझकर और देखकर हमें ज्ञात होता है कि अंग्रेजों का भारत में विस्तार सामान्यता 1820 ई. से बाद का है। उसमें भी अधिकांश 1857 […]

Categories
मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-4

पिछले लेखों में हम मध्य प्रदेश ‘हिंदी ग्रंथ अकादमी’ द्वारा प्रकाशित ‘भारत: हजारों वर्षों की पराधीनता एक औपनिवेशिक भ्रमजाल’ पुस्तक के आधार पर चर्चा कर रहे थे कि कितना भारत कितनी देर विदेशी शासन के आधीन रहा और कौन सा क्षेत्र अपनी स्वतंत्रता को बचाये रखने में सफल रहा? इस आलेख में भी उसी चर्चा […]

Categories
मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

‘पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-2

एक शोधपूर्ण प्रशंसनीय ग्रंथ मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा ‘भारत हजारों वर्षों की पराधीनता एक औपनिवेशिक भ्रमजाल’ में बड़े शोधपूर्ण ढंग से हमें बताया गया है कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर मुस्लिम और ब्रिटिश शासन की अवधि कितने समय तक रही? इस सारणी को देखकर हमें पता चलता है कि भारत के हिंदू […]

Categories
मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

‘पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-1

पूरे देश से इस समय एक आवाज उठ रही है कि ‘कश्मीर के पत्थरबाजो! भारत छोड़ो।’ इस आवाज को पूर्णत: न्यायसंगत एवं उचित कहा जाएगा। 1942 की अगस्त में जब गांधीजी ने अंग्र्रेजों के विरूद्घ ‘अंग्रेजो! भारत छोड़ो’ की आवाज लगायी थी तो उसके पीछे भी इस राष्ट्र के मचलते हुए चिंतन का यही पहलू […]

Categories
मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

भारत को जातियों में बांटने वाले मक्कार इतिहासकार

सहारनपुर दंगों के मर्म को समझने के लिए अपने इतिहास के इस सच को भी समझना होगा। भारत में आर्यों को विदेशी बताने वालों ने ही यहां गोरे-काले अथवा आर्य-द्राविड़ का भेद उत्पन्न किया। जिससे यह बात सिद्घ हो सके कि भारत में तो प्राचीन काल से ही गोरे-काले का भेद रहा है और यहां […]

Exit mobile version