भले ही गांधी की धोती , तेरे खातिर गहना था .. मुझे दिखा दो बस वो फंदा, जिसे भगत सिंह ने पहना था … * चलो मान लिया कि चरखे ने ही, उन सारे अंग्रेजों को पटका था … पर हमको दे दो वो पावन रस्सी , जिस पर मेरा बिस्मिल लटका था.. * हम […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-17 नरेन्द्र सहगल विश्व के एकमात्र प्रथम राष्ट्र भारत को यदि ‘अध्यात्मिक राष्ट्र’ की संज्ञा से सम्मानित किया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। भारतीय संतों ने सदैव ‘भक्ति से शक्ति’ के सिद्धांत को चरितार्थ करते हुए समाज को जागृत रखा। विदेशी एवं विधर्मी आक्रांताओं द्वारा […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-14 नरेन्द्र सहगल मां भारती के हाथों और पांवों में पड़ी हुई गुलामी की जंजीरों को तोड़ डालने के लिए देश में दो प्रयास चल रहे थे। एक सशस्त्र क्रांति द्वारा क्रूरता की सारी हदें पार करने वाले अंग्रेजों को भारत से भगाना और दूसरा अहिंसा […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-13 नरेन्द्र सहगल सरदार भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों ने लाहौर के भरे हुए खुले स्थान पर दिनदहाड़े अत्याचारी अंग्रेज अफसर सांडर्स को गोलियों से उड़ा दिया। हत्या करने के पश्चात चारों क्रांतिकारी चारों ओर की चाकचौबंद घेराबंदी को धता बताकर प्रशासन की आंखों में […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-8 नरेन्द्र सहगल बीसवीं सदी के दूसरे दशक के प्रारंभ होते ही विश्वयुद्ध के बादल मंडराने लगे। इन बादलों ने भारत पर अपनी अधिनायकवादी हुकूमत थोपने वाले इंग्लैंड के अस्तित्व पर सवालिया निशान लगा दिया। देश और विदेश में सक्रिय भारतीय क्रांतिकारियों ने इस अवसर पर […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-6 नरेन्द्र सहगल सन 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के बाद देश में एक राजनीतिक लहर चली जिसमें अंग्रेजों से प्रार्थना, याचना तथा मांगने की प्रथा का माहौल बनने लगा। एक अंग्रेज ए. ओ. ह्यूम ने वास्तव में इसी उद्देश्य के लिए कांग्रेस की […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग 5 (नरेन्द्र सहगल) भारतीयों का कल्याण अंग्रेज शासकों का उद्देश्य कभी नहीं रहा। भारत को लूटकर अपने देश इंग्लैण्ड को समृद्ध बनाने कि लिए उन्होंने प्रत्येक प्रकार के अनैतिक, पाशविक एवं अमानवीय हथकंडे अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भारत के सनातन धर्म, गौरवशाली इतिहास, […]
लोग कहें ले ली आजादी चला चला कर चरखा. आजादी लाने वाले तो सौदा कर गए सर का. उलटे घुटने कर के ये जब चरखा चलाया करते. इक अंगुली के द्वारा तकली खूब घुमाया करते. उसी समय वो शेर सिंघापुर बम बरसाया करते. आजाद हिंद सेना में खून से नाम लिखाया करते. निकले पीछे फेर […]
कांग्रेस लाने वाली थी क्रांतिकारियों के लिए निंदा प्रस्ताव संघ की नीति के अनुसार, डॉ हेडगेवार ने व्यक्तिगत तौर पर अन्य स्वयंसेवकों के साथ इस सत्याग्रह में भाग लेने का निर्णय लिया। और संघ कार्य अविरत चलता रहे इस हेतु उन्होंने सरसंघचालक पद का दायित्व अपने पुराने मित्र डॉ परांजपे को सौंप कर बाबासाहब आप्टे […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-4 – नरेन्द्र सहगल – स्वधर्म और स्वराज के लिए 1857 में हुए देशव्यापी स्वतंत्रता संग्राम के बाद स्वतंत्र भारतीय गणतंत्र की स्थापना के लिए वासुदेव बलवंत फड़के द्वारा की गई सशस्त्र बगावत ने भारतीयों को अंग्रेजी शासकों के विरुद्ध हथियार उठाकर संघर्ष करने की ना […]