*भारत में वैदिक युग के सूत्रधार – स्वामी विरजानन्दजी दण्डी* (जन्म-१७७८ई. – निर्वाण १८६८ ई.) १.आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती के विद्यादाता एवं पथ-प्रदर्शक महान गुरु विरजानन्द दण्डी (बचपन का नाम व्रजलाल) का जन्म पूज्य पिता श्रीनारायणदत्त के भरद्वाज गोत्र सारस्वत ब्राह्मणकुल में १७७८ ई. में करतापुर, जिला जालन्धर (पंजाब) में हुआ था। […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
डॉ. वंदना सेन वर्तमान में जिस प्रकार से देश प्रगति कर रहा है, उसी प्रकार से कुछ लोग भारतीयता से दूर भी होते जा रहे हैं। हालांकि इस निमित्त कई संस्थाएं भारतीय संस्कारों को जन जन में प्रवाहित करने के लिए प्रयास कर रही हैं। यही कार्य भारत के संत मनीषियों ने किया था, जिसके […]
जयश्री शर्मा ‘ ज्योति ‘ राजस्थान के मेवाड़ की पावन धरती ने कई महान एवं वीर पराक्रमी योद्धाओं को जन्म दिया है । गोरा एवं बादल उन्हीं वीर योद्धाओं में से है । यह धरती हमेशा उनकी कृतज्ञ रहेगी । इन दोनों महान योद्धाओं के बारे में यह कहा जाता है कि ‘ जिनका शीश […]
आज दिनाँक छह सितम्बर , महान दार्शनिक विद्वान पूज्य पण्डित गंगाप्रसाद उपाध्याय जी की 142 वीं वर्षगाँठ है । उनका जन्म 6 सितम्बर सन् 1881 को उत्तर प्रदेश के कासगंज जनपद के एक छोटे से ग्राम नदरई में हुआ । छोटी सी आयु में ही पिता की छत्रछाया से विहीन हो गए । अपनी धर्निष्ठ […]
-डॉ ० पवन कुमार पाण्डे ब्रह्माण्ड जैसे अनंत है वैसे ही भारत भूमि की महानता भी अनंत है । इसकी महानता बहुआयामी है , किसी भी क्षेत्र में यह कम नहीं । हर युग कुछ ऐसे महापुरुषों को यह धरती जन्म देती रही , जिन पर हमने ही नहीं संपूर्ण विश्व ने गर्व किया । […]
——————————————— पिछले 75 वर्ष से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर यह आरोप लगता रहा है कि वह हिटलर से प्रेरणा लेकर अस्तित्व में आया। जबकि जब संघ १९२५ में बना उस समय हिटलर का जर्मनी में उदय ही नही हुआ था। इस तथ्य को जानने के उपरांत भी बहुत से लोग हैं जो अनर्गल आरोप लगाते […]
पूर्व-जन्म के संस्कारों से कुछ होता भी है ? ======================= 18 वीं सदी के उतरार्ध में तब के पूर्वी बंगाल के खुलना में एक डॉक्टर हुए, नाम था कृष्णधन घोष. इधर देश भी मैकाले प्रणीत शिक्षा नीति से अभिशप्त था ऊपर से घोष साहेब विलायत से डॉक्टरी पढ़ कर आये थे इसलिये अंग्रेजियत उन के […]
*किताबों को खंगालने से हमें यह पता चला* कि ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय‘ (BHU) के संस्थापक *पंडित मदनमोहन मालवीय जी* नें 14 फ़रवरी 1931 को Lord Irwin के सामने *भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव* की फांसी रोकने के लिए Mercy Petition दायर की थी ताकि उन्हें फांसी न दी जाये और कुछ सजा भी कम की […]
अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-18 (अंतिम) – नरेन्द्र सहगल – चिर सनातन अखण्ड भारत की सर्वांग स्वतंत्रता के लिए कटिबद्ध राष्ट्रीय स्वयंसेवक के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार स्वतंत्रता संग्राम के एक ऐसे अज्ञात सेनापति थे जिन्होंने अपने तथा अपने संगठन के नाम से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में अपना तन मन सब […]
एक बात ध्यान रखनी चाहिये इतिहास से आप बड़ा लाभ उठा सकते हैं लेकिन यह तभी होगा जब आप वर्तमान में भी सक्षम होंगे। एक व्यक्ति सड़क पर पत्थर कूटने की मजदूरी कर रहा था। उससे किसी ने पूछा तू कौन हैं। यह बोलता हैं मेरे पिताजी तहसीलदार थे। उसने फिर अपना प्रश्न दोहराया तू […]