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आज का चिंतन धर्म-अध्यात्म

*वेदों से ईश्वर के अजन्मा, सर्वव्यापक, अजर, निराकार होने के प्रमाण।*

वेदों से ईश्वर के अजन्मा, सर्वव्यापक, अजर, निराकार होने के प्रमाण। अजन्मा १. न जन्म लेने वाला (अजन्मा) परमेश्वर न टूटने वाले विचारों से पृथ्वी को धारण करता है । (ऋग्वेद १/६७/३) २. एकपात अजन्मा परमेश्वर हमारे लिए कल्याणकारी होवे । (ऋग्वेद ७/३५/१३) ३. अपने स्वरुप से उत्पन्न न होने वाला अजन्मा परमेश्वर गर्भस्थ जीवात्मा […]

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विजया-दशमी दशहरा पर्व और रावण के वध की यथार्थ तिथि” ============

ओ३म् प्रत्येक वर्ष भारत व देशान्तरों में जहां भारतीय रहते हैं, आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा पर्व मनाते हैं। इस पर्व से यह घटना जोड़ी जाती है कि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने अधर्म के पर्याय लंका के राजा रावण का वध किया था। क्या यह तिथि वस्तुतः रावण वध की […]

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*हिंदुत्व एक विचारधारा है जो विश्व कल्याण की बात करती है*

🙏बुरा मानो या भला 🙏 —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” आज विजयदशमी है, अर्थात असत्य पर सत्य, अन्याय पर न्याय और अधर्म पर धर्म की विजय का उत्सव मनाने का दिवस है। 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत ही नहीं वरन संसार का सबसे बड़ा […]

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जीवन में सोलह संस्कारों का महत्व और संक्षिप्त परिचय*

१. गर्भाधानम् संस्कार : – “गर्भस्याऽऽधानं वीर्यस्थापनं स्थिरीकरणं यस्मिन् येन वा कर्मणा, तद् गर्भाधानम् ।” गर्भ का धारण, अर्थात् वीर्य का स्थापन, गर्भाशय में स्थिर करना जिस संस्कार में होता है, इसी को गर्भाधान संस्कार कहते हैं । युवा स्त्री-पुरुष उत्तम् सन्तान की प्राप्ति के लिये विशेष तत्परता से प्रसन्नतापूर्वक गर्भाधान करे । २. पुंसवनम् […]

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एक व्यस्त व्यक्ति हमेशा वक्त निकाल लेता है, लेकिन आलसी को कभी समय नहीं मिलता, खुद देखे हम व्यस्त हैं या अस्तव्यस्त

डॉ. स्वामी ज्ञानवत्सल मनुष्य जीवन में संबंधों का अत्यधिक महत्व है। माता-पिता, पत्नी, पुत्र-पुत्री और मित्र आदि के साथ आपके कैसे संबंध हैं- उसका प्रभाव आपकी खुशहाली पर पड़ता है। संबंध अच्छे होंगे तो सुख। कड़वाहट भरे होने की स्थिति में दु:ख। हां, संबंधों की सेहत को दुरस्त रखने के लिए जरूरी है- एक दूसरे […]

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संस्कारों की दौलत ही सच्चा धन

योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ आजकल समाज में संस्कारों की कमी देखकर कभी-कभी मन उद्वेलित हो उठता है। समाचारपत्रों में ऐसे समाचार देखकर कि कोई वृद्धा मां या वृद्ध पिता विदेश में या किसी बड़े शहर में नौकरी करने गए अपने पुत्र को देखने को तरसते रहते हैं और एकाकी रहते हुए जब मर जाते हैं, […]

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श्राद्ध कर्मकांड पर विभिन्न समाज सुधारकों के विचार संत कबीर के श्राद्ध पर विचार _____ _________

जब संत कबीर बालक थे तथा गुरू रामानंद के आश्रम मे शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तब की एक घटना है :- ब्राहमण धर्म के अनुसार श्राद्ध मे कौओ को खाना खिलाने से मृत व्यक्ति की भूख शान्त हो जाती है ! अपने पिता के श्राद्ध के लिये गुरू रामानद ने सभी शिष्यो को अलग […]

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छ: दर्शनों में परस्पर विरोध व अविरोध पर विचार

छः दर्शनों को लेकर आज यहां पर विचार होगा, यह देखकर हमारे अन्तःकरण में अत्यन्त उल्लास उत्पन्न हो रहा है। प्रत्येक वर्ष यदि इसी प्रकार दोषज्ञ परीक्षक जन प्रेम से इकट्ठे होकर संसार के उपकार के लिए प्रमेय के निश्चय के लिए प्रयत्नशील हों तभी सन्तानों का पथ राजपथ के समान निरुपद्रव हो जायेगा, ऐसी […]

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न्यायात् पथः प्रविचलन्ति पदं न धीरा:

महर्षि दयानन्द ने अपने ५९ साल के अल्पकालीन जीवन में धर्म की उन्नती के लिए बहुत बड़ा कार्य कर दिखाया। उनमें कार्य करने की अद्भुत क्षमता थी। असीम शक्ति थी। वे निडर और साहसी थे। कर्मठ थे। कार्य करते हुए थकते नहीं थे। अपने लक्ष्य की ओर बिना रुके बढ़े जाते थे। अपने पथ से […]

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भीड़ के पीछे ना चलें (सत्यार्थ प्रकाश से)

कोई एक चोरी करता पकड़ा गया था। न्यायाधीश ने उस की नाक काट डालने का दण्ड किया। जब उस की नाक काटी गई तब वह धूर्त्त नाचने गाने और हंसने लगा। लोगों ने पूछा कि तू क्यों हंसता है? उस ने कहा कुछ कहने की बात नहीं है । लोगों ने पूछा-ऐसी कौन सी बात […]

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